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छतरपुर

उज्जवला से रोशन नहीं हो पा रहे सभी हितग्राहियों के घर, 40 फीसदी ही करा रहे सिलेंडर रिफिल

केवल 40 फीसदी ही सिलेंडर नियमित रुप से रिफिल करा रहे हैं। 60 फीसदी लोग इस योजना से जुडऩे के बावजूद लाभ नहीं उठा रहे हैं।

छतरपुरNov 06, 2024 / 10:37 am

Dharmendra Singh

ujjawala

ग्रामीण इलाके में इस तरह चूल्हे के लिए लकड़ी ले जाती नजर आती हैं महिलाएं

छतरपुर. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना योजना का मुख्य उद्देश्य गांव एवं शहरों में गरीब परिवारों को गैस क नेक्शन देकर उन्हें लकड़ी और कंडे के धुएं से निजात दिलाना रहा है। लेकिन उज्ज्वला योजना के कनेक्शन लेने में कमीशन और फिर सिलेंडर रिफिल कराने में रुपए लगने, सिलेंडर भराने के लिए गांव से दूरे जाने जैसे कारणों के चलते उज्ज्वला के कनेक्शन शोपीस बन गए हैं। वहीं, जिले में 2011-12 से योजना के लागू होने के बाद भी 40 हजार घरों में उज्ज्वला गैस के कनेक्शन नहीं पहुंच पाए है। 2011 की जनगणना के आधार जिले को 4 लाख 48 हजार 216 उज्वला गैस कनेक्शन का लक्ष्य दिया गया था। खाद्य विभाग ने लक्ष्य के आधार पर अब 4 लाख 8 हजार 108 कनेक्शन पात्र उपभोक्ताओं का उपलब्ध करा दिए गए। लेकिन इन कनेक्शनधारियों में से केवल 40 फीसदी ही सिलेंडर नियमित रुप से रिफिल करा रहे हैं। 60 फीसदी लोग इस योजना से जुडऩे के बावजूद लाभ नहीं उठा रहे हैं।

लकड़ी सस्ती पडऩे से रिफिल में रुचि नहीं, लेकिन सब्सिडी से बढ़ा रुझान


उज्ज्वला योजना के तहत जिले के ग्रामीणों ने कनेक्शन तो ले लिए, लेकिन एक बार सिलेंडर खाली हो जाने के बाद दोबारा रिफिल नहीं कराए। गैस की तुलना में लकड़ी सस्ती पडने और गांव में ही उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। वहीं खाने के स्वाद को लेकर भी ग्रामीण गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। सब्सिडी नहीं मिलने से बाजार दर पर गैस भरवाने से भी गरीब हितग्राही पीछे हट गए।

इसलिए नहीं भरवा रहे गैस सिलेंडर


उज्ज्वला कनेक्शन लेने वाले ग्रामीण भी जानते हैं, कि खाना बनाते समय चूल्हे से निकलने वाले धुएं से उनकी आखों, फेंफड़ों में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है, इसके अलावा और भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ग्रामीणों ने गैस कनेक्शन तो ले लिए लेकिन एक बार सिलेंडर खत्म हो जाने के बाद दोबारा रिफिल नहीं कराए। बिलहरी, दौरिया समेत कई गांव की महिलाओं श्यामबाई अहिरवार, कृष्णा राजपूत, शिला प्रजापति, मीना प्रजापति, गायत्री, रानी, गीता प्रजापति ने बताया कि हमने तीन साल पहले गैस कनेक्शन लिया था, कनेक्शन के बाद आज तक गैस नहीं भरवाई। गैस न भरवाने की वजह पूछने पर उनका कहना है कि, गैस मंहगी है जिसके कारण उसको भराना मुश्किल होता है, सब्सिडी मिलती भी है तो बाद में, पहले तो रुपए लगाने पड़ते हैं। लीलाबाई ने बताया कि पति मजदूरी करते है, मजदूरी में इतना पैसा ही मिल पता है जिसमें परिवार का भरण पोषण बड़ी मुश्किल से होता है। गैस के लिए पैसे ही नहीं बचते इसलिए मजबूर होकर कंडे एवं लकड़ी जला कर चूल्हे से खाना बनाना पड़ता है।

खाना का स्वाद भी वजह


मौराहा, गठेवरा, चुरारन की रामाबाई, कलावती, राधा रानी आदि महिलाओं ने बताया कि गैस से खाना बनाने पर खाना का स्वाद लकड़ी जैसा नहीं रहता है। इसके अलावा पेट में गैस की शिकायत होने लगी थी, इसलिए भी गैस सिलेंडर दोबारा नहीं भरवाए। लकड़ी गांव में आसानी से मिल जाती है। हमारे खेतों में लगे पेड़ों से निकली जलावन हमें फ्री में ही मिलती है। जबकि गैस के लिए रुपए देने होते हैं। इन्ही कारणों से हमने गैस का इस्तेमाल बंद कर दिया है।

फैक्ट फाइल :


उज्ज्वला कनेक्शन – 408000
उज्ज्वला डिस्ट्रीब्यूटर- 27
सिलेंडर रिफिलिंग प्रतिशत- 40

इनका कहना है


जिन पात्र हितग्राहियों का उज्ज्वला का गैस कनेक्शन नहीं मिल पाया है। चालू वित्तीय वर्ष में उनकी केवाइसी कराकर योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।
सीताराम कोठारे, डीएसओ

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