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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के पैर पखारने लगी 40 लाख की बोली

locationछतरपुरPublished: Oct 30, 2020 09:20:33 pm

Submitted by:

Dharmendra Singh

एक घंटे में 60 लाख रुपए दान हुआ एकत्रितवर्ष 2018 में खजुराहो में किया था चार्तुमास प्रवास 11 जुलाई 2018 को छतरपुर प्रवेश पर पखारे गए पैर

विद्यासागर महाराज छतरपुर में

विद्यासागर महाराज छतरपुर में

छतरपुर। वंदनीय संत आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के सन्यास जीवन के 50 साल पूरे होने पर वर्ष 2018 में खजुराहो में महा महोत्सव का आयोजन किया गया। खजुराहो जाने से पहले 11 जुलाई 2018 को महाराज छतरपुर पुहुंचे तो उनके पैर पखारने के लिए 40 लाख रुपए की बोली लगाई गई थी। एक घंटे के अंदर ही अनुयायियों ने 60 लाख रुपए दान जुटा लिया था। इसके बाद खजुराहो चार्तुमास के दौरान महोत्सव में कई बड़े आयोजन किए गए। फांस के राजदूत महाराज से आर्शीवाद लेने आए थे। वहीं 1200 किलोमीटर की पदयात्रा कर महाराष्ट्र से श्रद्धालु खजुराहो पहुंचे थे।
छतरपुर से खजुराहो रवाना होने के पहले दान की यह पूरी प्रक्रिया समाज के लोगों के बीच हुई बोली के रूप में पूरी हुई। आचार्यश्री के पैर पखारने के लिए बाबूलाल ज्ञानचंद जैन ने 18 लाख 18 हजार 180 रुपए, डॉ. सुमतिप्रकाश जैन ने 17 लाख 17 हजार 170 रुपए, अज्जू औलिया ने 5 लाख 50 हजार 555 रुपए की बोली लगाई। इसी तरह सेठ मेडिकल के राजू सेठ ने 5 लाख, चक्रेश जैन ने 1 लाख 51 हजार की बोली लगाकर आचार्यश्री को शास्त्र भेंट किए। वहीं मेला ग्राउंड स्थित अजितनाथ जिनालय परिवर में 21 कलश के लिए बोली लगाई गई। सबसे बड़ा कलश रोहण करने के लिए प्रेमी जैन ने 11 लाख 11 हजार 111 रुपए का दान किया। इसी तरह 20 छोटे कलश 51-51 हजार रुपए में बोली लगाकर रोहण करने के लिए विमल जैन, शांति पोद्दार, बंटी बजाज, चक्रेश, मुकेश जैन, परागश्री, सरोज जैन, चंद्रप्रभा जैन नौगांव, राजेश जैन, शैलेंद्र जैन, मुकेश डेवडिया, रामू जैन, त्रिलोकचंद जैन ने दान किया। इसी तरह मंदिर पर ध्वजारोहण के लिए रक्षपाल जैन, अरविंद बड़कुल परिवार ने 5 लाख 5 हजार 555 रुपए की बोली लगाई। इस तरह करीब 60 लाख रुपए की दानराशि एक घंटे के अंदर आचार्यश्री के लिए एकत्र हो गई।

वर्ष 1981 और 2018 में खजुराहो आए थे आचार्य विद्यासागर महाराज
महाराजा कॉलेज छतरपुर के प्रोफेसर एवं समाजसेवी डॉ सुमति प्रकाश जैन ने बताया कि 2018 में पूज्य आचार्य विद्यासागर के छतरपुर आगमन के बाद अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थली खजुराहो में हुए यादगार चातुर्मास को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली थी। अनेक विदेशी राजनयिकों एवं विदेशी पर्यटकों ने पूज्य आचार्य श्री के दर्शन किए थे और आचार्य श्री की प्रेरणा से अनेक विदेशी पर्यटकों ने मांसाहार त्याग कर आजीवन शाकाहारी जीवन शैली अपनाने का संकल्प आचार्य श्री के समक्ष लिया था।
उमड़ पड़े थे श्रद्धालु
डॉ सुमति प्रकाश जैन ने आचार्यश्री के वर्ष 2018 के मंगल चातुर्मास की यादें ताजा करते हुए बताया कि पूज्य आचार्यश्री ने 11 जुलाई 18 को 38 साधुओं के संघ सहित पद बिहार करते हुए धमोरा से छतरपुर नगर में मंगल प्रवेश किया था। यहां सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गगनभेदी जयकारों एवं गाजेबाजों के साथ आचार्य श्री पावन आगवानी की थी। 14 जुलाई 18 को आचार्य श्री की खजुराहो में भव्य मंगल आगवानी जैन समाज खजुराहो के साथ साथ देश भर से आए श्रद्धालुओं ने की थी। 2018 में आचार्य श्री की दीक्षा के 50 वर्ष पूरे होने के सुअवसर पर 17 जुलाई को उनका संयम स्वर्ण महा महोत्सव बहुत धूमधाम मनाया गया।
बहुभाषी शाकाहार प्रदर्शनी लगाई गई
डॉ सुमति प्रकाश जैन ने अपने संस्मरण सुनाते हुए बताया कि आचार्य श्री के चातुर्मास के दौरान प्रति रविवार को विशेष प्रवचनों के साथ साथ अनेक ऐतिहासिक कार्यक्रम सम्पन्न हुए। इस अवसर पर देख भर में एक लाख से ज्यादा लोगों को शाकाहारी बनाने वाले पूना के डॉ. कल्याण गंगवाल ने चातुर्मास स्थली के पास एक बेहद सार्थक संदेश देती बहुभाषी शाकाहार प्रदर्शनी लगाई थी, जिसकी सराहना आचार्य श्री ने की थी। इस दौरान आयोजन पंडाल में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान आयोजित हुआ एवं आचार्य श्री के सानिध्य में जैन दर्शन पर एक राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी हुई।इस बीच महानगर कानपुर से 30 श्रद्धालुओं का एक सायकिल सवार समूह खजुराहो आया ओर अपने को कृतार्थ किया।
1200 किलोमीटर से पैदल आए दर्शन करने
डॉ जैन ने शांति सद्भावना यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि इस दौरान आचार्य श्री के दर्शन करने करीब साढ़े पांच सौ स्त्री पुरुष श्रद्धालुओं का बड़ा समूह महाराष्ट्र के कोपरगांव से 1200 किलो मीटर की दूरी पैदल तय कर कर खजुराहो पहुंचा था, जो आचार्य श्री के दर्शन कर भावुक हो उठा था। चातुर्मास के दौरान फ्रांस के राजदूत एलेक्स अंद्रे जिएगलेर सपत्नीक अतिशय क्षेत्र खजुराहो मंदिर पहुंचे और आचार्य श्री के दर्शन कर भावविव्हल हो कर कहा कि उन्हें आज साक्षात भगवान के दर्शन हुए है। अंद्रे ने परिवार सहित जीवन भर शाकाहार अपनाने का संकल्प भी आचार्य श्री के सामने लिया। चातुर्मास के अंतिम पड़ाव पर यहां सभी 38 दिगम्बर साधुओं का भव्य एवं गरिमामई पिच्छिका परिवर्तन समारोह पूरी धार्मिक प्रभावना के साथ सम्पन्न हुआ। करीब पांच माह खजुराहो में धर्म और आध्यात्म की गंगा बहाने के पश्चात आचार्य श्री ने 9 नवम्बर 18 को खजुराहो से ललितपुर की ओर बिहार किया तो उन्हें भावभीनी विदाई देने विशाल जनसमूह नम आंखों के साथ उमड़ पड़ा था।
गजरथ महोत्सव में आए थे आचार्य श्री
डॉ सुमति प्रकाश जैन ने बताया कि आचार्य श्री इसके पूर्व भी वर्ष 1981 में खजुराहो पधार चुके हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के ससंघ सानिध्य में 37 साल पूर्व पंचकल्याणक जिनबिम्ब प्रतिष्ठा एवं गजरथ महोत्सव आयोजित हुआ था, जिसमे उन्हें सुनने और दर्शन करने देश भर का अपार जनसमूह सम्मिलित हुआ था।

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