
आधुनिक संसाधनों के अभाव में पांच माह में ७३ शिशुओं ने तोड़ा दम
छिंदवाड़ा. जिला अस्पताल अंतर्गत संचालित स्पेशल केयर न्यू-बोर्न यूनिट (एसएनसीयू) में अप्रैल महीने से अब तक ७३ शिशुओं की मौत हो चुकी है। इसके बावजूद शासन एेसी यूनिट के संचालन को लेकर गम्भीर नहीं है। जिला अस्पताल छिंदवाड़ा में एसएनसीयू की स्थापना को करीब चार सात बीत गए हैं, लेकिन अब तक यहां पर वेंटीलेटर मशीन (गंभीर मरीजों को कृत्रिम श्वास दी जाने वाली मशीन) लगी है न ही इमरजेंसी गेट बन सका है। हालांकि की कर्मचारियों की सक्रियता के चलते हाल ही में ऑक्सीजन की सेंटर लाइन को दुरुस्त तथा अग्निशामक यंत्रों की रिफलींग कराई गई है। वहीं विभाग शिशुओं की मौत की अलग-अलग कहानी गढ़ रहा है।
आंकड़ों पर नजर डाले तो अगस्त माह के बीस दिनों में ही १८ शिशुओं ने दम तोड़ा है। बताया जाता है कि कुछ समय पहले ऑक्सीजन सप्लायर द्वारा आपूर्ति करने में लापरवाही बरती जाती थी, लेकिन यूपी के गोरखपुर हादसे के बाद उसमें भी सुधार हो गया है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित एसएनसीयू के रख-रखाव तथा आवश्यक सामग्री की व्यवस्था बनाने के लिए प्रतिवर्ष १५ लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया जाता है। इसके बावजूद शासन की गाइडलाइन के आधार पर इमरजेंसी गेट यूनिट में नहीं बन सका है। विभाग जिस गेट को इमरजेंसी होने का दावा करता है, वहां से ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई होती है। एेसी स्थिति में किसी दिन कोई हादसा हुआ तो बड़ी हानि हो सकती है।
यह है स्थिति
जिला अस्पताल स्थित एसएनसीयू में ० से २८ दिन तक के गंभीर या असाधारण शिशुओं को रखा जाता है। इस यूनिट में जिला अस्पताल के अलावा जिले के समस्त विकासखंडों के बच्चों को भी रखा जाता है। यूनिट में २२ वार्मर मशीन हंै, जिसमें से दो मशीन खराब हैं। क्षमता से अधिक शिशुओं के आने पर एक मशीन में दो से तीन बच्चों को रखना पड़ता है। वहीं संक्रमित बच्चे के आने पर दुविधा और बढ़ जाती है। इसके साथ ही प्रतिदिन १० से १५ ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग यहां होता है।
जानकारी के अनुसार एक अप्रैल से २२ अगस्त २०१७ तक एसएनसीयू में ७२८ शिशुओं को भर्ती किया गया, जिसमें से ७३ की विभिन्न कारणों से मौत हो गई।
समीक्षा में गिर रही रेटिंग
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रतिवर्ष प्रदेश में संचालित एसएनसीयू के कार्यों की समीक्षा करता है तथा रिपोर्ट के आधार पर रेटिंग करता है। एनएचएच द्वारा निर्धारित १५ से २० बिंदुओं के आधार पर विभागीय दल जांच करता है। इसमें सभी इंडीकेशन पर वर्क होना, मृत्यु दर नियंत्रण, फालोअप, मृत्यु का कारण आदि शामिल है। बताया जाता है कि पिछले वर्ष छिंदवाड़ा प्रदेश में प्रथम नम्बर पर था, लेकिन इस वर्ष विभिन्न कारणों की वजह से प्रदेश में चौथे स्थान पर है। हालांकि अधिकारी जल्द सुविधाएं सुधारने की बात कर रहे हैं।
बीते चार माह की स्थिति
माह एडमिट शिशु की संख्या मृत शिशु संख्या
अप्रैल १५१ ११
मई १२५ १९
जून १३८ १३
जुलाई १७९ १२
२२ अगस्त तक १३५ १८
(नोट: स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार)
Published on:
23 Aug 2017 05:18 pm
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