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Artist: प्रख्यात साहित्यकार ने ऑनलाइन कार्यशाला में कही यह बात, किया मंत्रमुग्ध

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 08, 2020 12:13:42 pm

Submitted by:

ashish mishra

रंगमंच में आंचलिक भाषा और बोलियों के महत्व को बताया।

Artist: प्रख्यात साहित्यकार ने ऑनलाइन कार्यशाला में कही यह बात, किया मंत्रमुग्ध

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छिंदवाड़ा. अपनी माटी के रंगों को बिखेरने और अंचल के वरिष्ठ कलाकारों के अनुभवों को सहेजने के लिए किरदार संस्थान द्वारा ओम मंच पर अस्तिस्व के सहयोग से ‘माटी के रंग, किरदार के संग’ ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। सचिव ऋषभ स्थापक ने बताया कि रविवार को इस कार्यशाला का चतुर्थ सत्र प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर अतिथि प्रख्यात साहित्यकार एवं आकाशवाणी के पूर्व उद्घोषक अवधेश तिवारी उपस्थित रहे। कार्यशाला में उन्होंने रंगमंच में आंचलिक भाषा और बोलियों के महत्व को बताया। उन्होंने अपने लोकभाषा में रचित दोहों व गीतों के माध्यम से सीख भरी रसानुभूति कराकर सभी प्रतिभागियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने रेडियो नाटक एवं मंच नाटक में समानता तथा अंतर को बताया। उन्होंने कहा कि मैं ऐसा मानता हूं कि रेडियो नाटक श्रव्य होते हैं, जिसमें कान ही आंख का कार्य करते हैं। रेडियो नाटक के लिए सम्पूर्ण वायुमंडल ही एक मंच के समान होता है। वर्तमान समय में रेडियो नाटक का विस्तार जारी है। उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभागियों को रेडियो नाटकों के प्रस्तुतिकरण के गुर सिखाए। कार्यशाला के रंग गुरु विजय आनंद दुबे ने रेडियो नाटकों पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी अरविंद रंजन कुण्डू, वायपी कश्यप सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे। सत्र समापन पर कार्यशाला निर्देशक डॉ. पवन नेमा एवं संयोजक शिरिन आनंद दुबे ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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