अब बन रही है लैब
मंडी बोर्ड में अब कुसमेली स्थित मंडी परिसर में प्रयोगशाला बनाने की अनुमति और फंड मिला है। इसकी दीवारें अब खड़ी होना शुरू होंगी। अभी फिलहाल कार्यालय के एक छोटे से कमरे में माश्चराइजर मशीन लगी हुई है। प्रयोगशाला के लिए बड़ा कमरा चाहिए। जब तक पर्याप्त मशीनें नहीं लगेंगी तो काम शुरू नहीं होगा। दूसरा यह व्यवस्था परिसर में होनी चाहिए। कार्यालय में तो किसान पहुंचते ही नहीं हैं। परिसर में किसान जाकर और जानकारी लेकर इससे जुडऩे की कोशिश भी करेंगे।
व्यवहारिक परेशानी भी
छिंदवाड़ा में अनाज ट्रॉलियों में नहीं बोरियों में आता है। ट्रॉली में भरे अनाज को देखकर उसकी गुणवत्ता तुरंत पता लगाई जा सकती है। बोरियों में आने वाले अनाज को पहले फैलाकर मिलाना पड़ेगा तब जाकर उसकी गुणवत्ता पता चलेगी। किसान फिलहाल मंडी ने तुरंत और नकद भुगतान पाता है। इसलिए वे इसका खतरा नहीं लेना चाहते। व्यापारियों की बात करें तो उनका कहना है कि बाहर का अनाज वे कैसे खरीदेंगे। किसान ने जो जांच के लिए अनाज दिया है वही अनाज वह बेचेगा इसे दूसरी जगह देखेगा कौन और कौन जिम्मेदारी लेगा। ट्रांसपोर्टर भी बाहर का ही होगा। उस पर व्यापारी कैसे भरोसा करें। इसलिए व्यापारी भी रुचि नहीं ले रहे हैं।
मंडी परिसर में प्रयोगशाला बनाई जा रही है। उम्मीद है कि इसके बनने के बाद केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना से किसान और व्यापारी जुडं़ेगे और देशभर में अनाज की बिक्री और खरीदी कर सकेंगे।
केएल कुलमी, सचिव, कृषि उपज मंडी छिंदवाड़ा