scriptपहले दी बिजली मीटर की ओके रिपोर्ट, फिर यह हुआ उपभोक्ताओं के साथ | The Okay report of the first electric meter, then it happened with the | Patrika News

पहले दी बिजली मीटर की ओके रिपोर्ट, फिर यह हुआ उपभोक्ताओं के साथ

locationछतरपुरPublished: Jan 16, 2019 12:43:43 am

बिजली मीटर जांच के नाम पर उपभोक्ताओं को किया जा रहा परेशान

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छतरपुर . मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के अधिकारी मीटर जांच के नाम पर उपभोक्ताओं को परेशान कर रहे हैं।
उपभोक्ता को टारगेट करके नोटिस जारी किया जाता है, ताकि वो दवाब में आकर अधिकारियों से केस निपटाने के लिए गुजारिश करे और उन्हें सुविधा शुल्क देकर उपकृत करे। ऐसा ही मामला सामने आया है, एलआइसी ऑफिस के सामने रहने वाले एडवोकेट दीपक कुमार गुप्ता का। उनका आरोप है, कि मीटर बदलने और भार बढ़ाने के लिए आवेदन देने व फीस जमा करने के १३ माह बाद मीटर बदल गया। लेकिन कनेक्शन को सिंगल से थ्री फेस में नहीं बदला गया। दो माह बाद थ्री फेज कनेक्शन के लिए नया मीटर लगाया, लेकिन उसके बाद अधिकारियों ने एक अनजान नंबर के मीटर की जांच का नोटिस थमा दिया। जो कि उपभोक्ता का नहीं था। इसके बाद सिंगल फेज से थ्री फेज कनेक्शन करते समय पुराने मीटर का हटाते समय ओके रिपोर्ट मिलने के वाबजूद उसी मीटर की जांच के लिए अगले दिन नोटिस थमा दिया। उपभोक्ता का आरोप है, कि विद्युत कंपनी के अधिकारी इस तरह से परेशान करके ४० हजार रुपए की मांग कर रहे हैं।
दबाव बनाने के लिए लगातार दे रहे नोटिस: उपभोक्ता दीपक गुप्ता का कहना है, कि बिजली कंपनी के जेई रवि सिंह कभी किसी दूसरे के मीटर के लिए उन्हें नोटिस देते हैं, तो कभी बदले जा चुके मीटर के लिए नोटिस जारी करके दवाब बनाते हैं। जब उन्होंने इस संबंध में जेई सिंह से बात की तो उन्होंने मामला निपटाने के लिए 40 हजार रुपए की मांग कर दी। गुप्ता का आरोप है. कि बिजली कंपनी के इंजीनियर इस तरह से उपभोक्ता पर लगातार दवाब बनाकर रिश्वत की मांग कर रहे हैं। गुप्ता ने इसकी शिकायत संभागीय यंत्री और सहायक अभियंता शहर से लिखित में की है।

यह है मामला

दीपक गुप्ता ने अपने सिंगल फे स कनेक्शन के मीटर क्रमांक 274032 को बदलने, भार बढ़ाने और थ्री फेस कनेक्शन करने के लिए 17 अक्टूबर 2017 को आवेदन दिया। इसके साथ ही डिमांड नोट के एवज में 4800 रुपए फीस भी चुकाई। लेकिन विद्युत कंपनी के जिम्मेदारों ने 13 महीने तक मीटर नहीं बदला और औसत आधार पर बिजली बिल जारी करते रहे। उपभोक्ता ने औसत बिल की राशि चुका भी दी। 13 महीन बाद 6 नवंबर 2018 को विद्युत कंपनी के जूनियर इंजीनियर रवि सिंह मीटर बदलने आए और नया मीटर क्रमांक 1781560 लगा दिया। लेकिन कनेक्शन अभी भी सिंगल फेज ही बना रहा। इसी बीच उपभोक्ता को मीटर क्रमांक 997667 की जांच का नोटिस थमा दिया, जबकि ये मीटर उपभोक्ता का नहीं है। इसके दो महीने बाद विद्युत कंपनी की टीम वापस आई और सिंगल को थ्री फेस कनेक्शन करते हुए पुराने मीटर क्रमांक 1781560 की जगह नया मीटर क्रमांर 32477193 लगा दिया। मीटर बदलने वाले ठेकेदार ने पुराने मीटर क्रमांक 1781560 के लिए ओके रिपोर्ट भी दी। लेकिन अलगे दिन यानी कि 2 जनवरी 2019 को उन्हें फिर कंपनी के जिम्मेदारों ने ओके रिपोर्ट वाले मीटर क्रमांक 1781560 में गड़बड़ी की आशंका का हवाला देते हुए विद्युत कंपनी की प्रयोगशाला में जांच का नोटिस थमा दिया। पूरे मामले में गौर करने वाली बात ये है कि, मीटर में खराबी की आशंका हो तो मीटर उपभोक्ता या पांच साक्षियों की की उपस्थिति में विद्युत कंपनी के अधिकारियों द्वारा सील किया जाता है, लेकिन इनके द्वारा मीटर को सील नहीं किया गया।

40 हजार मांगी रिश्वत
सब इंजीनियर द्वारा बार-बार बेवजह नोटिस देकर पहले तो दबाव बनाया गया, फिर मामले को निपटाने के नाम पर 40 हजार रुपए की रिश्वत मांगी गई. इसकी शिकायत लिखित में की गई है।
दीपक कुमार गुप्ता, शिकायतकर्ता

शिकायत की जांच कराएंगे
उपभोक्ता ने मीटर जांच के नाम पर दबाव बनाने और रिश्वत मांगने की शिकायत की है, शिकायत के आधार पर पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।
एसके गुप्ता, कार्यपालन यंत्री

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