The message of female male equality has been described through the traditional dance of Shiva.
छतरपुर। खजुराहो डांस फेस्टिवल के तीसरे दिन की शाम कथक युगल नृत्य के ज़रिए शिव की स्तुति से शुरू हुई। वंही दूसरी प्रस्तुति में मार्ग नाट्य के ज़रिए वर्धमान विधि और उपरूपक मानक का एक अंश प्रस्तुत किया गया। इसके बाद तीसरी प्रस्तुति में युगल भरतनाट्यम के जरिए शिव में आधा हिस्सा स्त्री और आधा हिस्सा पुरुष का बताते हुए समानता का संदेश दिया गया।
कथक से शिव की आराधना
कार्यक्रम की शुरुआत में बनारस घराने के दो भाई सौरभ- गौरव मिश्रा ने शिव स्तुति प्रस्तुत की। इसके बाद कथक के तीन ताल पर नृत्य की प्रस्तुति देकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रस्तुति के आखरी चरण में दोनो भाइयों ने बनारस घराने की विशेषता माने जाने वाले आनंद तांडव का भाव विभोर कर देने वाला प्रदर्शन किया। नृत्य की प्रस्तुती के दौरान गौरव मिश्रा ने कहा कि वे हमेशा प्रस्तुत्ति देते हैं, लेकिन खजुराहो नृत्य समारोह में प्रस्तुति देना गौरव और सम्मान का विषय है।
नाट्य परंपरा को मंच पर उतारा
हमारे देश में नाट्य परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है भरत मुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में इसका वर्णन भी किया है। नाट्य शास्त्र नाट्य विधा का मौलिक और स्रोत ग्रंथ माना जाता है। नाट्य मार्ग विधा नाट्य शास्त्र का अनुसंधानिक और पुनर्गठित रूप है। पियाल भट्टाचार्य और उनके साथियों ने नाट्यशास्त्र के नए रूप नाट्य मार्ग के जरिए नाट्य परंपरा व्यवस्था को मंच पर उतारा। प्रस्तुति प्राचीन भारतीय प्रदर्शन को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित रही। नाट्यमार्ग की प्रस्तुती ने दर्शकों को प्राचीन कला से रूबरू कराया।
भरतनाट्यम के जरिए दिया संदेश
कार्यक्रम के अंत मे सुलग्ना बनर्जी और राजदीप बनर्जी ने कथक युगल नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य के जरिए शिव के स्वरूप का वर्णन किया गया, जिसमें शिव का आधा शरीर स्त्री और आधा पुरुष का बताया गया। शिव का यही स्वरूप स्त्री पुरुष समानता का संदेश देता है। शिव के इसी सन्देश को भरतनाट्यम युगल के जरिए राज्य संगीत अकादमी से सम्मानित बनर्जी कलाकारों ने दर्शकों को दिया।