ये है मामला
अलीपुरा क्षेत्र के ग्राम बड़ागांव निवासी 65 वर्षीय किसान हरदयाल कुशवाहा के पांच बेटे और एक बेटी है। हरदयाल और उसकी पत्नी जानकी अपनी चार बीघा जमीन में सब्जी की फसल उगाकर जीवन-यापन करते आ रहे थे। पांचों बेटे परिवार के गुजर-बसर के लिए दिल्ली में मजदूरी करते थे। बहन की शादी के लिए परिवार ने 6 साल पहले सहकारी बैंक से 25 हजार रूपए का कर्ज लिया और बैंक ऑफ बड़ौदा से तीन साल पहले 80 हजार रूपए का कर्ज लिया था। लॉकडाउन के कारण पांचों बेटे दिल्ली से वापिस लौट आए और बेरोजगार होकर घर बैठ गए। इधर बैंक वाले पुराने कर्जे को लेकर परिवार को परेशान कर रहे थे जिसके चलते 60 वर्षीय जानकी कुशवाहा ने 16 सितम्बर को जहर खा लिया था। परिवार के लोग उसे छतरपुर के मिशन अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए जहां बुधवार की सुबह महिला ने दम तोड़ दिया।
अलीपुरा क्षेत्र के ग्राम बड़ागांव निवासी 65 वर्षीय किसान हरदयाल कुशवाहा के पांच बेटे और एक बेटी है। हरदयाल और उसकी पत्नी जानकी अपनी चार बीघा जमीन में सब्जी की फसल उगाकर जीवन-यापन करते आ रहे थे। पांचों बेटे परिवार के गुजर-बसर के लिए दिल्ली में मजदूरी करते थे। बहन की शादी के लिए परिवार ने 6 साल पहले सहकारी बैंक से 25 हजार रूपए का कर्ज लिया और बैंक ऑफ बड़ौदा से तीन साल पहले 80 हजार रूपए का कर्ज लिया था। लॉकडाउन के कारण पांचों बेटे दिल्ली से वापिस लौट आए और बेरोजगार होकर घर बैठ गए। इधर बैंक वाले पुराने कर्जे को लेकर परिवार को परेशान कर रहे थे जिसके चलते 60 वर्षीय जानकी कुशवाहा ने 16 सितम्बर को जहर खा लिया था। परिवार के लोग उसे छतरपुर के मिशन अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए जहां बुधवार की सुबह महिला ने दम तोड़ दिया।
न गरीबी रेखा का राशन कार्ड, न संबल योजना में नाम
मृतिका के बेटे ग्यासी कुशवाहा ने बताया कि 7 आदमी के एक गरीब परिवार जिसके पास सिर्फ चार बीघा जमीन थी उसके पास कोई गरीबी रेखा का राशन कार्ड नहीं है। कई बार प्रयास किया लेकिन राशन कार्ड नहीं बन सका। संबल योजना में भी परिवार का नाम दर्ज नहीं है। परिवार के सामने भूखों मरने की नौबत तीन महीने पहले ही आ गई थी। मां जब जहर खाकर अस्पताल पहुंची तब इलाज के लिए भी गांव के लोगों से 50 हजार रूपए 10 फीसदी ब्याज पर उठाए। अब मां भी चली गई और 50 हजार का अतिरिक्त कर्ज भी चढ़ गया। ग्यासी ने बताया कि मां कर्ज को लेकर परेशान थी जिसके चलते उसने खेत पर ही कीटनाशक पी लिया था।
मृतिका के बेटे ग्यासी कुशवाहा ने बताया कि 7 आदमी के एक गरीब परिवार जिसके पास सिर्फ चार बीघा जमीन थी उसके पास कोई गरीबी रेखा का राशन कार्ड नहीं है। कई बार प्रयास किया लेकिन राशन कार्ड नहीं बन सका। संबल योजना में भी परिवार का नाम दर्ज नहीं है। परिवार के सामने भूखों मरने की नौबत तीन महीने पहले ही आ गई थी। मां जब जहर खाकर अस्पताल पहुंची तब इलाज के लिए भी गांव के लोगों से 50 हजार रूपए 10 फीसदी ब्याज पर उठाए। अब मां भी चली गई और 50 हजार का अतिरिक्त कर्ज भी चढ़ गया। ग्यासी ने बताया कि मां कर्ज को लेकर परेशान थी जिसके चलते उसने खेत पर ही कीटनाशक पी लिया था।
जांच कराई जाएगी
महिला की मौत का मामला संज्ञान में आया है। बेटे के कथन अनुसार जो बैंक उन्हें परेशान कर रहे थे उनके संबंध में जांच की जाएगी।
समीर सौरभ, एएसपी, छतरपुर
महिला की मौत का मामला संज्ञान में आया है। बेटे के कथन अनुसार जो बैंक उन्हें परेशान कर रहे थे उनके संबंध में जांच की जाएगी।
समीर सौरभ, एएसपी, छतरपुर