गुरुद्वारा में जाकर मत्था टेका प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को शरद पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि वाल्मीकि जयंती समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपका प्यार और विश्वास मेरी सबसे बड़ी पूंजी है, जो पिछले 40 सालों से आप दे रहे हंै और इसी कारण आज प्रदेश की जिम्मेदारी मिली है । उन्होंने कहा कि भारत में अनेकता होते हुए भी एकता है यही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है और इसका आधार अध्यात्मिक शक्ति है। भारत की महानता हमारी संस्कृतिए संस्कार और सभ्यता है । इस दौरान उन्होंने कहा कि आपका सबसे बड़ा दायित्व है कि संस्कारों को जीवित रखें। नई पीढ़ी को भारत की संस्कृति, संस्कार और सभ्यता सिखाएं। लोगों द्वारा गुरुद्वारा के जीर्णोध्दार की मांग पर मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अच्छा गुरुद्वारा बनें, उन्होंने अपने संबोधन के पूर्व गुरुद्वारा में जाकर मत्था टेककर पूजन-अर्चन भी किया । इस अवसर पर सांसद नकुल नाथ, प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जिले के प्रभारी मंत्री सुखदेव पांसे, पूर्व विधायक दीपक सक्सेना, पांढुर्ना विधायक निलेश उईके, पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय, अतिरिक्त कलेक्टर राजेश शाही, एसडीएम अतुल सिंह, गुरुद्वारा प्रबंध समिति व वाल्मीकि समाज के अध्यक्ष सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। यहां उल्लेखनीय है कि वाल्मीकि समाज से मिलने गांधी जी 1935 में छिन्दवाड़ा आए थे और यही से हरिजन उद्द्धार का अभियान भी शुरू किया था।