मई में सूखने वाला जूनेवानी जलाशय इस वर्ष मार्च में ही सूखे की भेंट चढ़ जाएगा। हालांकि नगर पालिका के पास उस समय की तुलना में अभी पेयजल आपूर्ति के संसाधन पर्याप्त होने से नगरवासियों को पानी की समस्या का सामना कम ही करना पड़ेगा।
छिंदवाड़ा (पंढुर्ना). तहसील में अल्पवर्षा के कारण इस वर्ष 29 वर्षों पुराना इतिहास दोहराया जाने वाला है। 1988 में जिस प्रकार मार्च माह में सूखे की भेंट पांढुर्ना चढ़ा था ठिक उसी प्रकार से इस वर्ष भी समय से पहले ही सूखे की समस्या आ सकती है। आंकड़े बता रहे हैं कि मई में सूखने वाला जूनेवानी जलाशय इस वर्ष मार्च में ही सूखे की भेंट चढ़ जाएगा। हालांकि नगर पालिका के पास उस समय की तुलना में अभी पेयजल आपूर्ति के संसाधन पर्याप्त होने से नगरवासियों को पानी की समस्या का सामना कम ही करना पड़ेगा। वर्ष 1988 में मार्च माह से ही नगर में पेयजल का संकट उत्पन्न हो गया था।
1988 में कोई भी जलाशय पेयजल के लिए नहीं था। जिससे की पानी की समस्या विकराल हो चुकी थी। इस वर्ष बारिश के कम होने की वजह से जूनेवानी जलाशय में जल भराव 70 प्रतिशत ही हुआ था। जो इस समसय घटकर 30 प्रतिशत शेष बचा हुआ है। नगरपालिका के जल विभाग की माने तो यह पानी मार्च के पहले ही सूख जाएगा। जनवरी के बाद मौसम में जो तपन बढ़ेगी उससे यह बचा हुआ पानी भाप बनकर उड़ जाएगा। जिससे मार्च के बाद जलाशय के पानी का लाभ नगर को पेयजल के लिए मिलना बंद हो जाएगा। इसके बाद नगर की पेयजल व्यवस्था सिर्फ नलकूप और निजी कुओं पर आधारित हो जाएगी।
गांवों में फरवरी माह में ही आएगी समस्या
पीएचई के एक रिपोर्ट के अनुसार फरवरी माह में 11 ग्राम पंचायतों में पेयजल को लेकर कोहराम मच सकता है। बारिश कम होने की वजह से इन गांवों में जलस्त्रोत सूखे की भेंट चढऩे से गांवों में पानी की समस्या विकराल हो सकती है। ग्राम भूली, मालेगांव, चिचखेड़ा, मुंडीढाना के हैण्डपम्प सूख गए हैं। इन गांवों की पेयजल व्यवस्था पूरी तरह से नलजल योजना पर टिकी हुई है। इसी प्रकार से ग्राम नीलकंठ, पिपलपानी, हिवरासेनडवार, चाटवा, भटेवाड़ी, खैरीपेका, भूली, रझाड़ीखापा में पेयजल की स्थिति अभी से भयावह है।