नियमित एआरटी दवाओं का सेवन वजह –
इस तरह के बहुत कम मामले देखने को मिलते है। उक्त मामले में गहन अध्ययन और राज्यस्तरीय वरिष्ठ चिकित्सकों से चर्चा करने पर स्पष्ट हुआ कि संक्रमित व्यक्ति नियमित रूप से एआरटी दवाओं का सेवन करता रहा, जिससे उसके शरीर का वायरल लोड कम हो गया। इस वजह से पत्नी से सम्पर्क बनाने के बाद भी सभी वायरस से सुरक्षित रहे।
डॉ. केशव झारिया, एचआइवी विभाग छिंदवाड़ा
किसी का निर्णय बदलना मुश्किल –
पति-पत्नी में से कोई एक एचआइवी पॉजिटिव है और वे असुरक्षित सम्बंध बनाते है तो दूसरे साथी के भी रोगी होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में हम पीडि़तों को सुरक्षित रहने की सलाह दे सकते है, पर किसी का निर्णय बदलना मुश्किल है।
– सोमा सिंह, काउंसलर
जिले में 0.50 प्रतिशत की है पॉजिटिव मरीज
प्रदेश में मार्च 2005 से अक्टूबर 2020 तक 69 हजार 400 एड्स पॉजिटिव मरीज है, जो 0.65 प्रतिशत है। वहीं जिले में 0.50 फीसदी की दर से 1243 मरीज पंजीकृत किए गए है, जबकि इस दौरान 44 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। चिकित्सकों का दावा है कि प्रदेश की तुलना में छिंदवाड़ा की दर कम है।
‘वैश्विक एकजुटता एवं साझा जिम्मेदारीÓ इस वर्ष की थीम –
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा प्रत्येक वर्ष एक दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष नई थीम पर कार्य किया जाता है, जिसके तहत इस बार संगठन द्वारा ‘वैश्विक एकजुटता एवं साझा जिम्मेदारीÓ घोषित की गई है।
1. जिला अस्पताल में संचालित आइसीटीसी
2. सिविल अस्पताल अमरवाड़ा
3. सिविल अस्पताल सौंसर
4. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पांढुर्ना
5. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परासिया
6. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चांदामेटा
7. शेष सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्र एवं डिलेवरी पाइंट आदि।
इनका भी सहयोग –
1. टॉरगेट इंटरवेशन परियोजना
2. ज्वाला ग्रामीण विकास मंडल छिंदवाड़ा
3. ग्रामीण विकास मंडल परासिया
4. लिंक वर्कर स्कीम
5. जन मंगल संस्थान छिंदवाड़ा
6. अहाना
7. विहान अहाना
यह केंद्र है प्रस्तावित –
– जिला अस्पताल में लिंक एआरटी सेंटर
– आइसीटीसी केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तामिया
– आइसीटीसी केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जुन्नारदेव
चार कारणों से ही फैल सकता हैं संक्रमण –
1. संक्रमित सुई के प्रयोग करने पर।
2. संक्रमित ब्लड चढ़ाने पर।
3. संक्रमित गर्भवती महिला से उसके होने वाले बच्चे को।
4. असुरक्षित यौन सम्बंध बनाने या एक से अधिक महिला या पुरुष से शारीरिक सम्बंध बनाने पर।
यह बरते सावधानियां –
1. हमेशा नई सुई का उपयोग करना।
2. जांचा-परखा रक्त चढ़ाना।
3. प्रत्येक गर्भवती की एचआइवी की जांच करना।
4. साथी के प्रति वफादार रहना और कंडोम का उपयोग करना। एचआइवी और एड्स में अंतर –
एचआइवी एक तरह का वायरस है, जबकि एड्स विषाणु के कारण होने वाली बीमारियों के समूह का नाम है। एचआइवी जब किसी मनुष्य के शरीर में प्रवेश करता है तो लगभग 8-10 वर्ष तक या कभी-कभी इससे अधिक समय तक रोगों से लडऩे की क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य स्वस्थ दिखता है, पर वह अपने एचआइवी वायरस से दूसरे स्वस्थ व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है। बीमारियों से लडऩे की क्षमता बिल्कुल नष्ट हो जाती है तब अनेक बीमारियां शरीर को घेर लेती है, जिस अवस्था को एड्स कहते है।
एचआइवी संक्रमण के शुरुआती समय में करीब 6 सप्ताह तक विषाणु रक्त में होने के बावजूद जांच में मालूम नहीं पड़ता है, जिस वजह से परिणाम नेगेटिव आते है। इस पीरियड को विंडो पीरियड कहा जाता है। यह विषाणु संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, योनिस्त्राव तथा मां के दूध में उपस्थित रहते है। शरीर में यह द्रव्य जब किसी अन्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करते है, तब एचआइवी संक्रमण का खतरा रहता है।