मिली जानकारी के अनुसार इको टूरिज्म बोर्ड भोपाल द्वारा वित्तीय वर्ष 2016-17 एवं 17-18 में 25 लाख रुपए का बजट 15 हैक्टेयर क्षेत्र में फैले भरतादेव पार्क को विकसित करने के लिए पूर्व वनमण्डल की छिंदवाड़ा रेंज को उपलब्ध कराया गया। इस राशि से रेंज अधिकारी-कर्मचारियों ने तीन पगोड़ा एवं बच्चों के खेलने के लिए दो झूले बनवाए। इसके साथ ही 500 से 600 पौधे सडक़ के दोनों ओर लगाए। क्षेत्र में 20-5 सीमेंट की कुर्सियां लगाई गई हैं। इसके अलावा सार्वजनिक शौचालय बनाया गया है। देखरेख के अभाव में वर्तमान में चारों ओर लेंटाना की झाडि़यां उग आई हैं। इसकी निंदाई गुड़ाई भी नहीं कराई गई हैं।
सम्पूर्ण पार्क में सुरक्षा के लिए न तो चौकीदार रखा गया और न ही किसी तरह का कोई बोर्ड लगाया गया है। इससे पार्क चारों ओर से अव्यवस्थित नजर आ रहा है।
भरतादेव में वर्ष 2014-15 में विस्तार वानिकी (पर्यावरण वानिकी) मद से 10 लाख रुपए में दो छोटे पगोड़ा एवं लगभग 10 सीमेंट कुर्सियां खरीदकर लगाई गई थीं। इस तरह इस पार्क में विगत तीन साल में 35 लाख रुपए खर्च किए गए। पार्क में खर्च इस राशि का शहरवासियों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है। इस पार्क की अव्यवस्था देख लोगों ने जाना छोड़ दिया है।
भरतादेव पार्क में राहत मद से वर्ष 2005 में दो लाख रुपए की लागत से तालाब का निर्माण कराया गया था। इसमें सुरक्षा के अभाव और विभागीय अनदेखी से तालाब की दीवार खोदकर पानी चोरी हो रही है। इससे वर्षा ऋतु में भी तालाब खाली नजर आ रहा है।
वर्ष 1992 में विधायक और तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह की रुचि के चलते भरतादेव पार्क का विकास शुरू किया गया था। उसके बाद 2005 में पुन: वनमंत्री बनने पर इस उद्यान में 12 लाख रुपए खर्च कर पार्क निर्माण एवं अन्य विकास कार्य कराए गए। वर्ष 2014 से 17 तक 35 लाख रुपए इको टूरिज्म बोर्ड एवं विस्तार वानिकी मद से खर्च किए गए। वर्तमान में पार्क जिस तरह उजड़ा पड़ा है, उससे यह राशि अनुपयोगी सिद्ध हो रही है।
-रवीन्द्र सिंह, वृक्ष मित्र,रिटायर्ड राज्य वन सेवा अधिकारी
भरतादेव वाटर पार्क में बारिश के चलते झाडि़यां उग आई है। वर्षा सीजन समाप्त होते ही इसका रिनोवेशन करा दिया जाएगा।
-एसएस उद्दे, डीएफओ,पूर्व वनमण्डल छिंदवाड़ा बारिश के बाद कराएंगे रिनोवेशन
भरतादेव वाटर पार्क में बारिश के चलते झाडि़यां उग आई है। वर्षा सीजन समाप्त होते ही इसका रिनोवेशन करा दिया जाएगा।
-एसएस उद्दे, डीएफओ,पूर्व वनमण्डल छिंदवाड़ा।