22 फरवरी 2018 को सिंडीकेट बैंक मुख्य शाखा छिंदवाड़ा की प्रबंधक अनुपमा सूर्यवंशी ने पुलिस थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि सुधीर सोनी जो कि वर्ष 2008-09 से सिंडीकेट बैंक मुख्य शाखा छिंदवाड़ा में पिग्मी एजेंट के रूप में कार्यरत है। बैंक द्वारा एक पिग्मी मशीन अधिकृत की गई थी। सुधीर सोनी पिग्मी योजना के अंतर्गत बैंक में खाता खुलवाकर खातेदारों से प्रतिदिन राशि वसूल कर जिनती राशि प्राप्त करता था उनती राशि बैंक में जमा नहीं की। किंतु पिग्मी मशीन से खाताधारकों को उतनी ही राशि की रसीद देता था। शिकायत पर बैंक ने जांच की तो 171 खाताधारकों के खातों में विसंगतियां पाई गई। जांच में सामने आया 32 लाख 39 हजार 69 रुपए की हेराफेरी हुई है, इतनी राशि की रसीद तो दी, लेकिन बैंक में जमा करने की बजाए सुधीर सोनी ने अपने उपयोग में ले ली। लाखों रुपए की हेराफेरी होना सामने आने के बाद पुलिस थाना कोतवाली में अपराध पंजीबद्ध किया गया। पुलिस ने आरोपी सुधीर सोनी को हिरासत में लेकर न्यायालय में पेश किया, यहां से उसका जेल वारंट काट दिया गया। पुलिस ने विवेचना पूरी करने के उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया।
आरोपी को दो धारा में सुनाई गई सजा
आरोपी सुधीर सोनी को धारा 409 भादंवि में 7 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 32 लाख 40 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। धारा 420 भादंवि में 3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। दोनों सजाएं साथ-साथ भुगताई जावेगी। प्रकरण में शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक सुनील सिंधिया ने पैरवी की।