परंपरा बनाए रखने के लिए आगे आई समिति
अन्नपूर्णा रामलीला समिति के अध्यक्ष द्रगेंद्र देव सिंह चौहान ने बताया कि पिछली बार 51 फीट का रावण बनाया गया था। जिसे स्थानीय कलाकार व समिति के लोग ही तैयार कराते हैं। दशहरा से 8से 10 दिन पहले निर्माण शुरु किया जाता है। लेकिन इस बार निर्माण कार्य देर से शुरु हुआ है। परंपरा बनी रहे इसलिए रावण बनाया जा रहा है। हालांकि इस बार उंचाई कम ही रहेगी। वहीं, आतिशबाजी भी पहले की तरह नहीं रहेगी। कोविड गाइडलाइन का पालन करने के साथ ही दशहरा उत्सव की परंपरा बनी रहे,इसके लिए कार्यक्रम प्रतीकात्मक रुप में किया जा रहा है।
अन्नपूर्णा रामलीला समिति के अध्यक्ष द्रगेंद्र देव सिंह चौहान ने बताया कि पिछली बार 51 फीट का रावण बनाया गया था। जिसे स्थानीय कलाकार व समिति के लोग ही तैयार कराते हैं। दशहरा से 8से 10 दिन पहले निर्माण शुरु किया जाता है। लेकिन इस बार निर्माण कार्य देर से शुरु हुआ है। परंपरा बनी रहे इसलिए रावण बनाया जा रहा है। हालांकि इस बार उंचाई कम ही रहेगी। वहीं, आतिशबाजी भी पहले की तरह नहीं रहेगी। कोविड गाइडलाइन का पालन करने के साथ ही दशहरा उत्सव की परंपरा बनी रहे,इसके लिए कार्यक्रम प्रतीकात्मक रुप में किया जा रहा है।
खर्च में की गई कटौती
चौहान ने बताया कि रावण निर्माण कम से कम लागत में करने का प्रयास समिति द्वारा किया जाता है। लेकिन इस बार प्रतीकात्मक रुप से उत्सव मनाए जाने के कारण खर्च में काफी क टौती की गई है। आतिशबाजी के खर्च पर भी असर पड़ा है। पहले की तरह आतिशबाजी नहीं की जा रही है, जिससे रावण दहन के खर्च में कमी आएगी।
चौहान ने बताया कि रावण निर्माण कम से कम लागत में करने का प्रयास समिति द्वारा किया जाता है। लेकिन इस बार प्रतीकात्मक रुप से उत्सव मनाए जाने के कारण खर्च में काफी क टौती की गई है। आतिशबाजी के खर्च पर भी असर पड़ा है। पहले की तरह आतिशबाजी नहीं की जा रही है, जिससे रावण दहन के खर्च में कमी आएगी।
स्थानीय कलाकारों को मिला रोजगार
समिति के लखन राजपूत ने बताया कि रावण निर्माण में स्थानीय कलाकार व समिति के लोग सहयोग करते हैं। 5 से 6 लोग ऐसे हैं, जिन्हें रावण निर्माण में रोजगार मिलता है, इस बार भी उन्हें रोजगार मिला है। रावण निर्माण का कार्य स्थानीय कलाकार डरू कुशवाहा, कड़ोरे कुशवाहा, धीरे कुशवाहा, कमलापत द्वारा किया जाता है। वहीं समिति के एक दर्जन लोग भी रावण निर्माण मे सहयोग करते हैं।
समिति के लखन राजपूत ने बताया कि रावण निर्माण में स्थानीय कलाकार व समिति के लोग सहयोग करते हैं। 5 से 6 लोग ऐसे हैं, जिन्हें रावण निर्माण में रोजगार मिलता है, इस बार भी उन्हें रोजगार मिला है। रावण निर्माण का कार्य स्थानीय कलाकार डरू कुशवाहा, कड़ोरे कुशवाहा, धीरे कुशवाहा, कमलापत द्वारा किया जाता है। वहीं समिति के एक दर्जन लोग भी रावण निर्माण मे सहयोग करते हैं।