अंतरराज्यीय बस संचालन की बात तो दूर जिला स्तर पर ही आवागमन की व्यवस्था अभी तक नहीं बन पाई। लोग निजी वाहनों पर निर्भर है या फिर टैक्सी संचालकों के हाथों लूटने को मजबूर। जिले से बाहर जाने के लिए मजबूरी में टैक्सी चालकों को मनमाना किराया देना पड़ रहा। टैक्सी संचालक पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है। आज तक प्रशासन ने इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जिसके चलते वे अपनी मर्जी से किराया तय कर रहे। इस विषम परिस्थति की घटी में टैक्सी चालकों ने खुली लूट मचा रखी है पर कोई टोकने वाला ही नहीं है। जबकि अधिकांश टैक्सी नियमों के खिलाफ सड़क पर दौड़ रही। लगभग टैक्सी निजी नम्बरों पर संचालित हो रही, कोई परमिट नहीं है। बावजूद इसके प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करता। यात्री बसों के थमे हुए पहियों के कारण आम नागरिक बुरी तरह परेशान है। टैक्स को लेकर सरकार से राहत मिलने के बाद भी मप्र बस एसोसिएशन यात्री बसें संचालित करने को तैयार नहीं है।
पूरी मांगों पर अड़े बस ऑपरेटर
मप्र बस एसोसिएशन का कहना है कि मप्र सरकार ने केवल यह छूट दी है कि पुराना टैक्स जमा किए बगैर आगे का परमिट ले सकते हैं, लेकिन अभी बकाया टैक्स माफी का कोई आदेश नहीं मिला। जब से बसें खड़ी हुई है तबसे अभी तक का पूरा टैक्स माफ किया जाना चाहिए। डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में उसी किराया पर बसों का संचालन करने से भारी नुकसान होगा। किराया बढ़ाया जाना चाहिए जिससे की बस ऑपरेटरों को बस संचालन में सुविधा हो सके। एसोसिएशन का कहना है कि जब तक उनकी सभी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक यात्री बसों का संचालन नहीं किया जाएगा। चाहे बसों को कितने भी दिन खड़ा क्यों न रखना पड़े।
मांगे पूरी होगी तभी बसें चलेगी
लॉकडाउन अवधि और आगामी जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर का टैक्स माफ किया जाए। सरकार आई फार्म की अवधि बढाए। बस ऑपरेटर के लिए डीजल में पंद्रह प्रतिशत की कमी या फिर किराया बढ़ाया जाना चाहिए। वाहन के चालक और परिचालक को राहत राशि दी जाए। ये सभी मांगे पूरी होने पर ही यात्री बसों का संचालन किया जाएगा।
-रोमी राय, जिला अध्यक्ष, बस एसोसिएशन, छिंदवाड़ा