आम व्यक्ति को एक काम कराने के लिए यहां हफ्ते और पंद्राह दिन लग जाता है, लेकिन यही काम एजेंट के माध्यम से निर्धारित समय से भी पहले हो जाता है, इसकी सबसे बड़ी वजह है कमीशन का खेल। नीचे से लेकर उपर तक कमीशन चल रहा, जिसके कारण एजेंट भी पल रहे और विभाग के अधिकारी भी, लेकिन इसमें जेब केवल आम व्यक्ति की ढीली हो रही। हर काम में आम व्यक्ति को एजेंट का सहारा लेना पड़ रहा और अधिक फीस देनी पड़ रही। परिवहन कार्यालय के परिसर में खुलेआम लूट मची है, लेकिन कोई सुनने और कार्रवाई करने वाला नहीं है। कार्यालय के अंदर बने कक्ष में विभाग के कर्मचारी कम और एजेंटों का ज्यादा कब्जा है। चार कर्मचारी और सौ तरह के कम हो रहे इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां काम कैसे पूरा होता होगा। इस कार्यालय में काम लेकर पहुंचने वाला प्रत्येक व्यक्ति एजेंट के माध्यम से ही काम करवा पाता है।
स्मार्ट कम्पनी के दस ऑपरेटर
अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सुनील कुमार शुक्ला का कहना है कि कार्यालय में स्मार्ट कम्पनी के दस ऑपरेटर और एक मैनेजर है, जो लाइसेंस से लेकर आरसी सहित अन्य कार्य करते हैं। इस कम्पनी का पूरे मप्र में अनुबंध है। काम के आधार पर प्रत्येक कर्मचारी का वेतन बनता है।