सीएम के गृह जिले में मतदान का बहिष्कार
छिंदवाड़ाPublished: Apr 29, 2019 04:19:18 pm
मतदान बहिष्कार की सूचना पर पहुंचे अधिकारी
छिंदवाड़ा . छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा के झीर पानी ग्राम में लोगों ने मतदान का बहिष्कार करने का मन तो बनाया, लेकिन अधिकारियों की समझाइश के बाद मतदान के लिए राजी हो गए। दरअसल सम्बंधित मतदान केंद्र में सुबह सात बजे से लेकर दोपहर एक बजे के बीच एक भी वोट न पडऩे की खबर से अधिकारी सकते में आ गए। आनन-फानन में वे ग्रामीणों के बीच पहुंचे और मतदान करने लिए समझाइश दी। इसके बाद मतदान शुरू हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि वे बीते कई माह से बिजली, पानी और सडक़ जैसी सुविधाओं से वंचित हैं।
चार माह में इन समस्याओं पर आंदोलित रहे ग्रामीण
1. रिंजीढाना से डोडिया तक स्वीकृत सडक़ निर्माण कार्य पूरा न होने से ग्रामीणों को आवागमन में समस्या। कई बार आवेदन देने पर भी समस्या का निराकरण नहीं।
2. ढोड़ामुआर के ग्रामीणजनों को आठ से दस घंटे की बिजली कटौती का सामना करना पड़ रहा है।
3. परासिया के पास ग्राम पंचायत उमरेठ में पेयजल समस्या गम्भीर है। लोग पेयजल के लिए टंकी का निर्माण और बोर उत्खनन की मांग करते आ रहे हैं।
4. दमुआ के समीप ग्राम धाऊ में सात किलोमीटर सडक़ में से दो किमी अधूरी पड़ी हुई है। ग्रामवासियों को बारिश समेत अन्य सीजन में आवागमन की समस्या का सामना करना
पड़ता है।
5. मोहखेड़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत भवारी में कुएं-हैंडपंप सूख गए हैं। इससे पानी के लिए हाहाकार मच गया है। ग्रामीणजन दूरदराज के कुओं में पानी खोजने पहुंच रहे हैं। भवारी बस्ती, रतीलाल टोला, तिलक टोला, संगम के बकरूटोला, कन्हैया मोहल्ला, दीप के मन्ना मोहल्ला, दीप प्राथमिक शाला, पिपरिया बंजारी माई, पिपरिया पटेल ढाना, टोटकबेई और पिपलगांव भिडक़ा में एक हैंडपंप की जरूरत है।
6. घाट परासिया में विगत तीन माह से मात्र दस घंटे बिजली मिल पा रही है। रात्रि के समय मात्र 10 से 12 बजे
तक ही बिजली मिल पाती है। रेलवे मोहल्ले और मुख्य सडक़ के मकानों में समस्या ज्यादा है।
7. जिला मुख्यालय से 150 किमी दूर बटकाखापा के समीप ग्राम बालूसार में आठ साल से बिजली बंद है। ग्रामीणजनों ने कई बार पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन आज तक उनके गांव का अंधेरा दूर नहीं हो पाया।
8. जुन्नारदेव विकासखण्ड के ग्राम पिंडरईखुर्द के ग्रामीणों को अनाज और केरोसिन लेने के लिए 25 किमी दूर ग्राम चिकटबर्री जाना पड़ता है। कई बार दुकान बंद होने पर खाली हाथ लौटना पड़ता है। उन्होंने गांव में ही राशन दुकान खोलने की मांग की।