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आजादी के बाद से गति नहीं पकड़ पाया बिछुआ

locationछिंदवाड़ाPublished: Apr 25, 2019 05:09:07 pm

Submitted by:

sunil lakhera

आज भी इलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टरों पर आश्रित

After independence, the speed does not catch the nettle

आजादी के बाद से गति नहीं पकड़ पाया बिछुआ

बिछुआ. आदिवासी ब्लाक बिछुआ में लगभग सत्तर प्रतिशत आदिवासी समुदाय निवास करता है। ये क्षेत्र आजादी के बाद भी विकास की वो गति नहीं पकड़ सका है। जिसका वो हकदार। सरकार द्वारा आदिवासी अंचल विकसित करने तमाम दावों और वादों के बाद इस चौरई विकासखंड बिछुआ विकासखंड मुख्यालय के आंतरिक इलाकों को खंगालें तो पता लगता है। 72 साल की देश आजादी और प्रदेश बनने के 41 साल बाद भी शिक्षा, स्वास्थ्य पानी जैसी मूल जरूरतों से यहां के ग्रामीण क्षेत्र आज भी जूझ रहे है। आदिवासी बहुल क्षेत्र 10 साल पहले सौंसर विधानसभा क्षेत्र आता था। अब चौरई विधानसभा में आता है। वर्तमान में यहां चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा यहां देखे तो रोजगार और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं का है। बिछुआ विकासखंड लगभग 25 गावों अस्सी प्रतिशत आबादी रोजगार के लिये नागपुर जाती है। यहां ग्रामीण क्षेत्र आज भी इलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टरों पर आश्रित है। वहीं शासकीय स्कूलों में शिक्षक विहीन होने से यहां की दुर्दशा समझी जा सकती है। सरकारी स्कूलों में बच्चों का भविष्य अंधकारमय है।
रोजगार की समस्या- बिछुआ विकासखंड युवा रोजगार को मोहताज है। क्षेत्र में कोई फैक्ट्री कारखाने नहीं है। जिससे यहां युवा काम कर सके। रोजगार नहीं होने से यहां आदिवासी युवा, मजदूर वर्ग काम करने सावनेर, नागपुर, पलायन करते है। नए संसाधनों का विकास यहां हो तो ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोका जा सकता है।
लचर स्वास्थ्य व्यवस्था- चौरई विधानसभा क्षेत्र बिछुआ विकासखंडएक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है। पांच प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आज भी चिकित्सक विहीन है।
पेयजल प्रमुख समस्या- बिछुआ विकासखंड पेयजल प्रमुख समस्या है। यहां अधिकांश ग्रामों आज भी ग्रामीण बोरिंग या कुआं के पानी पर आश्रित होता है। जिसके अनेक बार ग्रामीणों द्वारा आंदोलन किया गया। वहीं नगर परिषद द्वारा नगर सहित ग्रामीण अंचल में आज भी 5-6 दिन के अंतराल पेयजल सप्लाई की जा रही है।
लकडिय़ां बेचकर जीवन निर्वाह- यहां अधिकांश आदिवासी आज भी अपना जीवन निर्वाह जंगल की जलाऊ लकडियां बेचकर कर रहे है। विगत लगभग चार वर्ष पूर्व ग्राम गुलसी में वन विभाग के कर्मियों ने दो ग्रामीणों गोली मार दी थी। यहां मुद्दा बिछुआ की राजनीति में छाया रहता है।
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