216 में से अब तक 8 उम्मीदवार ही चढ़ सके संसद की सीढ़ी
छिंदवाड़ाPublished: Apr 18, 2019 11:19:36 am
इस बार सांसद बनने जिले में 14 प्रत्याशी मैदान में
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छिंदवाड़ा. देश की संसद में अपने जिले का प्रतिनिधित्व करने की चाह हर नेता को रहती है। कुछ तो चुनाव को बेहद गंभीरता से लेते हैं लेकिन ज्यादातर प्रत्याशी चुनाव में केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर उतरते हैं और नामांकन पत्र दाखिल करते हैं। चुनावों के नतीजें भी देखें तो मुख्य दलों के उम्मीदवारों छोड़ दें तो बाकी के लिए चुनाव महज औपचारिकता ही साबित होते हैं। जिले का संसदीय इतिहास देखें और इन चुनावों में खड़े होने वाले उम्मीदवारों की बात करें तो 80 के चुनाव तक उम्मीदवारों की संख्या गिनी चुनी ही रहती थी। इसके बाद के चुनावों में तो जैसे उम्मीदवार बनने का फैशन चला। अब तक जिले के 18 संसदीय चुनावों में 216 उम्मीदवार मैदान में उतरे हुए हैं।
दस साल पहले खड़े हुए थे सबसे ज्यादा 28 उम्मीदवार
दस वर्ष पहले 2009 के संसदीय चुनाव में सबसे ज्यादा 28 उम्मीदवार मैदान में थे। इसमें से दो को छोडकऱ बाकी सब की जमानत जब्त हेा गई थी। 1952 ये 1977 तक के चुनाव में अधिकतम सात उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतरे। इस समय तक चुनाव न तो इतने आकर्षक होते थे न हाईफाई प्रचार। उम्मीदवार भी ज्यादातर उम्रदराज और अनुभवी नेता को ही बनाया जाता था। 1984 में पहली बार दहाई का आंकड़ा पार हुआ और 13 उम्मीदवार इस चुनाव में खड़े हुए। 1991 में यह संख्या 26 तो 96 में 27 तक पहुंच गई। एक ही साल बाद फिर हुए उपचुनाव में उम्मीदवार घटकर 10 रह गए। 1999 के चुनाव में संसदीय चुनाव के लिए सिर्फ 8 उम्मीदवार थे। यह संख्या पिछले सात चुनावों में सबसे कम थी लेकिन पांच साल बाद 2004 के चुनाव में इससे तीन गुना से ज्यादा 27 उम्मीदवारों ने चुनावी मैदान में अपनी ताल ठोकी।
इस बार 14 उम्मीदवार
2019 में हो रहे मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए जिले की संसदीय सीट के लिए 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसके लिए 29 अप्रैल को मतदान होना है। पिछले एक दशक में चुनाव प्रचार की तासीर बदली है। इस बार के चुनाव में 14 में से कितने उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में कामयाब होंगे ये देखना दिलचस्प होगा।
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