छिंदवाड़ा

छह प्रत्याशी खड़े हुए भाजपा से, जीता सिर्फ एक

पटवा को छोडकऱ सभी को देखना पड़ा हार का मुंह

छिंदवाड़ाApr 10, 2019 / 12:50 am

prabha shankar

bjp congress

छिंदवाड़ा. संसदीय सीट छिंदवाड़ा भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा रोड़ा बनती आई है। इस समय देश की हाई प्रोफाइल सीट के रूप में कही जा रही इस सीट का इतिहास देखें तो कांग्रेस की बल्ले-बल्ले रही है और भाजपा के लिए इस सीट की जीत एक सपना रही है। छिंदवाड़ा में मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहा है।
भारतीय जनता पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद लोकसभा के दस चुनावों में पार्टी ने छह उम्मीदवारों को टिकट दिया, लेकिन सिर्फ एक को जीत मिली। 1997 में हुए उपचुनाव में सुंदरलाल पटवा ने यहां के संसदीय इतिहास में पहली बार भाजपा को जीत का स्वाद चखाया था, लेकिन उसके बाद भाजपा फिर कभी यहां कांग्रेस के किले को हिला नहीं सकी।
96 में मिली थी कांग्रेस को कड़ी टक्कर
1996 में जब अलकानाथ को कांग्रेस से टिकट मिली तो भाजपा से चौधरी चंद्रभान सिंह को खड़ा किया गया। यह चुनाव बेहद कांटे का रहा। इस चुनाव में तब छिंदवाड़ा की जनता ने रिकॉर्ड 69 प्रतिशत मतदान किया था। जिले के पारम्परिक कांग्रेस वोटरों ने अलकानाथ को जिताया, लेकिन चौधरी चंद्रभान हारे तो सिर्फ 21 हजार वोटो से। कांग्रेस की अब तक की ये सबसे मुश्किल और कम अंतरों से जीत मानी जाती है। वैसे कांग्रेस को टक्कर तो 1977 के चुनाव में प्रतुलचंद द्विवेदी ने
भी दी थी। उस समय वे भारतीय लोकदल से जुड़े थे। इमरजेंसी के कारण गिरी केंद्र सरकार के बाद हुए चुनाव में उस समय कांग्रेस के गार्गीशंकर मिश्रा के हाथ जीत मुश्किल से आई। द्विवेदी से वे सिर्फ 2369 वोटों से हारे। इसके बाद 1980 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट से द्विवेदी कमलनाथ के खिलाफ लड़े उन्हें 70 हजार से ज्यादा मतों से हार झेलनी पड़ी। जीत के अंतर के आंकड़े को देखें तो सबसे बड़ी जीत कांग्रेस को 1999 के चुनाव में मिली थी। उन्होंने भाजपा से खड़े हुए संतोष जैन को एक लाख 88 हजार 928 मतों के भारी अंतर से हराया था।
इन्हें मिल चुका है टिकट
भारतीय जनता पार्टी ने 1984 में रामकिशन बत्रा को टिकट दिया। 1991 में चौधरी चंद्रभान सिंह भाजपा के उम्मीदवार बने। पार्टी ने उन्हें 96 में अलकानाथ के खिलाफ भी रिपीट किया, लेकिन दोनों बार वे जीत दर्ज नहीं कर सके। 2014 के पिछले चुनाव में उन्हें तीसरी बार टिकट मिला लेकिन वे एक लाख 16 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त खा बैठे। इस बीच हुए चुनावों में सुंदरलाल पटवा, संतोष जैन, प्रहलाद पटेल और मारोतराव खवसे को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। पटवा को छोडकऱ सभी को हार का मुंह देखना पड़ा।
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