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रसूख दिखाने के लिए बिना नेम प्लेट के वाहनों में भी लगाए हूटर, आम जन के लिए बने सरदर्द

रसूख का जलवा दिखाने के लिए न केवल सरकारी अधिकारी बल्कि सरकारी कर्मचारी भी वाहनों में हूटर का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। मंगलवार को पत्रिका टीम ने जिला अस्पताल, नगरपालिका, कलेक्ट्रेट समेत शहर के प्रमुख स्थानों का जायजा लिया तो बिना नेम प्लेट के वाहनों में भी हूटर का रसूख नजर आया।

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वाहन में लगा हूटर

छतरपुर. रसूख का जलवा दिखाने के लिए न केवल सरकारी अधिकारी बल्कि सरकारी कर्मचारी भी वाहनों में हूटर का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं। मंगलवार को पत्रिका टीम ने जिला अस्पताल, नगरपालिका, कलेक्ट्रेट समेत शहर के प्रमुख स्थानों का जायजा लिया तो बिना नेम प्लेट के वाहनों में भी हूटर का रसूख नजर आया। जिले में हूटर के दुरूपयोग पर कार्रवाई न होने से हूटरबाजों की भरमार हो गई है। शहर की हर सडक़ पर हूटर वाले वाहन नजर आते हैं। जो अपने रसूख के लिए आम लोगों के लिए सिरदर्द बन गए हैं।

मुख्यमंत्री को भी नहीं अधिकार


कानून की बात करें तो मुख्यमंत्री का भी अपने वाहन में हूटर, सायरन लगाने का अधिकार नहीं है। हूटर सिर्फ फायर ब्रिगेड के वाहन, एंबुलेंस एवं पुलिस के वाहन में ही लगाया या इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके बावजूद जिला मुख्यालय व जिले में लगभग हर सडक़ पर दिन भर हूटर लगे वाहन धड़ल्ले से घूमते देखे जा सकते हैं। इनमें मंत्री, विधायक उनके रिश्तेदार और छुटभैये नेता भी अपना रसूख झाडऩे हूटर बजाते फिरते हैं।

यह हैं नियम


मोटरयान अधिनियम, 1988 की धारा 212- 1994 में नौ जुलाई 2013 को संशोधन कर उपनियम स्थापित किए गए हैं। इसके तहत किसी भी अग्निशमन यान (फायर ब्रिगेड का वाहन) के चालक को आग बुझाने के लिए जाते समय हूटर/ सायरन बजाने का अधिकार है। किसी भी एंबुलेंस के चालक भी गंभीर मरीज को उपचार हेतु ले जाते समय ही वाहन में लगे हूटर-सायरन को बजा सकता है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति या राज्य विधानसभा के एस्कोर्टिंग में लगे सुरक्षा वाहन हूटर का इस्तेमाल कर सकते हैं। सेना, पुलिस, कार्यपालिक दंडाधिकारी के वाहन चालक कानून व्यवस्था की स्थित बनने पर हूटर, सायरन का उपयोग कर सकते हैं। इनके अतिरिक्त किसी भी वाहन में लगा हूटर, सायरन अवैध है।

भीड़भाड़ वाली सडक़ों पर जमकर कर रहे इस्तेमाल


चालक भीड़भाड़ वाली सडक़ों पर वाहन चलाने के लिए इन हूटरों का जमकर इस्तेमाल करते हैं। अक्सर यातायात नियमों की अनदेखी करते हैं और पैदल चलने वालों तथा अन्य वाहन चालकों की जान को जोखिम में डालते हैं। इस लापरवाह व्यवहार के कारण कई दुर्घटनाएं हुई हैं और घटनाएं होते-होते बची हैं। इससे शहर की यातायात समस्याएं और भी बढ़ गई हैं। यह स्थिति शहर वासिों के लिए एक बड़ी परेशानी बन गई है, जो दिन और रात के कभी भी हूटरों के शोर के शिकार हैं। शोर का कोलाहल न केवल शांति को भंग करता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा करता है।

ध्वनि प्रदूषण के प्रति सजग हो प्रशासन


पुलिस, परिवहन अधिकारियों और निवासी कल्याण संघों जैसे विभिन्न हितधारकों के सहयोग से एक व्यापक कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए। ध्वनि प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों और अवैध रूप से हूटरों के उपयोग के कानूनी परिणामों के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किए जाने चाहिए।

हूटरों से संबंधित नियमों का सख्ती से हो पालन


इसके अलावा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकारी वाहन, जिनमें अधिकारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले वाहन भी शामिल हैं, हूटरों के उपयोग से संबंधित नियमों का पालन करें। इससे जनता को एक मजबूत संदेश जाएगा कि प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही किसी भी उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा।