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संतों की मौजूदगी में हुआ चाचा की रसोई का शुभारंभ

locationछतरपुरPublished: Oct 15, 2021 06:22:59 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

भूखे को भोजन देना नारायण को भोग लगाने के समान है-किशोरदास जी महाराजजो सिर्फ अपना सोचे वह दानव,जो सबकी सोचे वह मानव-बागेश्वर महाराजमें सिर्फ माध्यम हूं,करने वाला ईश्वर है-आलोक चतुर्वेदी

भूखे को भोजन देना नारायण को भोग लगाने के समान है

भूखे को भोजन देना नारायण को भोग लगाने के समान है


छतरपुर। भक्ति का मार्ग अति सरल मार्ग है। इस मार्ग में भक्त बड़ी सरलता से अपनी सेवा और दया के माध्यम से भगवत प्राप्ति कर सकता है। जैसे अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण के समक्ष समर्पित होकर सब कुछ पा लिया था। भक्ति सिर्फ यह नही कि एक लोटा जल से भगवान का अभिषेक कर दिया भक्ति तो जीव मात्र की सेवा से प्रेम का भाव है। किसी भूखे को भोजन और प्यासे को पानी देना श्री नारायण को भोग लगाने के समान है। उक्त आशीर्वचन श्री किशोरदास जी महाराज ने विजयदशमी एवं छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी पज्जन भैया के जन्मदिवस के अवसर पर आयोजित चाचा की रसोई के शुभारंभ अवसर पर व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आलोक चतुर्वेदी पर ठाकुर जी की कृपा और सन्तों का आशीर्वाद है कि वे आज यह उत्तम कोटि की सेवा कर पा रहे हैं। उन्होंने आशीर्वाद दिया कि आज आलोक चतुर्वेदी छतरपुर की सेवा कर रहे हैं। भगवान उन्हें इस योग्य बनाये की वे जगत सेवा के माध्यम बनें।
इस अवसर पर श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने अपने उदबोधन में एक कथा का उल्लेख करते हुये मानव और दानव का अंतर समझाया। उन्होंने कहा कि दानव वह है जो सिर्फ अपने स्वार्थ के विषय में सोचता है, मानव वही है जो सबके विषय में सोचता है। उन्होंने कहा कि संत की कृपा से व्यक्ति का चित्त और जीवन दोनों पवित्र हो जाते हैं इसका सबसे बड़ा उदाहरण खेलग्राम परिवार है।
कार्यक्रम में महाराजपुर विधायक नीरज दीक्षित ने अपने विचार रखते हुए कहा कि संतों के मार्गदर्शन से व्यक्ति का जीवन सद्मार्ग पर चलता है। संतों की अनुपम कृपा है कि आज विधायक आलोक चतुर्वेदी छतरपुर को यह सौगात दे रहे हैं। कार्यक्रम में उद्बोधन के पूर्व सन्तों ने द्वार पूजन और रिविन काटकर पहले रसोई का शुभारंभ किया तदोपरांत रसोई में ही माँ अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा की गई। संतों ने पौधरोपण किया और इसके बाद कन्याभोज के साथ भंडारा प्रारंभ हुआ। तदोपरान्त जिले भर से आये साधु, संतों का भंडारा हुआ और फिर जनमानस ने प्रसाद ग्रहण किया। संतों का स्वागत खेलग्राम परिवार ने किया आभार प्रदर्शन निखिल चतुर्वेदी और सियाराम रावत ने किया जबकि संचालन प्रभात अग्रवाल के द्वारा किया गया।

रसोई के शुभारंभ अवसर पर कार्यक्रम के आयोजन विधायक आलोक चतुर्वेदी पज्जन भैया ने कहा कि अब लोग कहेंगे कि छतरपुर एक ऐसा शहर है जो अपने यहां आने वालों को, गरीबों, बेसहारा, असहाय लोगों को भूखा नही रखता। एक जगह ऐसी है जहां शगुन का एक रुपया देकर भरपेट भोजन की तृप्ति मिलती है। एक रुपये इसीलिए लिया जा रहा है ताकि किसी के स्वाभिमान को चोट न पहुंच कि वह मुफ्त में खाना खा रहा है। उन्होंने कहा कि हम जब इस सेवा को शुरू करने का विचार कर रहे थे तब हमने इसकी जरूरत को पहचाना, हमने पाया की शहर के मंदिरों के बाहर ऐसे लोगों की बहुत बड़ी संख्या है जो एक वक्त के भोजन के लिए भी सहायता करने वालों का इंतजार करते रहते हैं। मजदूर, रिक्शा चालक, गरीब तबका जो दिन भर में 100 से 200 रुपये कमाता है वह 100 रुपये का भोजन करने के पहले कई बार सोचता है। इसी तरह अस्पताल, तहसील, अदालत में आने वाले जिले भर के लोग हों या बस स्टैंड पर आने वाले गरीब मुसाफिर हों उनकी बहुत बड़ी संख्या है जो खाने के लिए परेशान रहते हैं। ऐसे लगभग 500 से 1000 लोग हैं जो रोज सस्ते भोजन की आवश्यकता से गुजरते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह रसोई वरदान बनेगी, ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है।

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