लकड़ी सस्ती पडऩे से रिफिल में रुचि नहीं, लेकिन सब्सिडी से बढ़ा रुझान
उज्ज्वला योजना के तहत जिले के ग्रामीणों ने कनेक्शन तो ले लिए, लेकिन एक बार सिलेंडर खाली हो जाने के बाद दोबारा रिफिल नहीं कराए। गैस की तुलना में लकड़ी सस्ती पडने और गांव में ही उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। वहीं खाने के स्वाद को लेकर भी ग्रामीण गैस का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। सब्सिडी नहीं मिलने से बाजार दर पर गैस भरवाने से भी गरीब हितग्राही पीछे हट गए।
इसलिए नहीं भरवा रहे गैस सिलेंडर
उज्ज्वला कनेक्शन लेने वाले ग्रामीण भी जानते हैं, कि खाना बनाते समय चूल्हे से निकलने वाले धुएं से उनकी आखों, फेंफड़ों में कई प्रकार की बीमारियां हो जाती है, इसके अलावा और भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ग्रामीणों ने गैस कनेक्शन तो ले लिए लेकिन एक बार सिलेंडर खत्म हो जाने के बाद दोबारा रिफिल नहीं कराए। बिलहरी, दौरिया समेत कई गांव की महिलाओं श्यामबाई अहिरवार, कृष्णा राजपूत, शिला प्रजापति, मीना प्रजापति, गायत्री, रानी, गीता प्रजापति ने बताया कि हमने तीन साल पहले गैस कनेक्शन लिया था, कनेक्शन के बाद आज तक गैस नहीं भरवाई। गैस न भरवाने की वजह पूछने पर उनका कहना है कि, गैस मंहगी है जिसके कारण उसको भराना मुश्किल होता है, सब्सिडी मिलती भी है तो बाद में, पहले तो रुपए लगाने पड़ते हैं। लीलाबाई ने बताया कि पति मजदूरी करते है, मजदूरी में इतना पैसा ही मिल पता है जिसमें परिवार का भरण पोषण बड़ी मुश्किल से होता है। गैस के लिए पैसे ही नहीं बचते इसलिए मजबूर होकर कंडे एवं लकड़ी जला कर चूल्हे से खाना बनाना पड़ता है।
खाना का स्वाद भी वजह
मौराहा, गठेवरा, चुरारन की रामाबाई, कलावती, राधा रानी आदि महिलाओं ने बताया कि गैस से खाना बनाने पर खाना का स्वाद लकड़ी जैसा नहीं रहता है। इसके अलावा पेट में गैस की शिकायत होने लगी थी, इसलिए भी गैस सिलेंडर दोबारा नहीं भरवाए। लकड़ी गांव में आसानी से मिल जाती है। हमारे खेतों में लगे पेड़ों से निकली जलावन हमें फ्री में ही मिलती है। जबकि गैस के लिए रुपए देने होते हैं। इन्ही कारणों से हमने गैस का इस्तेमाल बंद कर दिया है।
फैक्ट फाइल :
उज्ज्वला कनेक्शन – 408000
उज्ज्वला डिस्ट्रीब्यूटर- 27
सिलेंडर रिफिलिंग प्रतिशत- 40
इनका कहना है
जिन पात्र हितग्राहियों का उज्ज्वला का गैस कनेक्शन नहीं मिल पाया है। चालू वित्तीय वर्ष में उनकी केवाइसी कराकर योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।
सीताराम कोठारे, डीएसओ