scriptकोरोना का असर, 51 की जगह 25 फीट का का हो गया रावण | The impact of the corona, 25 feet of Ravana instead of 51 | Patrika News
छतरपुर

कोरोना का असर, 51 की जगह 25 फीट का का हो गया रावण

अन्नपूर्णा रामलीला समित बना रही रावण, स्टेडियम में होगा दहनकोरोना के चलते उत्सव की तरह बड़े पैमाने पर नहीं होगा दशहरा उत्सव

छतरपुरOct 23, 2020 / 08:44 pm

Dharmendra Singh

program will be in the stadium

program will be in the stadium

छतरपुर। शहर में 70 साल से चली आ रही रावण दहन की परंपरा पर कोरोना का असर पड़ा है, 51 फीट का रावण इस बार छोटा होकर 25 फीट का हो गया है। कोविड संक्रमण के चलते भीड़भाड़ से बचने के लिए इस बार रावण दहन न करने का फैसला लिया गया, लेकिन बाद में धार्मिक, समाजिक संगठनों की पहल पर ये तय किया गया कि परंपरा न टूटे,इसलिए प्रतीकात्मक रुप में ही सही लेकिन रावण दहन कार्यक्रम किया जाएगा। इसके बाद अन्नपूर्णा रामलीला समिति ने रावण के पुतला का निर्माण शुरु करा दिया है।
परंपरा बनाए रखने के लिए आगे आई समिति
अन्नपूर्णा रामलीला समिति के अध्यक्ष द्रगेंद्र देव सिंह चौहान ने बताया कि पिछली बार 51 फीट का रावण बनाया गया था। जिसे स्थानीय कलाकार व समिति के लोग ही तैयार कराते हैं। दशहरा से 8से 10 दिन पहले निर्माण शुरु किया जाता है। लेकिन इस बार निर्माण कार्य देर से शुरु हुआ है। परंपरा बनी रहे इसलिए रावण बनाया जा रहा है। हालांकि इस बार उंचाई कम ही रहेगी। वहीं, आतिशबाजी भी पहले की तरह नहीं रहेगी। कोविड गाइडलाइन का पालन करने के साथ ही दशहरा उत्सव की परंपरा बनी रहे,इसके लिए कार्यक्रम प्रतीकात्मक रुप में किया जा रहा है।
खर्च में की गई कटौती
चौहान ने बताया कि रावण निर्माण कम से कम लागत में करने का प्रयास समिति द्वारा किया जाता है। लेकिन इस बार प्रतीकात्मक रुप से उत्सव मनाए जाने के कारण खर्च में काफी क टौती की गई है। आतिशबाजी के खर्च पर भी असर पड़ा है। पहले की तरह आतिशबाजी नहीं की जा रही है, जिससे रावण दहन के खर्च में कमी आएगी।
स्थानीय कलाकारों को मिला रोजगार
समिति के लखन राजपूत ने बताया कि रावण निर्माण में स्थानीय कलाकार व समिति के लोग सहयोग करते हैं। 5 से 6 लोग ऐसे हैं, जिन्हें रावण निर्माण में रोजगार मिलता है, इस बार भी उन्हें रोजगार मिला है। रावण निर्माण का कार्य स्थानीय कलाकार डरू कुशवाहा, कड़ोरे कुशवाहा, धीरे कुशवाहा, कमलापत द्वारा किया जाता है। वहीं समिति के एक दर्जन लोग भी रावण निर्माण मे सहयोग करते हैं।
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