छिंदवाड़ा

Railway Big Project : इस तरह पूरा होगा 600 KM का सफर महज 3 घंटे में

रेलवे ने इन दो शहरों को जोडऩे वाले एक सेमी हाईस्पीड कारिडोर का प्रारूप तैयार किया

छिंदवाड़ाSep 12, 2017 / 09:41 am

prabha shankar

railway: Number of coaches will increase two days before Diwali

छिंदवाड़ा/नागपुर. नागपुर और हैदराबाद के बीच की दूरी जल्द ही बहुत कम होने वाली है। दूरी के नजरिए से नहीं लेकिन समय के हिसाब से। अब 584 किलोमीटर की दूरी तय करने के बजाय केवल तीन घंटे लगेंगे। रेलवे ने इन दो शहरों को जोडऩे वाले एक सेमी हाईस्पीड कारिडोर का प्रारूप तैयार भी कर लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार मंत्रालय ने रूपरेखा तैयार करने के लिए रूसी रेलवे के साथ एक संयुक्त कवायद शुरू कर दी है। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड के पास भेजा जाएगा। रेलवे की योजना उस वर्तमान स्थिति का फायदा उठाने की है कि इन दोनों शहरों के बीच कोई सीधी उड़ान सेवा नहीं है। फिलहाल इन दोनों शहरों के बीच की 584 किलोमीटर की दूरी को वर्तमान 60 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत रफ्तार से न्यूनतम नौ घंटे का समय लगता है।

और इधर इंटरनेट सुविधा के बिना चल रहा कामकाज
नागपुर. विद्यार्थियों को परेशानी न हो और उन्हें शिक्षा से जुड़े छोटे कामों के लिए परीक्षा भवन के चक्कर न लगाने पड़े इस उद्देश्य से परीक्षा भवन में विद्यार्थी सुविधा केंद्र ‘स्टूडेंट फैसिलिटेशन सेंटर’ की शुरुआत की गई थी। इसे शुरू हुए डेढ़ महीने से ज्यादा हो चुका है, लेकिन केंद्र में इंटरनेट कनेक्शन नहीं होने की वजह से सभी विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन केवल रेजिस्टर में ही किया जा रहा है। किसी भी विद्यार्थी की समस्या का अब तक समाधान नहीं हो सका है। जिस सरगर्मी से इस योजना की शुरुआत की गयी थीए उस योजना में ग्रहण लगता हुआ नजर आ रहा है।
इस विद्यार्थी सुविधा केंद्र के शुरू होने से विद्यार्थियों को उम्मीद थी कि उनका पुनर्मूल्यांकन से जुड़ा कार्य हो, डिग्री के नाम में गलती हो या फिर कोई भी शिक्षा से सम्बंधित कार्य, सभी यहां तय समय सीमा पर किए जाएंगे। लेकिन बिना इंटरनेट विद्यार्थियों की संख्या का सटीक आकलन और जानकारी अधिकारियों के पास नहींण् सुविधा केंद्र में लगे 8 कम्पूटरों में से किसी में भी इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। प्रोमार्क कम्पनी द्वारा यह सुविधा केंद्र बनाया गया था। इस कम्पनी की काफी तारीफ भी नागपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने की थी। विद्यार्थियों के उनके काम के लिए टोकन पद्धति की शुरुवात भी की गई थी। लेकिन इसकी भी जानकारी परीक्षा भवन के पास नहीं है। 

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