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रेत को कारोबार ने खत्म कर दी एक अनुविभाग की प्रशासनिक व्यवस्था

locationछतरपुरPublished: Jan 17, 2019 12:05:57 pm

Submitted by:

Neeraj soni

– पुलिस और राजस्व अमला रेत के कारोबार में निभा रहा पूरी भूमिका- थानों, तहसीलों, एसडीएम कोर्ट के चक्कर काटने मजबूर है क्षेत्र के लोग

 24 Kundiyya Gayatri Mahayagyan, published by eleven thousand lamp

Chhatarpur

नीरज सोनी
छतरपुर। लवकुशनगर जिले का सबसे बड़ा अनुविभाग है। इस क्षेत्र के अंतर्गत ९ पुलिस थाना, ४ पुलिस चौकियां, ३ तहसीलें, ४ उपतहसीलें हैं। यहां का राजस्व और पुलिस का अमला पिछले पांच साल से रेत के कारोबार में ऐसा संलग्न हुआ कि यहां की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था रेत की भेंट ही चढ़ गई। तहसीलों में अफसर, कर्मचारी नहीं मिलते, थानों में सुनने वाला कोई नहीं होता। पुलिस की जांचें महीनों से लंबित है। खसरा-खतौनी से लेकर नामांतरण जैसे जरूरी कामों के लिए पूरे क्षेत्र के किसान परेशान है। विकास के नाम पर जो सड़कें इस क्षेत्र में बनी थीं, वह रेत से भरे ओवरलोड वाहनों ने ध्वस्त कर डालीं। अनुविभाग क्षेत्र का पूरा प्रशासनिक तंत्र ने रेत के कारोबार को ही अपने काम की प्राथमिकता मानकर सरकारी कामकाज से विमुख चल रहे हैं।
न जनसुनवाई होती है न ही काम हो रहे हैं :
सरबई, बारीगढ़, गोयरा और गौरिहार क्षेत्र के लोग अपने-अपने जरूरी काम के लिए परेशान हो रहे हैं। बारीगढ़ के अशोक चौरसिया पिछले छह माह से परेशान है। वे अपनी जमीन की खसरा-खतौनी की नकल को लेने के लिए बार-बार चक्कर लगाते हैं। उन्होंने बताया कि कभी तहसील का ताला लगा मिलता है तो कभी केवल चपरासी ही वहां पर मिलते हैं। ऐसे में उन्हें हर बार मायूस होकर लौटना पड़ता है। सरवई के राजेंद्र त्रिवेदी बताते हैं कि सरकारी कार्यालयों में राजस्व अमला कभी नहीं मिलता है। वहीं थानों में पदस्थ पुलिसकर्मी केवल कुछ समय के लिए ही वहां पहुंचते हैं, बाकी समय जगह-जगह अवैध वैरियर लगाकार क्षेत्र से निकलने वाले ट्रकों से एंट्री वसूली करते हैं। कानून व्यवस्था को लेकर न तो पुलिस गश्त करती है न ही चोरी, लूट या अन्य अपराधों की विवेचना समय पर पूरी करती है।
ध्वस्थ हो गईं पूरी क्षेत्र की सड़कें :
रेत के अवैध कारोबार के कारण पूरे क्षेत्र की नई सड़कें खराब हो गई हैं। रेत से भरे भारी वाहनों के निकलने के कारण सड़कें जगह-जगह से धंस गई हैं। पांच सालों में जितनी भी सड़कें बनी हैं, वह सभी खराब हो गई हैं। चंदला से सरवई, बारीगढ़, लवकुशनगर से चंदला सहित गौरिहार, गोयरा आदि पूरे इलाके की सड़कें खराब हो गई हैं। लोगो को इन सड़कों पर चलना भी जोखिम भरा हो गया है। वहीं यात्रियों के लिए भी सफर दुखदाई होने लगा है।
पंचायतों के लिए नई रेत नीति ने बिगाड़ी स्थिति :
लवकुशनगर अनुविभाग के अंतर्गत आने वाली रेत खदानों को नई खनिज नीति के तहत पंचायतों को इसलिए सौंपा गया ताकि पंचायत के अंतर्गत रहने वाले ग्रामीणों को सस्ते दर पर रेत उपलब्ध हो सके लेकिन अनुविभाग क्षेत्र की रेत खदानों पर शासन की नयी नीतियों की खुलेआम धज्जियां उडाई जा रही है। इन पंचायतों के ग्रामीणों को सस्ते दर पर रेत न मिलकर यूपी के खनिज माफि याओं के संरक्षण में पूरी रेत ट्रकों के माध्यम से यूपी भेजी जा रही है। रेत खदानों में खनिज विभाग के अधिकारियों के संरक्षण में पूरी रात एलएनटी मशीनें अवैध उत्खनन में लगी रहती है। पूरे क्षेत्र का पुलिस का अमला अपने-अपने थाना क्षेत्रों में बैरियर लगाकर रात-दिन वसूली में लगा रहता है। पंचायतों की राजस्व अमला रेत खदानों के लिए जमीनों के आबंटन से लेकर खनिज राजस्व की वसूली के नाम पर अपना खेल दिखाने लगा है। क्षेत्र की आम जनता और किसान परेशान है।
नई रेत नीति से जनता को कोई फायदा नहीं हुआ :
भाजपा सरकार ने नई खनिज नीति के तहत पंचायतों के लिए योजना बनाई थी। लेकिन भाजपा की सरकार उसके जमीनी क्रियान्वयन में ठोस काम नहीं कर पाई। अब सत्ता परिवर्तन के बाद लोगो को उम्मीद जगी थी कि पंचायतों को आवंटित रेत खदानें रेत माफियाओं के चंगुल से मुक्त हो जाएंगी लेकिन लोगो की यह उम्मीद धरी की धरी रह गई। इन ग्राम पंचायत की खदान पर माफि या पहले से ज्यादा सक्रिय होकर रेत का अबैध उत्खनन करने लगे। पंचायतों के लिए स्वीकृत रेत खदानों में नियम कानून को ताक पर रखते हुए बड़ी-बड़ी एलएनटी मशीनें उतारकर खनन शुरू किया जा रहाी है। स्थानीय प्रशासन से लेकर खनिज विभाग को ग्रामीणों द्वारा शिकायत की गई लेकिन रेत माफि याओ के सामने प्रशासन तटस्थ हो जाता है। स्थानीय लोगो का आरोप है कि प्रशासन की मिलीभगत से यह रेत माफि या इस कार्य को अंजाम दे रहे है। इन माफि याओं द्वारा पंचायत को आवंटित खदानों पर न तो एनजीटी के नियमों का पालन किया जा रहा और न ही ग्रामीणों को सस्ते दर पर रेत उपलब्ध हो पा रही है। शासन की मंशा थी कि पंचायत को रेत खदाने आवंटित होने के बाद आम लोगों सहित गरीब तबके के लोगों को भी आसानी से रेत उपलब्ध हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पंचायत को जारी ओटीपी से यह माफि या सतना और पन्ना के लिए पिटपास जारी करते है जबकि रोजाना सैकड़ों की तादात में ट्रकों की निकासी यूपी के कानपुर और लखनऊ के लिए की जा रही है।
इनका कहना है :
रेत के अवैध उत्खनन को रोकने के लिए कई बार अधीनस्थ अमले को खनिज विभाग या पुलिस विभाग की टीम के साथ जाना होता है, इसलिए आँफिस में लोग नहीं मिल पाते हैं। हालांकि जनता के काम हो रहे हैं। हम लंबित मामले भी जल्द निपटा रहे हैं।
-राजेन्द्र शर्मा, सीईओ जनपद पंचायत लवकुशनगर
पूरी कोशिश होती है कि हम जनता के काम प्राथमिकता से करें, लेकिन हमारे पास अमले की कमी है। रेत के व्यवसाय से भी कुछ का प्रभावित होते हैं, लेकिन अधीनस्थ अमले को इस तरह के निर्देश दिए गए हैं कि वे जनता का काम प्राथमिकता से करे।
– अवनीश रावत, एसडीएम लवकुशनगर
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