6 माह से स्वीकृति के इंतजार में अटका निर्माण
पीडब्ल्यूडी के द्वारा दी गई जानकारी के मुातबिक इस 35 किमी लंबे मार्ग का निर्माण व 7 मीटर चौड़ा किया जाना है। छतरपुर से सटई तक इसे टू लेन बनाया जाएगा। इसके लिए सीआरएफ फण्ड से मंजूरी मिलनी है। सड़क निर्माण के लिए स्टीमेट भोपाल भेज दिया गया है। जैसे ही स्वीकृति मिलती है टेंडर जारी कर निर्माण शुरू होंगे। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल बारिश का मौसम होने के गड्ढों की मरम्मत भी नहीं की जा सकती है। उल्खेनीय है कि इस सड़क के निर्माण को मंजूरी लगभग 6 माह पहले मिल चुकी है लेकिन फाइल कछुआ गति से आगे बढ़ रही है जिससे लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ रहा है।
पीडब्ल्यूडी के द्वारा दी गई जानकारी के मुातबिक इस 35 किमी लंबे मार्ग का निर्माण व 7 मीटर चौड़ा किया जाना है। छतरपुर से सटई तक इसे टू लेन बनाया जाएगा। इसके लिए सीआरएफ फण्ड से मंजूरी मिलनी है। सड़क निर्माण के लिए स्टीमेट भोपाल भेज दिया गया है। जैसे ही स्वीकृति मिलती है टेंडर जारी कर निर्माण शुरू होंगे। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल बारिश का मौसम होने के गड्ढों की मरम्मत भी नहीं की जा सकती है। उल्खेनीय है कि इस सड़क के निर्माण को मंजूरी लगभग 6 माह पहले मिल चुकी है लेकिन फाइल कछुआ गति से आगे बढ़ रही है जिससे लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ रहा है।
ये कहना है लोगों का
सटई रोड निवासी रामपाल सिंह का कहना है कि शहर की सीमा में ही सटई रोड पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। बारिश का पानी गड्ढों में भरने से सड़क का नजारा तालाब जैसा हो जाता है। बाइक सवार अक्सर अनियंत्रित हो जाते हैं। पैदल चलना तो इन दिनों मुश्किल है। जलभराव-कीचड़ से मुसीबत और बढ़ गई है। सटई रोड पर ट्रैक्सी चलाने वाले रोहित का कहना है कि सड़क पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो गई है। वाहन अनियंत्रित हो जाते है। टूट-फूट भी बढ़ गई है। शिक्षिका नेहा परिहार ने बताया कि हमें स्कूल के लिए रोजाना सटई रोज से जाना होता है। एक साल पहले ही सड़क की मरम्मत हुई थी। लेकिन भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क टूट-फूट गई है। कई जगह घंस भी गई है। इससे बड़े गड्ढे बन गए हैं, जो रोजाना सड़क दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। सटई रोड के दुकानकार श्रीपाल का कहना है कि सड़क खराब होने से लोग इस तरफ आना नहीं चाहते हैं। ऐसे मे ंइस इलाके की दुकानों के व्यवसाय पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।
सटई रोड निवासी रामपाल सिंह का कहना है कि शहर की सीमा में ही सटई रोड पर बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। बारिश का पानी गड्ढों में भरने से सड़क का नजारा तालाब जैसा हो जाता है। बाइक सवार अक्सर अनियंत्रित हो जाते हैं। पैदल चलना तो इन दिनों मुश्किल है। जलभराव-कीचड़ से मुसीबत और बढ़ गई है। सटई रोड पर ट्रैक्सी चलाने वाले रोहित का कहना है कि सड़क पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो गई है। वाहन अनियंत्रित हो जाते है। टूट-फूट भी बढ़ गई है। शिक्षिका नेहा परिहार ने बताया कि हमें स्कूल के लिए रोजाना सटई रोज से जाना होता है। एक साल पहले ही सड़क की मरम्मत हुई थी। लेकिन भारी वाहनों की आवाजाही से सड़क टूट-फूट गई है। कई जगह घंस भी गई है। इससे बड़े गड्ढे बन गए हैं, जो रोजाना सड़क दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। सटई रोड के दुकानकार श्रीपाल का कहना है कि सड़क खराब होने से लोग इस तरफ आना नहीं चाहते हैं। ऐसे मे ंइस इलाके की दुकानों के व्यवसाय पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है।
यहां ज्यादा मुसीबत
सटई रोड पर सड़क चौड़ीकरण का अधूरा काम मुसीबत बना हुआ है। ऊपर से गड्ढों में मुश्किलें बढ़ा दी है। गल्ला मंड़ी के गेट पर, बेहर के हनुमान मंदिर के सामने, पीतांबरा मंदिर के सामने, बूढ़ा, अतरार, पड़रिया गांव के पास सड़क कई जगह घंस गई है। सड़क के गड्ढे इतने बड़े और गहरे है कि तेज रफ्तार वाहनों में टूट फूट हो जा रही है। वहीं, गड्ढों की वजह से रोजाना आवागमन
करने वालों की मुसीबत सबसे ज्यादा बढ़ गई है।
सटई रोड पर सड़क चौड़ीकरण का अधूरा काम मुसीबत बना हुआ है। ऊपर से गड्ढों में मुश्किलें बढ़ा दी है। गल्ला मंड़ी के गेट पर, बेहर के हनुमान मंदिर के सामने, पीतांबरा मंदिर के सामने, बूढ़ा, अतरार, पड़रिया गांव के पास सड़क कई जगह घंस गई है। सड़क के गड्ढे इतने बड़े और गहरे है कि तेज रफ्तार वाहनों में टूट फूट हो जा रही है। वहीं, गड्ढों की वजह से रोजाना आवागमन
करने वालों की मुसीबत सबसे ज्यादा बढ़ गई है।