शनिवार दोपहर बाद मृत हिरण के शव को सुरक्षित वन विभाग के चौरई स्थित कार्यालय पहुंचाने के लिए तमाम प्रयास किए, लेकिन सारे विफल रहे। बीट गार्ड से लेकर कार्यालय के बाबू ने जनता से साफ कह दिया कि इस काम के लिए कोई वाहन नहीं है। वहीं क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि कार्यालय में चौपहिया वाहन खड़ा था इसके बाद भी शव लेने के लिए वाहन नहीं भेजा गया। विभागीय अधिकारियों ने शव को साइकिल के माध्यम से ही बुलवाया गया। इस दौरान मौजूद अधिकारियों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर भी खूब चला, लेकिन हिरण के शव को जिस तरह लाय गया यह विभाग के नियमों के खिलाफ होने के साथ ही अमानवीय भी है। बताया जा रहा है कि हिरण के शव का पीएम भी नहीं कराया और जला दिया गया। यहीं नहीं पिछले दिनों मंडी के समीप कुएं में 2 सियार गिरी खेत मालिक ने वन विभाग को सूचना दी। काफी देर बाद अमला पहुंचा तो खेत मालिक की रस्सी खटिया कुएं में डाली जो किसान को नहीं लौटाई और देरी के चलते दोनों सियार की मौत भी हो गई। बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान समसवाड़ा में नीलकंठ पक्षी का शिकार किया गया, जिसकी अभी भी जांच रही। टीम किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। इस मामले में भी वन विभाग के खिलाफ ग्रामीणों में खासा आक्रोश है।