हरपालपुर थाना इलाके के एक गांव में 20 साल की राजपूत समाज युवती के साथ पड़ोस के युवक ने दुष्कर्म किया। युवती थाना न जाए इसके लिए आरोपी ने पहले गांव में पंचायत बुलाई। ताकि मुआवजा देकर मामले को रफा दफा किया जाए। लेकिन पीडि़त व उसका भाई कानूनी कार्रवाई चाहते हैं। इसलिए वे मंगलवार को हरपालपुर थाना पहुंचे, जहां पुलिस ने कहा कि ऐसे रिपोर्ट नहीं लिखी जाती, छतरपुर से कल महिला सब इंस्पेक्टर आएंगी तब रिपोर्ट होगी। भाई का आरोप है कि पुलिस रिपोर्ट नहीं लिख रही है। उसका दावा है कि थाना के सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि वो दोनों मंगलवार को दिन भर थाना में बैठे। बुधवार को भाई बहन के साथ उनकी मां भी थाने गई। महिला सब इंस्पेक्टर अमिता अग्निहोत्री युवती की शिकायत दर्ज करने थाना आई भी, लेकिन न तो उसकी शिकायत दर्ज हुई और न ही युवती का मेडिकल परीक्षण कराया गया। भाई का ये भी आरोप है कि पुलिस उन्हें उलटा समझा रही है कि तुम्हारी बहन कोर्ट में बयान नहीं दे पाएगी। कोई मतलब नहीं है एफआइआर कराने का। पुलिस ने दवाब बनाकर पीडि़त से कार्रवाई न करवाने का आवेदन भी लिखवा लिया और गांव में ही पंचायत निपटाने की हिदायत देकर भगा दिया।
उठ रहे ये सवाल
आखिर जिले की पुलिस दुष्कर्म या महिला हिंसा के मामलों की एफआइआर क्यों नहीं कर रही है। महिला अपराधों के ग्राफ को कम करने का पुलिस का ये तरीका सवालों के घेरे में है। हरपालपुर वाले मामले में युवती डरे होने के कारण अपनी आप बीती ठीक से बोलकर बता भी नहीं पा रही है। ऊपर से पुलिस ने दो दिन से चक्कर लगवाने के बाद भी एफआइआर न करके पीडि़ता की मुश्किलें बढ़ा दी है। पीडि़त इतने परेशान है कि उन्होंने कार्रवाई न करने के आवेदन पर हस्ताक्षर तक कर दिए। वहीं एक सवाल ये भी है कि बलात्कार जैसा संगीन अपराध हुआ है, तो क्या पुलिस के संज्ञान में आने के बाद भी कार्रवाई न होना कानूनी रुप से ठीक है। पीडि़त कार्रवाई नहीं चाहते तो दो दिन तक थाना क्यों आते? आखिर किस दवाब में पीडि़त ने कार्रवाई न करने का आवेदन लिखा?
आखिर जिले की पुलिस दुष्कर्म या महिला हिंसा के मामलों की एफआइआर क्यों नहीं कर रही है। महिला अपराधों के ग्राफ को कम करने का पुलिस का ये तरीका सवालों के घेरे में है। हरपालपुर वाले मामले में युवती डरे होने के कारण अपनी आप बीती ठीक से बोलकर बता भी नहीं पा रही है। ऊपर से पुलिस ने दो दिन से चक्कर लगवाने के बाद भी एफआइआर न करके पीडि़ता की मुश्किलें बढ़ा दी है। पीडि़त इतने परेशान है कि उन्होंने कार्रवाई न करने के आवेदन पर हस्ताक्षर तक कर दिए। वहीं एक सवाल ये भी है कि बलात्कार जैसा संगीन अपराध हुआ है, तो क्या पुलिस के संज्ञान में आने के बाद भी कार्रवाई न होना कानूनी रुप से ठीक है। पीडि़त कार्रवाई नहीं चाहते तो दो दिन तक थाना क्यों आते? आखिर किस दवाब में पीडि़त ने कार्रवाई न करने का आवेदन लिखा?
दस दिन के अंदर तीसरा मामला, जब एफआइआर से की आनाकानी
जिले में दस दिन के अंदर ये तीसरा मामला है जब पुलिस ने बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में एफआइआर करने में आनाकानी की है। चंदला थाना इलाके के एक गांव में बलात्कार पीडि़त की आत्महत्या के बाद भाई के चीख चीख कर कहने के वाबजूद पुलिस ने आरोपी पर कार्रवाई नहीं है। पुलिस पीएम रिपोर्ट के बहाने मामले को लटकाए रही। युवती की जान चली गई, उसके भाई के आरोप को ही पुलिस ने नकार दिया। जबकि पूरे घटनाक्रम के कारण ही युवती की जान चली गई। वहीं दूसरे मामले में पुलिस ने नौगांव थाना इलाके में युवती से बलात्कार व बेरहमी से मारपीट के मामले को सड़क एक्सीडेंट बता दिया, हालांकि बाद में केस दर्ज किया, लेकिन अब हरपालपुर में पुलिस बलात्कार की एफआइआर नहीं करना चाह रही है।
जिले में दस दिन के अंदर ये तीसरा मामला है जब पुलिस ने बलात्कार जैसे संगीन अपराधों में एफआइआर करने में आनाकानी की है। चंदला थाना इलाके के एक गांव में बलात्कार पीडि़त की आत्महत्या के बाद भाई के चीख चीख कर कहने के वाबजूद पुलिस ने आरोपी पर कार्रवाई नहीं है। पुलिस पीएम रिपोर्ट के बहाने मामले को लटकाए रही। युवती की जान चली गई, उसके भाई के आरोप को ही पुलिस ने नकार दिया। जबकि पूरे घटनाक्रम के कारण ही युवती की जान चली गई। वहीं दूसरे मामले में पुलिस ने नौगांव थाना इलाके में युवती से बलात्कार व बेरहमी से मारपीट के मामले को सड़क एक्सीडेंट बता दिया, हालांकि बाद में केस दर्ज किया, लेकिन अब हरपालपुर में पुलिस बलात्कार की एफआइआर नहीं करना चाह रही है।
इनका कहना है
पुलिस मामले में एफआइआर करने को तैयार है। महिला सब इंस्पेक्टर ने बयान भी लिए। लेकिन उन्होंने लिखकर दिया है कि वे इस मामले में कार्रवाई नहीं चाहते हैं। धर्मेन्द्र सिंह, टीआई हरपालपुर