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मढ़वा गांव की ग्रेनाइट खदान पर्यावरण के साथ ग्रामीणों के लिए भी बनी अभिशाप

locationछतरपुरPublished: Sep 18, 2018 11:11:03 am

Submitted by:

Neeraj soni

– किसान मिनरल्स की ग्रेनाइट खदान में हो रहा मजदूरों का शोषण, सुरक्षा और पानी के भी नहीं इंतजाम

Villagers threaten villagers with granite mine environment of village

Villagers threaten villagers with granite mine environment of village

नीरज सोनी/विकास गंगेले
छतरपुर/लवकुशनगर।
जिले के लवकुशनगर क्षेत्र में ग्रेनाइट पत्थर खदानों ने वहां के आम जनजीवन और पर्यावरण को गंभीर संकट की ओर मोड़ दिया है। पिछले 20 सालों से मढ़वा में चल रही ग्रेनाइट खदान में काम करने वाले मजदूर एक ओर जहां शोषण का शिकार हो रहे हैं, वहीं वे टीबी और सिलकोसिस जैसी गंभीर बीमारियों की ओर भी बढ़ रहे हैं। इसके अलग मड़वा गांव की ग्रेनाइट खदान स्थानीय किसानों से लेकर आम जनता की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बनी है। पिछले दिनों इसी खदान में एक मजदूर की मौत हो गई थी। वहीं खदान में भरे पानी में डूबने से भी एक शुक्ला परिवार के युवक की मौत कुछ साल पहले हो गई थी। इसके बाद भी घटना से कोई सबक नहीं लिया गया और आज भी मजदूरों का जीवन खतरे के बीच जीवकोपार्जन के लिए सफर कर रहा है। वहीं किसान के नाम वाली यह कंपनी किसानों की बर्बादी का भी सबसे बड़ा कारण बन रही है।
लवकुशनगर से महज 12 किमी दूर स्थित है ग्राम मढ़वा। कटहरा पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव में पिछले 20 सालों से किसान मिनरल्स नाम की कंपनी ग्रेनाइट पत्थरों खदान की लीड लेकर काम कर रही है। नियमानुसार खदान क्षेत्र के चारों तरफ बाउंड्रीवाल बनाया जाना चाहिए। साथही पहाड़ी से आने वाले हार्ड पानी का ट्रीटमेंट करने के लिए यहां गारलैंड बनाया जाना चाहिए, ताकि पत्थर खदान का हार्ड पानी पहाड़ों से बहकर किसानों के खेतों में न जाए। क्योंकि अगर यह पानी सीधे खेतों में जाता है तो धीरे-धीरे वह जमीन को बंजर बना देता है। इसलिए ग्रेनाइट खदान में गारलैंड बनाया जाना जरूरी होता है। मढ़वा की पत्थर खदान 20 सालों से चल रही है लेकिन न तो यहां बाउंड्रीवाल बनवाई गई और न ही गारलैंड का निर्माण कराया गया। खदान लगातार जमीन में गहरी खोदी जा रही है। इस कारण यहां पर बारिश के दिनों में भरने वाले पानी से लगातार हादसे हो रहे हैं। कुछ साल पहले परसनिया गांव के एक शुक्लाजी का बेटा खदान में डूब गया था। बाउंड्रीवाल नहीं होने के कारण कई जानवर भी खदान के पानी में डूबकर मर चुके हैं। हर साल पर्यावरण विभाग से दो साल के लिए एनओसी लेकर खदान का संचालन तो किया जा रहा है, लेकिन ग्रीन बेल्ट बनाने के नाम पर यहां एक भी पौधा नहीं रोपा गया। उल्टे यहां जो सालों पुराने पेड़ पहले से लगे हैं उन्हें ही यहां मलवा-पत्थरों से पूरा जा रहा है। कई सालों से यहंा हरे-भरे पेड़ ऐसे ही नष्ट किए जा रहे हैं। इस स्थिति के कारण पूरे क्षेत्र में पर्यावरण के लिए भी गंभीर संकट पैदा हो गया है।
गांव के लोगों को रोजगार के बदले मिली बीमारियां :
मड़वा गांव के लोगों को ग्रेनाइट खदान में रोजगार के बदले बीमारियां मिली। इस गांव के कई लोग टीबी और सिलकोसिस नाम की बीमारी का शिकार हो चुके हैं। मेडिकल सुविधाओं से लेकर सभी तरह के सेवा कार्य कंपनी रिकॉर्ड पर चला रही है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कंपनी ने गांव के लोगों को रोजगार भी देना बंद कर दिया है। बाहरी लोगों को यहां रोजगार दिया जा रहा है। खदान मेंं बाहरी लोगों को काम दिया जा रहा है। जो लोग यहां काम भी कर रहे हैं तो उन्हें न तो श्रम विभाग के नियमानुसार वेतन दिया जा रहा है और न ही अन्य सुविधाएं। केवल मजदूरों का यहां शोषण ही हो रहा है।
किसानों की जमीन पर डालते जा रहे हैं मलवा :
किसान मिनरल्स कंपनी ने मढ़वा गांव में हरिजनों को पट्टे पर मिली जमीन लोगों ने खरीदने के बाद अपना कारोबार फैला लिया। लेकिन अब यहां के किसान ही परेशान है। कुछ किसानों की खरीदी गई जमीन से ज्यादा के हिस्से पर वे खदान का मलवा डाल रहे हैं। मड़वा गांव के किसान चैनू बंशकार ने बताया कि उन्होंने किसान मिनरल्स को केवल 10 वीघा जमीन ही बेची थी। लेकिन वे उनकी १५ बीघा जमीन पर मलवा डालते जा रहे हैं। इस कारण उनकी 5 बीघा खेती वाली जमीन बर्बाद हो गई है। सिंचित जमीन भी अब असिंचित हो गई है। उन्होंने बताया कि खदानों से बहकर आने वाला हार्ड पानी खेतों में जमा होने से जमीन की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई है और धीरे-धीरे उनकी बची हुई बंजर होने लगी है। चैनू ने बताया कि कंपनी के लोगों को मना करने के बाद भी वे लगातार चट्टानों का मलवा उनके खेतों में पूरते जा रहे हैं। यहां तक कि फलते-फूलते महुआ के पेड़ भी मलबा में दफन कर दिए। इसी गांव के सिद्धशरण पिता देवताप्रसाद बिदुआ बताते हैं कि उनके दादा-परदादाओं ने यहां पर महुआ के पेड़ लगाए थे। जिनमें से अधिकांश पेड़ कंपनी वालों ने मलवा से ढक दिए हैं। एक फलता-फूलता महुआ का पेड़ और दफन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मना करने पर कंपनी के लोग धमकी देते हँ कि जिससे भी शिकायत करना है कर दो, जमीन हमारी है और खदान भी हमारी है। इसलिए जैसा चाहेंगे करेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों परसनिया गांव के एक युवक की खदान मेंं करंट लगने से मौत हो चुकी है। लेकिन यहां किसी की सुरक्षा की चिंता नहीं है।

मुझे कुछ नहीं कहना :
खदान नियमानुसार चल रही है। सब कुछ ठीक है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है। इसके अलावा मुझे कुछ नहीं कहना है।
– विनोद खेडिय़ा, डायरेक्टर किसान मिनरल्स

कार्रवाई की जाएगी :
मढ़वा पत्थर खदान में काम करने वाले मजदूरों को सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए, उन्हें सुरक्षा मानकों के अनुसार सुरक्षा उपकरण भी दिए जाने चाहिए। शासन स्तर से इसको लेकर कंपनी के लिए स्पष्ट गाइड लाइन है। मढ़वा खदान में अगर कंपनी द्वारा सुरक्षा मानकों सका पालन नहीं किया जा रहा है तो यह गंभीर मामला है। जांच कराकर नियमानुसान कार्रवाई की जाएगी।
– देवेष मरकाम, जिला खनिज अधिकारी

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