छिंदवाड़ा

केंद्र सरकार की योजना नहीं आ रही रास, न तो व्यापारी जुड़े न ही किसान

ऑनलाइन व्यापार के लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वह यहां उपलब्ध ही नहीं हैं

छिंदवाड़ाJul 04, 2019 / 01:20 am

prabha shankar

Central government plan failed

छिंदवाड़ा. केंद्र सरकार द्वारा व्यापारियों और किसानों को स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि पूरे देश में व्यापार से जोडऩे के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार की योजना बनाई गई है। इसमें छिंदवाड़ा की कृषि उपज मंडी को भी शामिल कर लिया गया है, लेकिन व्यवस्थाएं न होने और व्यवहारिक परेशानियों के चलते इससे न जिले के किसान जुड़ पाए हैं न व्यापारी इसके जरिए ऑनलाइन व्यापार में रुचि ले रहे हैं।

ऑनलाइन व्यापार के लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए वह यहां उपलब्ध ही नहीं हैं। मंडी में दो कर्मचारियों को ग्रेडर की ट्रेनिंग भी दी गई है, लेकिन जिस काम के लिए वे आए हैं वह सुविधा ही यहां अभी उपलब्ध नहीं है। छिदंवाड़ा मंडी में चना, तुअर, मसूर, मंूंग, उड़द को राष्ट्रीय कृषि बाजार से जोड़ा गया है फिलहाल सिर्फ मॉइश्चर या फिर नमी के बारे में ही रिपोर्ट यहां मिल रही है। अनाज किस ग्रेड का है इसको जांचने की व्यवस्था नहीं है, जबकि यह सबसे ज्यादा जरूरी है। ध्यान रहे छिंदवाड़ा जिले में अब तक 20 हजार के लगभग किसानों ने इस योजना के तहत अपना अनाज देशव्यापी बाजार में बेचने के लिए हामी भरी है। 358 किसानों ने भी रजिस्ट्रेशन कराया है।


अब बन रही है लैब
मंडी बोर्ड में अब कुसमेली स्थित मंडी परिसर में प्रयोगशाला बनाने की अनुमति और फंड मिला है। इसकी दीवारें अब खड़ी होना शुरू होंगी। अभी फिलहाल कार्यालय के एक छोटे से कमरे में माश्चराइजर मशीन लगी हुई है। प्रयोगशाला के लिए बड़ा कमरा चाहिए। जब तक पर्याप्त मशीनें नहीं लगेंगी तो काम शुरू नहीं होगा। दूसरा यह व्यवस्था परिसर में होनी चाहिए। कार्यालय में तो किसान पहुंचते ही नहीं हैं। परिसर में किसान जाकर और जानकारी लेकर इससे जुडऩे की कोशिश भी करेंगे।

व्यवहारिक परेशानी भी
छिंदवाड़ा में अनाज ट्रॉलियों में नहीं बोरियों में आता है। ट्रॉली में भरे अनाज को देखकर उसकी गुणवत्ता तुरंत पता लगाई जा सकती है। बोरियों में आने वाले अनाज को पहले फैलाकर मिलाना पड़ेगा तब जाकर उसकी गुणवत्ता पता चलेगी। किसान फिलहाल मंडी ने तुरंत और नकद भुगतान पाता है। इसलिए वे इसका खतरा नहीं लेना चाहते। व्यापारियों की बात करें तो उनका कहना है कि बाहर का अनाज वे कैसे खरीदेंगे। किसान ने जो जांच के लिए अनाज दिया है वही अनाज वह बेचेगा इसे दूसरी जगह देखेगा कौन और कौन जिम्मेदारी लेगा। ट्रांसपोर्टर भी बाहर का ही होगा। उस पर व्यापारी कैसे भरोसा करें। इसलिए व्यापारी भी रुचि नहीं ले रहे हैं।


मंडी परिसर में प्रयोगशाला बनाई जा रही है। उम्मीद है कि इसके बनने के बाद केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना से किसान और व्यापारी जुडं़ेगे और देशभर में अनाज की बिक्री और खरीदी कर सकेंगे।
केएल कुलमी, सचिव, कृषि उपज मंडी छिंदवाड़ा

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