छिंदवाड़ा/ मार्गशीर्ष कृष्ण एकम को सकल दिगम्बर जैन समाज के साथ दिगम्बर जैन मुमुक्षु मंडल और अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन के जिन शासन सेवक श्रावकगणों ने आचार्य कुंदकुंददेव का पदारोहण महोत्सव भक्ति-भाव पूर्वक मनाया। गोलगंज के आदिनाथ जिनालय और नई आबादी गांधीगंज स्थित पाŸवनाथ जिनालय में सामूहिक रूप से देव, शास्त्र, गुरु भगवंतों के साथ के आचार्य कुंदकुंददेव का पूजन कर उनका गुणानुवाद किया। स्वाध्याय भवन में आचार्यश्री पर हुई संगोष्ठी में फेडरेशन सचिव दीपकराज जैन ने कहा कि आचार्य कुंदकुंददेव कलिकाल सर्वज्ञ थे, जिन्होंने भव्य जीवों के लिए मोक्ष का मार्ग लिपिबद्ध किया जो पंचम कलिकाल के अंत तक भव्य जीवों के लिए उपकारी रहेगा।
IMAGE CREDIT: patrika33 वर्ष की आयु में आचार्य पद डॉ. विवेक जैन ने कहा कि दिगम्बर जैन परम्परा में शासन नायक भगवान महावीर स्वामी तथा उनके गणधर गौतम स्वामी के बाद श्रमण परम्परा में जिनका नाम सर्वोच्च स्थान पर स्मरण किया जाता हैं वह है आचार्य कुंदकुंद स्वामी। उन्होंने 11 वर्ष की बाल्य अवस्था में संसार शरीर भोगों से वैराग्य धारण कर दिगम्बर मुनि दीक्षा अंगीकार कर ली थी। आज के पावन दिवस में 33 वर्ष की आयु में आपको आचार्य पद प्राप्त हो गया था। उन्होंने समयसार, प्रवचनसार, नियमसार, अष्टपाहुड़, पंचास्तिकाय आदि पंच परमागम सहित 84 पाहुडों की रचना कर भरत क्षेत्र के जीवों के लिए अध्यात्म ज्ञान की गंगा प्रवाहित की।