शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सकों की लापरवाही जारी
छतरपुरPublished: Jan 27, 2023 08:25:40 pm
हर रोज घायल हो रहे पशुओं की सूचना के बाद भी नहीं पहुंच रहे चिकित्सक


शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सकों की लापरवाही जारी
छतरपुर. शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण इलाकों में मवेशियों का इलाज कराने के लिए लोगों को निजी डॉक्टरों के पास जाना पड़ रहा है। क्षेत्रों में तैनात पशु चिकित्सकों द्वारा अपने मुख्यालय में न रहने और समय पर इलाज के लिए नहीं पहुंचने से पशु पालकों को परेशानी हो रहा है। इसको लेकर कई बाद शिकायतें की गईं लेकिन फिर भी डॉक्टरों की लापरवाही जारी है।
जानकारी के अनुसार जिले में कुछ ३४ शासकीय पशु अस्पताल हैं और करीब १७-१८ डॉक्टर हैं। जिनमें से करीब ६ डॉक्टर मुख्यालय में ही पदस्थ हैं। इनके ऊपर क्षेत्र भर के पशु पालकों की सूचना पर डॉक्टरों को पहुंचकर जांच करना और पशुओंको उचित दवाई देना होता है। लेकिन हालात हैं कि ग्रामीण इलाकों में सूचना देने के बाद भी डॉक्टर समय से नहीं पहुंच पा रहे हैं और इससे पशुओं का समय से इलाज नहीं हो पाता है। इसके बाद लोग निजी डॉक्टरों के पास पशुओं को ले जाते हैं या फिर उन्हें घर बुलाकर इलाज करा रहे हैं जिससे उन्हें मनमानी फीस और दवाईयों को खर्चा उठाना पड़ रहा है। वहीं इसके साथ ही आवारा फिर रही मवेशियों के घायल होने की स्थिति में आम लोग जहां सरकारी डॉक्टरों को फोन कर सूचना देते हैं लेकिन डॉक्टर नहीं पहुंच पाते हैं। जिससे ऐसे मवेशी का इलाज नहीं होता है। हालांकि कुछ स्थानों में समाजसेवियों द्वारा सूचना मिलने पर गौवंश का इलाज किया जा रहा है। जिससे पशुओं को राहत मिल रही है। लेकिन शासकीय सेवा में लगे डॉक्टर ऐसे पशुओं को नजरअंदाज कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा खराब हालात हाइवे किनारे गांवों के हैं जहां पर हर रोज कहीं न कहीं पर मवेशी घटना का शिकार होकर घायल हो रहे हैं और राहगीरों और ग्रामीणों की सूचना पर डॉक्टर नहीं पहुंचते हैं और कई दिनों तक ऐसे जानवरों को इलाज नहीं मिलता है। जिससे धीरे-धीरे उनके शरीर में कीड़े पनपने लगे हैं। अलीपुरा, पचवारा, नौगांव, गंज बमीठा से खजुराहो, पन्ना की ओर गए हाइवे में और कैमाहा से लेकल बडामलहरा के आगे तक गए हाइवे में आने वाले गांवों के पास सड़क में आने के दौरान वाहनों से टकराकर मवेशी घायल हो जाते हैं। ऐसे में इन्हें समय से इलाज नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कई बाद मवेशियों की मौत तक हो जाती है। गंज निवासी नमन कुशवाहा, वैभव सोनी आदि ने बताया कि आए दिन गांव के पास में मवेशियों के घायल होने की सूचना मिलती है। जिसपर लोग डॉक्टर को सूचना देते हैं। लेकिन डॉक्टर व्यस्त होने या आने में असमर्थता जताते हैं। जिससे परेशानी होती है। वहीं छतरपुर, नौगांव, खजुराहो, बडामहरा सहित शहरी इलाकों में भी डॉक्टरों की सहायता नहीं मिलने से कुछ समाजसेवियों द्वारा ही इलाज का सहारा है।