scriptअलर्ट: सूकर और चमगादड़ से रहे दूर, इस वायरस ने फिर दी दस्तक | Alert away from pig and bats, this virus again gave knock | Patrika News

अलर्ट: सूकर और चमगादड़ से रहे दूर, इस वायरस ने फिर दी दस्तक

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 17, 2019 11:59:15 am

Submitted by:

Dinesh Sahu

शासन ने दिए व्यवस्था बनाने के निर्देश

अलर्ट सूकर और चमगादड़ से रहे दूर, इस वायरस ने फिर दी दस्तक

अलर्ट सूकर और चमगादड़ से रहे दूर, इस वायरस ने फिर दी दस्तक

छिंदवाड़ा. निपाह वायरस को लेकर छिंदवाड़ा समेत प्रदेश में एक बार फिर फ्रेश अलर्ट जारी कर व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए गए है। इस संबंध में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग संचालक डॉ. विजय कुमार जे. ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन को निर्देश दिए है कि बुखार के साथ झटके, अचेतना, सांस में तकलीफ के मरीज जो कि निपाह प्रभावित क्षेत्र से पिछले 21 दिन के भीतर आए है तथा जिनमें अन्य स्थानीय बीमारी नहीं है, उनमें निपाह संक्रमण की संभावना हो सकती है।
इसके लिए आरआरटी को अलर्ट रहने, आइसोलेशन वार्ड बनाने, आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराने, डॉक्टरों को जानकारी देने, मस्तिष्क ज्वर, पशु चिकित्सा विभाग को चमगादड़ और सूकरों के संक्रमण पर निगरानी रखने के सूचना देने, पीएचइ विभाग को चमगादड और सूकरों से दूषित जल की जांच कराने के लिए नगर निगम को पत्र लिखना आदि शामिल है।
उल्लेखनीय है कि निपाह बीमारी एक संक्रामक व उभरती हुई जूनेटिक बीमारी है। यह बीमारी सितम्बर 1998 से मई 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में पाई गई थी। भारत में वर्ष 2001 व 2007 के दौरान पश्चिम बंगाल, पड़ोसी देश बांग्लादेश में कुछ प्रकरण दर्ज किए गए थे। पिछले वर्ष 2018 में केरल राज्य से भी कुछ केस सामने आए तथा मृत्यु भी दर्ज की गई थी।
बताया जाता है कि निपाह वायरस एक घातक संक्रमण बीमारी है। चमगादड़ इस बीमारी का नेचरल रिर्जव्वायर है। इस बीमारी से चमगादड़ की मृत्यु नहीं होती, बल्कि उनके द्वारा कुतरे फल को खाने से सूकर प्रभावित होता है तथा मनुष्य में यह बीमारी दूषित ताड़ी पीने या संक्रमित चमगादड़ या सूकर के संपर्क में आने से होती है।
निपाह संक्रमण बीमारी के लक्षण तथा बरती जाने वाली सावधानियां

तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, बेचैनी, सुस्ती, बेहोशी, उल्टी-दस्त आदि है। संक्रमण से बचने के लिए चमगादड़ों द्वारा खाए अपशिष्ट फलों का सेवन न करें, ताड़ी न पीए, अच्छी तरह धोकर फलों को सेवन करें, लम्बे समय से उपेक्षित कुओं में प्रवेश न करें, चमगादड़-सूकरों से दूर रहे तथा संदिग्ध रोगी या क्षेत्र से दूर रहना चाहिए।
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