script14 जलाशयों में भरा 10 से 20 प्रतिशत पानी | 10 to 20 percent water filled in reservoirs | Patrika News

14 जलाशयों में भरा 10 से 20 प्रतिशत पानी

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 03, 2018 04:35:33 pm

Submitted by:

SACHIN NARNAWRE

अच्छी बारिश के बावजूद धीमी बारिश ने क्षेत्र के जलाशयों को प्यासा ही रखा है।

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75 mm rain in 24 hours water in the hospital’s ward drainage

बारिश की गति धीमी
अब तक भरे मात्र तीन जलाशय
14 जलाशयों में भरा 10 से 20 प्रतिशत पानी
तीन जलाशय आधा भरने की स्थिति में

पांढुर्ना. अच्छी बारिश के बावजूद धीमी बारिश ने क्षेत्र के जलाशयों को प्यासा ही रखा है। आधी से ज्यादा बारिश बीत चुकी है और अब तक मात्र तीन जलाशय ही भर पाएं है। शहर की पेयजल व्यवस्था के लिए बनाये गए जुनेवानी जलाशय में 54 प्रतिशत ही पानी भरा है। जिससे आने वाले दिनों में पेयजल की समस्या पैदा होने के संकेत मिल रहे है।
दूसरी तरफ कुल 20 जलाशयों में से तीन ही जलाशयों में 50 प्रतिशत के आसपास पानी भर पाया है। 14 जलाशय में 10 से 20 प्रतिशत पानी भरा हुआ है जो रबी की फसल के लिए बड़ी चिंता की विषय बना हुआ है। अब और अधिक बारिश का होना जरूरी है। जिससे जलाशय भर पाएं अगर ऐसा नहीं हुआ तो किसान वर्ग में काफी निराशा पसर जाएगी। रबी की फसलों पर संकट छा जाएगा।
हर साल भरने वाले जलाशयों में ही पानी भर पाया हैं जंगलो के बीच बने मोही जलाशय में इस बारिश में भी 100 प्रतिशत पानी भर गया है। यहां की वनों की हरियाली की चादर सुंदरता को चार चांद लगाए हुए है। मोही के अलावा सिवनी और गुजरखेड़ी जलाशय 100 प्रतिशत भर पाया है। इनके अलावा जूनेवानी जलाशय 54, रिंगनखापा जलाशय 71, भाजीपानी जलाशय 42 प्रतिशत तक ही भर पाया है।
ये जलाशय नहीं भरे
बारिश की धीमी गति की वजह से इस साल बने सेंदुरजना एवं ढोलनखापा जलाशय में पानी नहीं भर पाया है। इसी तरह राजडोंगरी जलाशय 15 प्रतिशत, चांगोबा 18, बिछुआसाहनी 6 और भंदारगोंदी 7, जाटलापुर जलाशय 10 प्रतिशत ही भर पाया है। कम बारिश की इसकी प्रमुख वजह बताई जा रही है। इसी साल बने पेंढोनी जलाशय में 12, हिवरासेनाडवार 37 प्रतिशत, मांडवी 36, मोहखेडी 10.5 प्रतिशत, घुडऩखापा जलाशय 28 प्रतिशत ही भरा हुआ है।
सारोठ डैम से महलपुर के किसान की नाव चोरी
उमरानाला. समीपस्थ ग्राम महलपुर निवासी एक किसान की नाव डैम से चोरी हो गई। उक्त किसान रोजाना डैम के उस पार अपने खेत जाने एवं निजी काम के लिए इस नाव का उपयोग करता था।
मिली जानकारी के अनुसार महलपुर निवासी किसान बीपत गोयरे रोजाना की तरह नाव सारोठ डैम के समीप 29 अगस्त की शाम को भी खड़ी करके घर चले गए थे दूसरे दिन सुबह जब वे खेत जाने के लिए डैम के समीप पहुंचे तो वहां नाव दिखाई नहीं दी। डैम के आसपास काफी तलाश की गई लेकिन नहीं मिल पाई। किसान ने तीन-चार दिनों तक गांवों में पता लगाया लेकिन नाव के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।
मछुआरों से विवाद पर संदेह: मत्स्य पालन समिति सारोठ के मछुआरों एवं मुजावरमाल, कन्हरगांव, सांवरी एवं माचागोरा मत्स्य पालन समिति के मछुआरों से सारोठ जलाशय के मछुआरों का विवाद रहने की वजह से मछुआरों की नाव समझ कर अज्ञात लोगों पर नाव चुराने का आरोप किसान ने लगाया है।
डूबत जमीन के मुआवजे से खरीदी थी नाव: महलपुर निवासी किसान बीपत गोयरे ने बताया कि सारोठ डैम में डूबत जमीन के मुआवजे की जो राशि मिली थी उस राशि से डैम पार करके खेत जाने के लिए यह नाव खरीदी थी लेकिन अज्ञात चोरों ने वह जो भी चुरा ली। किसान आर्थिक तंगी से वैसे ही जूझ रहे हैं। अब हमें डैम पार करने के लिए दूसरे नाव की व्यवस्था करना भी बहुत मुश्किल है।
पीडि़त ने स्थानीय पुलिस प्रशासन से किसान उनकी नाव की तलाश कर जल्द से जल्द वापस दिलाने और चोरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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