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याद किया आजादी में आजाद का योगदान

locationछिंदवाड़ाPublished: Feb 28, 2019 11:48:42 am

Submitted by:

Rajendra Sharma

मनाया चन्द्रशेखर आजाद शहीद दिवस

Celebrated martyrs day of Chandrasekhar Azad

Celebrated martyrs day of Chandrasekhar Azad

छिंदवाड़ा. सर्व जागृृति गण परिषद के अन्र्तगत सजग स्व-साधना परिषद एवं अखंड देश भक्ति-जन जागृृति अभियान से जुड़े बुजुर्गों ने बुधवार को स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का शहीद दिवस मनाया।
संस्था के संयोजक कृपाशंकर यादव ने बताया कि सजग कार्यालय इएलसी हॉस्टल में प्रात: नौ से 10 बजे तक संगोष्ठि आयोजित की गई। इसमें स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के शहीद दिवस पर उनके जीवन के बारे में संवेदनशील देशभक्ति पर चिंतन-मनन किया गया। शाम के समय अमर जवान ज्योति स्तम्भ-शहीद स्मारक पर श्रद्धा सुमन एवं दीप प्रज्ज्वलन किया गया।
यादव ने बताया कि 1931 को इलाहाबाद में चंद्रशेखर आजाद शहीद हुए। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाभरा में हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था। चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान दिया था। 1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहां उन्होंने अपना नाम ‘आजाद’, पिता का नाम ‘स्वतंत्रता’ और ‘जेल’ को निवास बताया था। तब उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई थी। हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने ‘वन्दे मातरम् का स्वर बुलंद किया। इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए। जब क्रांतिकारी आंदोलन उग्र हुआ, तब आजाद उस तरफ खिंचे और ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी‘ से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) में सक्रिय भाग लिया। उन्होंने संकल्प किया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद में स्वयं को गोली मारकर प्राणों की आहुति दे दी।
शहीद चंद्रशेखर को किया नमन

कांग्रेस सेवादल ने देश की वीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया। संगठन कार्यालय में उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उनके नारे सभी सदस्यों ने लगाए। देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए उनके योगदान को याद किया। मुख्य संगठक सुरेश कपाले ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए आजादी के लिए उनके कार्यों पर प्रकाश डाला।
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