scriptगांव की खुशहाली का लिया था ठेका, तबाही की ओर धकेल दिया ग्राम्य जीवन | The prosperity of the village had taken the contract, the impoverished | Patrika News
छतरपुर

गांव की खुशहाली का लिया था ठेका, तबाही की ओर धकेल दिया ग्राम्य जीवन

– कटहरा में ग्रेनाइट कंपनी ने शादी, इलाज, अस्पताल, पेयजल, शिक्षा का लिया था ठेका बदले में दी बीमारियां- रिकॉर्ड में मानवसेवा की मिसाल बनी है ग्रेनाइट उत्खनन करने वाली कंपनी

छतरपुरSep 07, 2018 / 04:01 pm

Samved Jain

Chhatarpur

Chhatarpur

छतरपुर। जिले के लवकुशनगर अनुभाग क्षेत्र के ग्राम कटहरा में ग्रेनाइट खदान की लीज लेने के दौरान जिस कंपनी ने ग्रामीणी का जीवन खुशहाल और सुविधा संपन्न बनाने का ठेका लिया था, उसी कंपनी ने यहां के ग्राम्य जीवन को तबाही की हो धकेल दिया है। कटहरा गांव के लोगों को अस्पताल, डॉक्टर, स्कूल, अच्छी शिक्षा, गरीब कन्याओं की निशुल्क शादी, पेयजल परिवहन की समुचित सुविधाओं का जो वायदा कंपनी ने किया था, उनका जमीनी क्रियान्वयन आज तक नहीं हुआ। लेकिन इसके विपरीत गांव के हिस्से में खुशहाली और समृद्धि के बदले बीमारियां, गरीबी और भुखमरी मिली है।
7 हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायत कटहरा में दाखिल होते ही सबसे पहले वाहनों की कतारें, डंपर, ट्रक, जेसीबी मशीनों के सुधार के लिए अस्थाई रूप से बनी वर्कशॉप मिलेगी। धुएं-धूल की धुंध चारों तरफ मिलेगी। गांव में दाखिल होते ही बीमार-खांसते लोग, अस्पताल, डॉक्टर और स्कूल के नाम पर यहां केवल बदहाल भवन और ताला ही लगा मिलेगा। गांव के लोग हैंडपंपों, कुएं पर पानी भरते नजर आते हैं। गरीबी, बदहाली से गांव के लोग मुक्त नहीं हो पाए हैं। न इनका रहन-सहन बदला है और नही ही जीवन स्तर में सुधार आया है। ग्रेनाइट खदान पर मजदूरी के नाम पर जो रोजगार मिला, उसके बदले भी उन्हें सिलकोसिस, खांसी और टीवी की बीमारियां मिली हैं। न ही मेडिकल की सुविधाएं गांव में मिली और न ही बच्चों की अच्छी शिक्षा, इलाज के लिए डॉक्टर की स्थाई व्यवस्था हुई। शासन-प्रशासन ने इसलिए कटहरा गांव में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध उपलब्ध नहीं कराईं, क्योंकि कंपनी ने ही इस गांव को गोद ले रखा है और गांव की तरक्की का पूरी कार्ययोजना बनाकर शासन को दे रखी है। फॉच्र्यून स्टोन्स लिमिटेड कंपनी ने अपनी बेबसाइट में कटहरा गांव को सबसे सुंदर और समृद्धशाली व खुशहाल गांव बताया है। विकास के पथ पर बढ़ता गांव बताया गया है, लेकिन इस गांव में जाने मात्र से यहां की जमीनी हकीकत का पता चल जाता है। गांव में कुछ परिवारों का जरूर भला हुआ है। कंपनी की खदान में इस गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों को काम दिया गया है। बाकी के लोगों का जीवन पत्थरों के बीच ही घुट-घुटकर खत्म हो रहा है।
कंपनी के रिकॉर्ड में सबसे सुंदर और खुशहाल गांव है कटहरा :
फॉच्र्यून स्टोन्स लिमिटेड कंपनी की बेवसाइट में कटहरा गांव की जो तस्वीर पेश की गई उसके अनुसार यह गांव सबसे खुशहाल, समृद्धशाली और सुविधा संपन्न गांव बताया गया है। लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। कंपनी ने अपनी बेवसाइट में बताया है कि कटहरा गांव में सामूहिक कन्या विवाह का अयोजन किया जा रहे है। कटहरा तालाब का गहरीकरण किया गया है। लवकुशनगर में निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जा रहा है। ग्राम कटहरा मेें अस्पताल भवन का निर्माण किया गया। ग्राम कटहरा में डॉक्टर की निशुल्क व्यवस्था की गई है। आस-पास के गांव में टैंकर द्वारा निशुल्क पीने का पानी वितरण किया जा रहा है। इसके साथ ही कटहरा गांव के करीब १४५ को रोजगार दिया गया है। कंपनी ने गांव के विकास के कुछ सपने भी दिखाए हैं जिसमें कहा गया है कि परियोजना से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार एवं आय के साधनों में वृद्धि होगी। प्रस्तावित परियोजना से क्षेत्र की जनता में शिक्षा के प्रति जागरुकता पैदा होगी। प्रस्तावित परियोजना से यदि क्षेत्र के लोगों की आय में संतोषजनक वूद्धि होगी तो उनके रहन सहन में भी परिवर्तन होगा।
न कभी शादियां कराईं, न मेडिकल कैंप लगाया :
कटहरा गांव के हरगोविंद, राधेश्याम और दशरथ बताते हैं कि आज तक यहां कंपनी ने कोई भी सामूहिक विवाह कार्यक्रम नहीं किया। किसी भी गरीब बच्ची की शादी तक के लिए मदद नहीं की। अस्पताल और डॉक्टर की व्यवस्था भी नहीं की। कभी यहां मेडिकल कैंप भी नहीं लगाया। खदान में घायल होने के बाद हो गई थी। दलपत और हरसेवक ने बताया कि बीमारी के कारण आधा दर्जन लोग यहां से इसलिए काम छोड़कर भाग चुके हैं, क्योंकि वे जो कमाते थे, पूरा रुपया उनके इलाज में ही लग जाता था। खदान में काम करने वाले मजदूरों तक को तो दूषित पानी पिलाया जा रहा है, गांव के लोगों को पेयजल परिवहन के नाम पर एक बूंद भी पानी नहीं दिया गया। कुआं-तालाब की स्थिति देखकर ही पता चल जाएगा कि यहां उनका जीर्णोद्धार हुआ कि नहीं।
नहीं है ठोस अवशिष्ट पदार्थ का प्रबंधन :
खदान में प्रस्तावित उत्खनन से पहले पांच सालों के दौरान जो भी अवशिष्ट पदार्थ निकलेगा उसको लीज क्षेत्र के बाहर कंपनी को स्वयं के क्षेत्र में रखाना चाहिए था लेकिन कटहरा खदान में चारों तरफ ठोस अवशिष्ट पदार्थ बिखरा पड़ा है। खुदाई के पश्चात लीज क्षेत्र का पुर्नभरण कार्य भी किया जाना चाहिए, लेकिन यहां सभी नियमों को ताक पर रखकर लगातार खुदाई की जा रही है, इससे यह खदान गांव के महज 10-15 मीटर दूर ही रह गई है।
कटहरा गांव की जमीन हकीकत जानने दिल्ली से आएगी टीम :
ग्राम पंचायत कटहरा में ग्रेनाइट खदान के कारण हुए मानव अधिकारों के उल्लंघन और मजदूरों के साथ होने वाले भेदभाव, अमानवीय व्यवहार और उनके अधिकारों के हनन की जांच के लिए दिल्ली से एक समाजसेवी संस्था की टीम आएगी। आदिवासियों और मजदूरों के हितों पर अंतराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता एके पंकज ने बताया कि जल्द ही एक अध्ययन दल बुंदेलखंड की ग्रेनाइट खदानों में काम करने वाले मजदूरों की स्थिति और खदान क्षेत्र के गांवों की जमीनी हकीकत जानेगे। इसके साथ ही टीम पर्यावरणीय संकट की स्थिति की भी पड़ताल करेगी। इसके बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके शासन स्तर पर मजदूरों और ग्रामीणों के हक की बात रखी जाएगी।
मैं अभी देश से बाहर हूं :
मैं अभी कंपनी के काम के सिलसिले में देश से बाहर हूं, आते ही इस संबंध में सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
– सुरेश शर्मा, जनरल मैनेजर, फॉच्र्यून स्टोन्स लिमिटेड कंपनी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो