छतरपुरPublished: Sep 14, 2018 11:38:26 am
rafi ahmad Siddqui
सजीव खेती प्रशिक्षण का दिया गया प्रशिक्षण
Training given to the traditional cultivation of extinct extinct
छतरपुर। भारतीय सांस्कृतिक निधी नई दिल्ली इंटेक व मप्र गांधी स्मारक निधि छतरपुर के द्वारा चलाये जा रहे जैविक खेती कार्यक्रम के अंतर्गत बुंदेलखंड के छतरपुर जिले के विकासखंड लवकुशनगर के बगमऊ गांव में तीन दिवसीय जैविक खेती प्रशिक्षण शिविर में जैविक खेती के तरीके बताए गए। कार्यक्रम में इंटेक नई दिल्ली से डॉ. रितु सिंह ने बताया कि बुंदेलखंड से विलुप्त हो रही पारंपरिक खेती को जीवंत कैसे बनाये रखा जाए इसको लेकर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। आज पारंपरिक खेती (जैविक खेती) को बचाना एक धरोहर का बचाने से कम नहीं है, उन्होंने कहा कि रसायनिक खेती के पहले किसान पारंपरिक खेती, गोबर की खाद, स्वदेशी बीजों के साथ स्वदेशी कीटनाशक का उपयोग करता था, आज हमें अपने पुरानी पारंपरिक खेती में लौटने की आवश्यकता है, जो पर्यावरण के संतुलन की दृष्टि से मानव के साथ-साथ पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवजंतुओं के लिए बहुत ही आवश्यक है।
शिविर में वर्धा महाराष्ट्र से वरिष्ठ जैविक कृषि विशेषज्ञ डॉ. प्रीति जोशी ने कुपोषण व स्वास्थ्य को देखते हुए गांव में महिला स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया। जिसमें गांव की महिलाओं का हीमोग्लोबिन और ब्लडप्रेशर चैक करके उनको उससे बचने के उपाय बताये और हीमोग्लोबिन बड़ाने के दृष्टि से महिलाओं को जैविक सब्जी खाने व लगाने के लिए गृहवाटिका लगाने का विधिवत प्रशिक्षण दिया। उसके बाद उन्होने शिविर में किसानों को जैविक खाद बनाने की नाडेप टांका, बायोडंग, केंचुआ खाद, हरित खाद, तरल खाद बनाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया। लोक विज्ञान संस्थान देहरादून के कृषि विशेषज्ञ विनोद निरंजन ने बुंदेलखंडीय कृषि तंत्र पर चर्चा की व जैविक विधि की आवश्यकता को उजागर करते हुए बताया कि यदि घाटे की कृषि को लाभ की कृषि में परिवर्तित करना है तो जैविक कृषि के साथ साथ मिश्रित कृषि को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने श्री विधि से खेती के तरीकों का व्यावहारिक ज्ञान देते हुए बीज चयन, बीज शोधन, बुवाई की विधियों के बारे में व खरपतवार नियंत्रण के जैविक तरीकों के बारे में बताया, कीटनियंत्रण की जैविक विधियों जैसे अग्नयास्त्र बनाने का प्रयोगिक प्रशिक्षण किया। साथ ही कीटों के विभिन्न प्रकारों उनके क्रिया कलापों की जानकारी देते हुए उन्हें नियंत्रित करने के यलो टेप, फेरोमेन टेप जैसे सहज तरीकों के बारे में भी बताया। शिविर में मप्र गांधी स्मारक निधि से विवेक गोस्वामी गोस्वामी ने कीटनियंत्रण व कीटनाशक के लिए लमित (लहसुन, मिर्च, तंबाकू) बनाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया। साथ ही गांधी आश्रम छतरपुर में हो रही जैविक खेती की विस्तार से जानकारी साझा की। कार्यक्रम में पं. प्रेमनारायण मिश्रा, रितु नरवरिया, भारती, कल्लू राजपूत, चंद्रपाल सिंह, विकास मिश्रा, गोलू मिश्रा, जीतू मिश्रा के साथ गांव लगभग 65 किसान उपस्थित रहे।