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छतरपुर

फिर उठा मेडिकल कॉलेज का मुद्दा, संघर्ष समिति ने कहा- मेडिकल जरूरी, श्रेय की राजनीति में हो न जाए देर

भाजपा सरकार के पिछले कार्यकाल में हुआ था भूमिपूजन, लेकिन बजट के कारण शुरु नहीं हो सका कामकांग्रेस के कार्यकाल में केन्द्र को नहीं भेजा गया नाम, अब तक अटका हुआ है मेडिकल कॉलेज

छतरपुरSep 16, 2020 / 07:32 pm

Dharmendra Singh

chhatarpur medical college

chhatarpur medical college

छतरपुर। बड़ामलहरा की सभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मेडिकल कॉलेज का मुद्दा उठाया। जिससे जिले का सबसे अहम मुद्दा फिर से गर्मा गया है। शहर की जनता ने जिस मेडिकल कॉलेज के लिए तीन साल तक प्रदर्शन किए गए, धरने पर बैठे, मानव श्रंखला बनाई गई, कैंडल मार्च निकाला, हस्ताक्षर अभियान चलाया, उस मेडिकल कॉलेज छतरपुर का निर्माण अब तक शुरु नहीं हो सका है। वहीं, शहर की जनता की ओर से मेडीकल कॉलेज के लिए संघर्ष करने वाली समिति का कहना है कि मेडिकल कॉलेज सर्व हित के लिए हैं। सब मिलकर प्रयास करें और मेडिकल कॉलेज का निर्माण छतरपुर में जल्द शुरु हो।
इन कारणों से अटका है मेडिकल कॉलेज
भाजपा सरकार में छतरपुर मेडिकल कॉलेज की घोषणा व शिलान्यास तो किया गया, लेकिन प्रशासकीय स्वीकृति के बाद बजट आवंटन नहीं हुआ, टेंडर प्रक्रिया रद्द कर दी गई। इसके अलावा सबसे अहम बात ये कि कांग्रेस की सरकार ने छतरपुर मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को नहीं भेजा। इन्हीं सब कारणों के चलते केन्द्र की टैक्निकल इवैल्यूएशन कमेटी (टीइसी) द्वारा पिछले साल पास किए गए प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों में छतरपुर का नाम नहीं था।
इस वजह से छतरपुर का नाम लिस्ट से हुआ बाहर
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मेडिकल कॉलेजों की पात्रता का मूल्यांकन करने और मंजूरी देने वाली केन्द्र सरकार की टैक्निकल इवैल्यूएशन कमेटी (टीइसी) की 24 सिंतबर 2019 को हुई बैठक में गुना, बैतूल, बालाघाट, मंडला, मंदसौर, राजगढ़, श्योपुर, महेश्वर, छतरपुर, सिंगरौली समेत 10 मेडिकल कॉलेज का नाम था। टीइसी ने इन 10 में से 6 नाम के फायनल प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए प्रदेश सरकार से कहा। राज्य सरकार ने जो छह प्रस्ताव भेजे, उसमें छतरपुर का नाम नहीं था। वहीं, टीइसी ने भी प्रदेश से मेडिकल कॉलेज के लिए आए 6 फायनल प्रस्ताव में से सिर्फ 5 नीमच, मंदसौर, राजगढ़, मंडला और श्योपुर में मेडिकल कॉलेज खोलने को हरी झंड़ी दी है। इस तरह से छतरपुर का नाम मेडिकल कॉलेज की लिस्ट से बाहर हो गया है।

इन सब कारणों से कांग्रेस सरकार ने पीछे खींचा हाथ
शिवराज सिंह की कैबिनेट ने छतरपुर मेडिकल कॉलेज के लिए 300 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति तो दी, लेकिन राशि की उपलब्धता अनुसार बजट देने की शर्त रख दी। राज्य योजना से केवल 2 करोड़ रुपए कैंपस निर्माण के लिए स्वीकृत किए। इसके बाद टेंडर तो जारी किए गए, लेकिन बजट न होने से टेंडर प्रक्रिया ही निरस्त कर दी गई। बुंदलेखंड मेडिकल कलेज के डीन डॉ. जीएस पटेल को प्रभारी डीन बनाया गया, मेडिकल कॉलेज के लिए स्टाफ, संसाधन की रिपोर्ट भी मांगी गई। लेकिन प्रभारी डीन की रिपोर्ट पर आगे का काम नहीं हो सका। वहीं, जमीन का मसला फंसने से डीपीआर का निर्माण भी नहीं किया जा सका। इसके साथ ही नगरपालिका, टाउनएंड कंट्री प्लानिंग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आवश्यक अनुमतियों की कार्यवाही भी नहीं की गई। मेडिकल कॉलेज को लेकर अधूरी तैयारी व व्यवस्थाओं के साथ ही बजट न होने के कारण राज्य सरकार ने हाथ खींच लिए।
3 साल तक चले आंदोलन पर फिरा पानी
छतरपुर समेत आसपास के जिले के लोगों के लिए मेडिकल हब बन चुके छतरपुर में मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर जनता ने दो चरणों में बड़े आंदोलन किए। आंदोलन में सभी राजनीतिक दलों के नेता, समाजिक कार्यकर्ता, गणमान्य नागरिक, व्यापारी, नौकरी पेशा समेत सभी वर्ग के लोग शामिल हुए। प्रदर्शन किए गए, धरने पर बैठे, मानव श्रंखला बनाई गई, कैंडल मार्च निकाला गया, हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। यहां तक कि शहर बंद रखा गया। पहले चरण की तरह ही दूसरे चरण में भी इसी तरह से आंदोलन किया गया। वर्ष 2015 से 2018 तक लगभग सौ से ज्यादा प्रदर्शन आम जनता के द्वारा किए गए थे। जिसके बाद 15 अगस्त 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह लाल परेड ग्राउंड भोपाल में छतरपुर मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की। 30 सितंबर को चुनाव के पहले तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने छतरपुर मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास भी किया। इसके बाद शिवराज सरकार कैबिनेट ने 4 अक्टूबर 2018 को 300 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति भी दी। लेकिन तमाम कारणों से कॉलेज निर्माण अटका हुआ है।
ये कहना है लोगों को
मेडिकल कॉलेज संघर्ष मोर्चा के हरी अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर मेडिकल कॉलेज जल्द बनाए जाने की मांग की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने शासन से जवाब मांगा। शासन ने बजट न होने के कारण काम शुरु न कर पाने की बात कही है। इसके साथ ये भी कहा कि मेडिकल कॉलेज बनाया जाना है। जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि, मेडिकल कॉलेज छतरपुर की सबसे बड़ी मांग रही है। शिवराज सरकार ने मेडिकल कॉलेज को हरी झंड़ी दे दी, प्रक्रिया भी शुरु हुई, लेकिन धरातल पर इसको लेकर कोई काम नहीं हुआ है। पवन मिश्रा का कहना है कि, शहर के लोगों ने लंबे संघर्ष के जरिए मेडिकल कॉलेज को मंजूर करवाया। लेकिन कॉलेज निर्माण के नाम पर केवल बोर्ड लगा दिया गया है। मेडिकल कॉलेज का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया है। डॉ. राजेश अग्रवाल का कहना है कि जनता ने मेडिकल कॉलेज की उम्मीद के साथ आंदोलन किया था, नेताओं ने जो कहा, वो आश्वासन पूरा होना चाहिए। ये विश्वास और भरोसे की बात है। मेडिकल कॉलेज क्षेत्र की जरुरत है, जो जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए। वहीं विपिन अवस्थी का कहना है, कि छतरपुर के अस्पताल आसपास के कई जिलों के मरीज आते हैं, मेडिकल कॉलेज न केवल छतरपुर बल्कि आसपास के लोगों के लिए उपयोगी साबित होगा, वशर्ते मेडिकल कॉलेज का काम राजनीतिक लाभ-हानि से उठकर पूरा कराया जाए। मेडिकल कॉलेज के लिए संघर्ष कर रही मेडिकल संघर्ष समिति के संयोजक देवेन्दरदीप सिंह राजू सरदार ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर दोनों ही पार्टियां स्पष्ट रूप से अपना रूख नहीं बता पाई हैं। 20 सितम्बर के बाद इस संबंध में समिति के पदाधिकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं उच्च चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को ज्ञापन सौपेंगे। यदि सरकार से उचित जवाब नहीं मिला तो समिति सड़कों पर उतरेगी।
विधायक बोले- मेडिकल कॉलेज को लेकर झूठी बयानबाजी
छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छतरपुर के मेडिकल कॉलेज पर झूठी बयानबाजी की है। चतुर्वेदी ने कहा कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा कहते हैं कि छतरपुर का मेडिकल कॉलेज छिंदवाड़ा चला गया। मुख्यमंत्री कहते हैं कि मेडिकल कॉलेज महेश्वर चला गया। मंच से मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उक्त मेडिकल कॉलेज कांग्रेस ने छीन लिया, जबकि विधानसभा में सरकार ने जवाब दिया है कि उक्त मेडिकल कॉलेज के लिए कोई बजट पास नहीं किया गया है। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री और भाजपा के दूसरे नेता छतरपुर मेडिकल कॉलेज को लेकर एक राय क्यों नहीं हैं और यदि छतरपुर में मेडिकल कॉलेज की सौगात उन्होंने दी तो फिर इसके लिए बजट जारी क्यों नहीं किया। लिधौरा की सभा में भी मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट नहीं किया कि छतरपुर के मेडिकल कॉलेज के लिए वह क्या प्रयास करेंगे।
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