दरअसल, मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा के आधार पर शासन ने एमबुलेंस स्टाफ को निर्देशित किया है कि किसी भी गम्भीर घायल व्यक्ति को लेकर पहुंचने से पहले सम्बंधित चिकित्सालय को सूचना दी जाए। इससे समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर समेत अन्य अमला तैयार रहता है तथा समय पर मरीज को उचित उपचार दिया जा सकता है। लेकिन वर्तमान में एम्बुलेंस द्वारा इमरजेंसी प्रकरण अस्पताल आने पर भी न तो मौके पर स्ट्रेचर मिलता है और न ही वार्ड ब्वॉय। पर्ची बनवाने के लिए भी पृथक व्यवस्था तो की गई, लेकिन पर्याप्त कर्मचारी न होने से दिक्कत बनी हुई है।
दिया जा चुका है प्रशिक्षण
इधर जिले में दौड़ रही इमरजेंसी एम्बुलेंस 108 के इएमटी डॉक्टर तथा पायलटों को मास्टर ट्रेनर द्वारा उक्त संबंध में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके बावजूद निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है। जिला प्रबंधक प्रभजोत सिंह ने बताया कि शासन ने अब तक न तो पर्याप्त स्टाफ उपलब्ध कराया है और न ही विशेष टेलीफोन नम्बर, जिस पर सम्पर्क किया जा सके। इसी वजह से सूचना नहीं दी पा रही है।