संस्था में ही मनेगी दीवाली
कोरोना की वजह से लगभग डेढ़ साल से दिव्यांग बच्चे अपने घर नहीं गए हैं। संचालक ने बताया कि वर्तमान में छोटे बड़े कुल 65 दिव्यांग बालक-बालिकाएं हैं। इन्हें संस्था द्वारा कपड़ा, खाना, रहना, प्रशिक्षण सहित अन्य सुविधा निशुल्क उपलब्ध कराई जाती है। शासन की तरफ से 25 प्रतिशत ही बजट मिल पाता है। वहीं कुछ बच्चों के पैरेंट्स सहायता राशि देते हैं। शेष खर्चा दोस्तों की मदद एवं दान से चलता है। संचालक ने बताया कई बच्चों का घर अब यही हो चुका है वे अपने घर नहीं जाना चाहते। ऐसे में हर साल उनकी दिवाली यही मनती है।
कलेक्ट्रेट के पास लगा रहे प्रदर्शनी
फाउंडेशन संचालक ने बताया कि दीयों को कुम्हारी मोहल्ला सहित अन्य जगहों से खरीदा गया है। इसके पश्चात दिव्यांग बच्चे इन दीयों को रंगों से आकर्षक रूप दे रहे हैं। 30 अक्टूबर तक इसकी प्रदर्शनी कलेक्ट्रेट के पास दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक लगाई जा रही है।
बिना खरीदे नहीं रह पाएंगे
दिवाली पर्व का उल्लास हर तरफ देखने को मिल रहा है। लोग जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। घरों में रंगरोहन हो रहा है। कुम्हार दिन-रात दीए बनाने में जुटा हुआ है। इन सबके बीच दिव्यांग बच्चों की कला देख लोग आश्चर्यचकित हैं। प्रदर्शनी में जब विशेष बच्चों के नन्हें हाथों से बनी सुंदर दिवाली की चीजें उनके सामने आई तो उन्हें खरीदे बिना वे रह नहीं पाए। दिव्यांग बच्चों का आत्मविश्वास, लगन और हौंसलों की झलक साफ देखने को मिल रही है।
दिवाली पर्व का उल्लास हर तरफ देखने को मिल रहा है। लोग जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं। घरों में रंगरोहन हो रहा है। कुम्हार दिन-रात दीए बनाने में जुटा हुआ है। इन सबके बीच दिव्यांग बच्चों की कला देख लोग आश्चर्यचकित हैं। प्रदर्शनी में जब विशेष बच्चों के नन्हें हाथों से बनी सुंदर दिवाली की चीजें उनके सामने आई तो उन्हें खरीदे बिना वे रह नहीं पाए। दिव्यांग बच्चों का आत्मविश्वास, लगन और हौंसलों की झलक साफ देखने को मिल रही है।