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video सरकारी ऑफिसों और बड़े होटलों में आग से निपटने नहीं ठोस इंतजाम

locationछतरपुरPublished: Feb 13, 2019 05:47:06 pm

Submitted by:

Unnat Pachauri

जहां है वहां सालों पहले एक्सपायर हो चुकी डेट, फिर जारी है लापरवाही अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, जिला प्रशासन व कलेक्ट्रट कार्यालय में नहीं आग से निबटने की व्यवस्था नाकाफी

video सरकारी ऑफिसों और बड़े होटलों में आग से निपटने नहीं ठोस इंतजाम

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उन्नत पचौरी
छतरपुर। शर्दी का मौसम विदा लेने के साथ ही गर्मी के मौसम के आने की आहट आने लगी है। गर्मियों के मौसम में आमतौर पर ४४-४५ डिग्री तापमान होना आम बात है और 44 डिग्री तापमान में निकली छोटी सी चिंगारी पल भर में बड़े-से-बड़े आशियाने को तबाह कर सकती है। आग लगने की घटनाओं के चलते हर दिन लाखों-करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हो जाता है। इस आकस्मिक तबाही से सुरक्षा और बचाव को लेकर राज्य सरकार ने आवश्यक निर्देश दिए जाते हैं लेकिन सरकारी तंत्र ही इन चेतावनियों और निर्देशों से अनजान बना रहता है और आगजनी की घटना होने के बाद भी नहीं चेतता है।
बुधवार को पत्रिका टीम ने कलेक्ट्रट और जिला अस्पताल सहित सरकारी दफ्तरों पर अग्निशमन सुरक्षा उपायों का जायजा लिया। इस दौरान हर जगह खामियां ही खामियां नजर आईं। कहीं बिजली के खुले तार दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहे हैं, तो कहीं आग लगने पर उससे बचाव को लेकर अग्निशामक उपकरणों की कमी दिखाई दी।
जिले के सरकारी कार्यायलसें में अधिकतर यंत्र या तो एक्सपायर डेट के हो गए हैं या फिर खराब हो चुके हैं। अस्पताल में इन सिस्टम को चलाने का प्रशिक्षण भी पिछले कई सालों से किसी को नहीं दिया गया है। दूसरी सबसे बड़ी परेशानी यहां बिजली के शॉर्ट सर्किट का बना हुआ है। वहीं जिला अस्पताल में कुछ समय पहले शॉर्ट शर्किट से एसएनसीयू और सिविल सर्जन कार्यायल के स्टोर रूम मेंं आगजनी की घटनाएं हो चुकी है। लेकिन इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन नहीं चेता है।
कलेक्ट्रेट में फायर फाइटिंग सिस्टम का अभाव :
कलेक्ट्रेट कार्यालय में फायर फाइटिंग सिस्टम का भारी अभाव है। कलेक्ट्रेट के एक हिस्से में जहां पर कलेक्टर का चेंबर है वहां अग्निशमक यंत्र का सिलेंडर दिखाई दिया लेकिन उसकी एक्सपायरी डेट १६ फरवरी २०१६ की है। जिले के मुखिया कलेक्टर के चैंबर के सामने लगे अग्निरोधी सिलिंडर की तीन साल पहले एक्सपायरी डेट निकलने के बाद भी उसे अब तक चेंज नहीं कराया गया। वहीं इस बिल्डिंग में अभिलेखागार, निर्वाचन कार्यालय, आपूर्ति शाखा सहित दर्जनों विभागों के कार्यालय कलेक्ट्रेट में हैं लेकिन पूरे कलेक्ट्रट कार्यालय और परिसर में आग बुझाने के कोई भी इंतजाम नहीं है। साथ यहां पर बड़ी संख्या में बिजली के पुराने और खुले तारों को जाल फैला हुआ है। ऐसे में अगर एक भी चिंगारी भड़की तो सिर्फ नगर पालिका की अग्नि शमन वाहन के अलावा कलेक्ट्रट में कोई चारा नहीं है। यहां पर अभिलेखागार में भारी संख्या में अभिलेख और फायलें हैं और वहां पर भी अग्निरोधी यंत्र नहीं हैं।
जिला शिक्षा कार्यालय में भी अग्निशमन यंत्र :
जिला शिक्षा कार्यालय में दस्तावेजों से पूरा कार्यालय भरा पड़ा है। एक कमरे में सिर्फ दस्तावेज ही रखे हुए हैं। पर बंद कमरे में उन दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए एक अग्निशमन यंत्र भी नहीं है। एक यंत्र है भी तो वह भी ऐसे कोने में पड़ा है, जहां से आग लगने पर आसानी से निकाला भी नहीं जा सकता। अधिकारियों व कर्मियों से बात करने पर पता चला कि वहां पर किसी भी व्यक्ति को फायर एक्सिंगग्विशर चलाने का अनुभव तक नहीं है। उनको इसकी ट्रेनिंग तक नहीं दी गई।
होटल और लॉज में नियम दरकिनार :
आगजनी की दुर्घटना से निपटने के लिए शासन द्वारा समय-समय दिए जाने वाले निर्देशों को होटल और लॉज संचालकों द्वारा दरकिनार किया जा रहा है। जिससे हालात यह हैं कि अब भी शहर के किसी भी लॉज और बडे छोटे होटलों में आगजनी जैसी गंभीर दुर्घटना से निपटने के समुचित प्रबंध नहीं हैं। बीते रोज दिल्ली के एक बडे होटल में आग जनी की घटना हो गई। लेकिन इदसके बाद भी शहर के एक भी होटल में आगजनी से बचने और आग लगने केे घटना को रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। शहर के कई लॉज और होटलों का निर्माण सुरक्षा के निर्धारित मापदंड के अनुरुप नहीं किया गया और न ही वहां आगजनी से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र, स्मोक सेंसर, फायर अलार्म, आपातकालीन खिड़की या दरवाज की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा आपातकालीन नंबर भी नहीं लिखे जाते हैं।
जिले में आधुनिक दमकल वाहनों की कमी :
आग को बुझाने में देश और दुनिया भले ही तकनीकी तौर पर कितनी भी आगे बढ़ चुकी हो। लेकिन जिले में अभी भी इन तकनीकों से कोसों दूर है। जिले में दमकल विभाग कितना हाईटेक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विभाग के पास अभी ऐसा कोई आधुनिक दमकल वाहन नहीं है। जो ऊंची इमारतों में लगी आग को बुझाने में सक्षम हो सके। दमकल कर्मियों को आग से घिरी ऊंची इमारतों में जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। जानकारों के अनुसार विभाग के पास इस वक्त टर्न टेबल लैडर, हाइड्रोलिक प्लेटफार्म, टिल्लर लैडर जैसे आधुनिक उपकरणों से युक्त आधुनिक दमकल वाहन नहीं हैं।
बदले ही नहीं जाते सिलेंडर :
सरकारी भवनों में कई जगह फायर फाइटिंग सिलेंडर लगाए तो गए हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में इन्हें रीफिल नहीं किया जाता और सालों मानकों के अनुसार इन सिलेंडरों को एक साल में बदलना जरूरी है। लेकिन यहां कलेक्ट्रट से लेकर स्कूलों और दूसरे सरकारी भवनों और कार्यालयों में कई साल पुराने सिलेंडर पड़े रहते हैं। जिनको बदलने की कभी जहमत नहीं उठाई जाती।
फायर फाइटिंग संयंत्र काम चलाऊ :
स्टैंडिंग फायर एडवाइजरी काउंसिल के अनुसार कोई भी भवन जो 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाला है। तो वहां पर फायर फाइटिंग से जुड़े उपकरण होने जरूरी होते हैं। लेकिन यहां पर कुछेक सरकारी भवनों को छोड़कर किसी में भी ऐसी व्यवस्था नहीं है। स्कूलों, अस्पतालों व ऐसे कार्यालयों, जिनमें लोगों का आना-जाना रहता है। वहां पर यह उपकरण होने जरूरी हैं। लेकिन इन उपकरणों को या तो लगाया नहीं जाता या लगाया जाता भी है तो वह आधुनिक नहीं बल्कि काम चलाऊ किस्म के ही होते हैं। एडवाइजरी के अनुसार सरकारी व निजी भवनों में भी वाटर स्टोरेज पंप होने जरूरी हैं। लेकिन शहर में यह अस्पताल की नए भवन के अलावा और कहीं दिखाई ही नहीं है।
एनओसी तक नहीं लेते :
जानकारों के अनुसार रेस्तरेंट, ढाबा, होटल निजी कार्यालय, स्कूल आदि का निर्माण करने पर दमकल विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना जरूरी होता है। लेकिन समय के साथ अब कोई भी दमकल विभाग से एनओसी नहीं लेता। इस व्यवस्था को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। जिसपर सरकार भी ध्यान नहीं देती। अब घरों का मामला केवल नक्शे पास करवाने तक ही सीमित रह गया है या फिर नगर नियोजन विभाग व नगर पालिका, पंचायतों की एनओसी तक ही सीमित रह गया है।
सरकारी ऑफिस में अग्निशमन यंत्र नहीं :
शहर के साथ-साथ जिले के सरकारी कार्यालयों में आग लगी तो सबकुछ खाक हो जाएगी। क्योंकि जिले के एक भी सरकारी ऑफिस में आग बुझाने का यंत्र सही नहीं हैं। सालों पहले अधिकांस कार्यालयों के लिए यंत्र मिले थे, लेकिन अब बेकार हैं। जिससे यहां पर रखे महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक दस्तावेज भगवान भरोसे रखे हुए हैं। एसपी कार्यालय, थाना, डीआई ऑफिस, नगर पालिका कार्यालय, पीएचई, पीडब्ल्यूडी कार्यालय, कृर्षि कार्यालय, सीएमएचओ कार्यालय, यूनीवसिटी, बिजली विभाग, शिक्षा विभाग जैसे महत्वपूर्ण ऑफिस में अग्निशामक यंत्र ही नहीं हैं। जिले के अधिकांस विभागों के पास अग्निशमन यंत्र नहीं है और न ही इस बिषय पर कोई विभाग गंभीर दिख रहा है।
इनका कहना है :
अभी तक यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। मैं अभी इसको लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों से बात करता हूं और जहां पर अग्निशमन यंत्र नहीं है वहां पर उनकी व्यवस्था कराई जाएगी और जहां पर पहले से हें वहां पर रिफिलिंग कराई जाएगी।
– मोहित बुंदस कलेक्टर छतरपुर
इनका कहना है
नगर पालिका के पास आग पर काबू पाने के लिए परयाप्त व्यवस्था है। बडी मशीनों के साथ-साथ प्रेशर वाली सटक भी हैं। जो उंचाई बाली बिल्डिंगों में लगी आग को बुझाने में सझम है।
– हरिहर गंदर्भ, सीएचओ नगर पालिका
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