थाना प्रभारियों के तबादले बने चर्चा का विषय
छतरपुर•Mar 10, 2019 / 01:22 am•
हामिद खान
Why the controversy over transfer of Congress leaders, know what is the matter
छतरपुर. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आते ही थोकबंद तबादलों का दौर चल रहा है। प्रतिदिन किसी न किसी विभाग के अधिकारियों की तबादला सूचियां जारी हो रही हैं। इन तबादलों को लेकर जहां भाजपा आरोप लगा रही है कि सभी तबादले पैसे लेकर किए जा रहे हैं। कांग्रेस की सरकार में तबादला उद्योग का दौर लौट आया है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के भीतर भी अधिकारियों के तबादलों को लेकर टकराव की स्थितियां निर्मित हो रही हैं। हाल ही में छतरपुर के जिला पंचायत सीईओ हर्ष दीक्षित के तबादले को लेकर भी जिले के दो विधायकों में टकराव की स्थितियां निर्मित हुई हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जिला पंचायत सीईओ हर्ष दीक्षित का दो दिन पूर्व ग्वालियर अपर कलेक्टर के रूप में तबादला कर दिया गया था। खबर है कि उक्त तबादला महाराजपुर विधायक नीरज दीक्षित ने कराया था। अपने किसी चहेते को छतरपुर लाने के लिए उन्होंने आईएएस हर्ष दीक्षित को यहां से हटवाने के प्रयास किए जिसमें वे सफल हो गए थे। जब यह तबादला आदेश प्रकाश में आया तो छतरपुर के ही दो विधायकों ने हर्ष दीक्षित को रूकवाने की योजना बना डाली। सूत्र बताते हैं कि छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी और बिजावर विधायक बबलू शुक्ला ने सरकार के मंत्रियों और आला अधिकारियों से बात कर एक ही दिन में उक्त तबादला रूकवा दिया है। हालांकि अभी तक हर्ष दीक्षित के तबादला रूकने का आदेश सामने नहीं आया है लेकिन खबर है कि उक्त तबादला दोनों विधायकों की मर्जी से रोका जा रहा है।
जिले में पुलिस अधीक्षक तिलक सिंह द्वारा किए जा रहे थाना प्रभारियों के तबादले भी चर्चा का विषय बने हुए हैं। विधायकों और एसपी की मर्जी से एक-एक थाने के टीआई को 20-20 दिन में तीन-तीन बार बदला गया। जिसके कारण भाजपा को आरोप लगाने का मौका मिल गया। भाजपा जिलाध्यक्ष मलखान सिंह का कहना है कि उक्त तबादले साठगांठ और पैसे के दम पर कराए जा रहे हैं। जिले में खुलेआम कांग्रेसी नेताओं ने लूट मचानी शुरू कर दी है। पैसा लेकर लोगों के तबादले कराए जा रहे हैं और थानों की नीलामी हो रही है। कांग्रेस नेताओं के पास सरकार आने के बाद सिर्फ दो काम बचे हैं अवैध बालू बेचना और तबादले करवाना। कांग्रेस जनहित के कामों को कभी नहीं करती।