ये औषधियां हैं कैंसर के इलाज में कारगर
तामिया में जड़ी-बूटियों के जानकार वन विभाग के कर्मचारी सुखदेव खरपुसे बताते हैं कि तामिया, पातालकोट, देलाखारी, सांगाखेड़ा समेत आसपास के इलाकों में कैंसर को मात देनेवाली वन औषधियां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इनमें मालाकंद (वन सिंघाड़ा), सेवनाग, सोलापाठा, ईश्वर मूल की जड़-पत्ती, सुकरकंद, खटवा के कंद, कलपारी, बेचांदी, लक्ष्मण कंद, भस्म कंद, हजारी गुलाब की पत्ती, गिलोय आदि औषधियां हंै। वे कैंसर रोगियों को ये औषधियां लम्बे समय से दे रहे हैं। इसका असर प्रभावकारी है। कुछ औषधियां को जापान और ब्राजील से लाकर लगाया गया है।
सीएम साहब इधर भी..चार साल से बंद पड़ा अगरबत्ती का प्लांट
मुख्यमंत्री ने भोपाल में पूरे प्रदेश में अगरबत्ती का प्लांट शुरू करने पर जोर दिया है लेकिन उनके गृह नगर छिंदवाड़ा में भरतादेव में बना अगरबत्ती का प्लांट चार साल से बंद पड़ा है। इस केंद्र में करोड़ों रुपए की मशीनें कबाड़ में तब्दील होकर धूल खा रहीं हैं। वन विभाग की लापरवाही और उदासीनता के चलते तीन करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट दम तोड़ चुका है। पूर्व वनमण्डल के रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्ष 2006 में तीन करोड़ रुपए कृषि मण्डी निधि से भरतादेव के इस हर्बल प्रोसोसिंग प्लांट के लिए मंजूर कराए गए थे। इसमें 80 लाख रुपए प्रशिक्षण केंद्र और हर्बल डिस्टीलेशन प्लांट भवन के नाम पर खर्च किए गए। दो करोड़ रुपए की मशीनें हर्रा-बहेड़ा की प्रोसेसिंग के लिए खरीदी। कुछ समय तक काम भी किया। फिर उत्पाद बिक्री न होने के चलते उसे बंद भी कर दिया। प्लांट में 60 लाख रुपए का तैयार उत्पाद सड़ गया है। एक लाख रुपए का कोयला और प्लांट के अंदर मशीनें अलग कबाड़ बन रही है। प्लांट न चलने से वन अधिकारियों ने इसकी बिजली भी कटवा दी।