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दमदार नेतृत्व के बावजूद बुनियादी सुविधाओं को तरसता रहा है यह क्षेत्र

locationछिंदवाड़ाPublished: Nov 09, 2018 11:10:35 pm

Submitted by:

prabha shankar

सौंसर विधानसभा क्षेत्र: पूरे शहर में आवागमन अव्यवस्थित, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बड़े शहरों पर निर्भरता, उद्योग ठप होने से बढ़ी बेरोजगारी

Chhindwara assembly election-2018

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छिंदवाड़ा/ सौंसर. सौंसर शहर में प्रवेश करते ही छिंदवाड़ा मार्ग पर कृषि उपज मंडी स्थित है। यह असुविधाओं के लिए जानी जाती है। किसानों की उपज को रखने और अन्य सुविधाओं के लिए भटकने की स्थिति हर बार बनती है। थोड़ा आगे बढ़े तो मुख्य सडक़ मार्ग पर सिविल अस्पताल है। शासन द्वारा इस सिविल अस्पताल को सौ बिस्तर का दर्जा प्राप्त है, उस लिहाज से यहां स्टाफ व चिकित्सकों की कमी, उपकरणों की कमी बनी रहती है। विशेषज्ञ न होने के कारण मरीज स्वास्थ्य के लिए छिंदवाड़ा या फिर नागपुर पर ही निर्भर हैं।
शहर का मुख्य केंद्र बिंदु बस स्टैंड है। यहां की बात करें तो सघन आवाजाही, भारी आवागमन की वजह से एवं बढ़ते वाहनों के कारण छोटा पडऩे लगा है। कई बार नागरिकों ने बस स्टैंड को नगर के बाहर या उचित स्थान पर करने की आवाज भी उठाई, लेकिन शासन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैए की वजह से इस समस्या पर कोई हल आज तक निकाल नहीं पाया। पूरे बस स्टैंड में बेतरतीब, अव्यवस्थित और असुविधाजनक वाहनों की आवाजाही होती रहती है। जिसके कारण कई समस्या उत्पन्न होती है। बस स्टैंड पर फुटकर व्यवसायियों के लिए कोई उचित स्थान न होने की वजह से वे निजी वाहन, बस स्टैंड के इर्द -गिर्द जमे हुए हैं। बस स्टैंड से नगर की ओर जाएं तो पुलिस थाना और आबकारी विभाग के सामने प्रतिदिन जाम की स्थिति बन जाती है। शहर की आंतरिक सडक़ों पर भी काम की जरूरत है। सिविल लाइन की ओर जाने वाली रेलवे क्रॉसिंग और ग्राम निमनी, कन्हैया मार्ग के समीप रेलवे विभाग ने ओवरब्रिज के कारण एक अंडरपास बनाया गया है। इसमें आवागमन को लेकर समस्याएं हैं। इसी बीच छिंदवाड़ा- नागपुर ब्रॉडगेज रेल पटरी बिछाने का कार्य निरंतर कुछ वर्षों से किया जा रहा है जो पूर्णता की ओर है। ब्रॉडगेज शुरू होने के बाद सौंसर तथा दर्जनों ग्रामीण इलाकों के लोगों को रेल की सुविधा जरूर मिलने लगेगी।
सौंसर के तहसील कार्यालय के सामने खत्म होते ओवरब्रिज के कारण चौराहा बन गया है, यह एक्सीडेंटल स्पॉट बन गया है। पहले ओवरब्रिज सौंसर के बाहर पडऩे वाले बेलगांव नाके तक जाना था, लेकिन इसमें राजनीति आड़े आ गई और ओवरब्रिज तहसील के सामने ही खत्म हो गया।
वर्तमान में कई तकनीकी गड़बड़ी होने की वजह से समस्याओं का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। ओवरब्रिज के सामने ट्रैफिक पुलिस न होने की वजह से यातायात नियंत्रण करने के लिए अक्सर समस्या होती है। नगर में सिविल लाइन, मटन मार्केट मार्ग पर पुलिया का निर्माण विगत कुछ वर्षों से लम्बित पड़ा हुआ है। काम अब तक पूरा न होने की वजह से नगरीय आवागमन में सुविधा नहीं बन पाई है।
शहर का एक मात्र रेवनाथ चौरे पार्क सुविधा और संसाधनो के लिए तरस रहा है। उचित व्यवस्था न होने के कारण शहर के नागरिक अब इस पार्क में नहीं जाते हैं।

सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों रहे हैं सक्रिय
यहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक नाना मोहोड़ हैं। वे अपने क्षेत्र से जुडे़ हैं। कांग्रेस की गतिविधियां यहां पिछले कुछ सालों में सांसद के आसपास ही केंद्रित रहीं हैं। सांसद कमलनाथ के दौरे यहां लगातार होते रहे हैं और उन्होंने पार्टी को सक्रिय बना रखा है। नानाभाऊ मोहोड़ पिछली तीन विधानसभा जीत चुके हैं अब चौथी बार फि र मैदान में हैं। नानाभाऊ मोहोड़ इस बीच एक बार प्रदेश केबिनेट में शिक्षा राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। क्षेत्र पूरा कृषि पर आधारित है और व्यापार व्यवसाय की दृष्टि से महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है। नागपुर यहां से 60 किलोमीटर है। महानगर होने के कारण यहां से व्यापारिक गतिविधियां करना ज्यादा आसान लगता है। क्षेत्र में स्थानीय रोजगार के संसाधनों का विकास जैसे होना चाहिए वैसा नहीं हुआ है। कुटीर उद्योग खत्म हो गए तो सेज की जमीन को लेकर मामला विवाद में रहा। औद्योगिक क्षेत्र से कई इकाइयों में पिछले एक दशक में ताला लग गया है।

इन पर दिया जाना था ध्यान जो नहीं दिया
सौंसर किसी समय चंदेरी साड़ी के लिए भी प्रसिद्ध था। बुनकरों के हाथ की कलाकारी की तारीफ दूर-दूर तक होती थी, लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण यह व्यवसाय ठप हो गया। राजनीतिक तौर पर यहां के नेता जिले में सबसे ज्यादा सक्षम माने गए पर क्षेत्र के विकास में उनका जो योगदान होना चाहिए था वह नहीं दिखा। स्थानीय रोजगार अभी भी बड़ी समस्या है। क्षेत्र में संतरा और कपास की अच्छी पैदावार हो रही है, लेकिन इसके बावजूद जो नाम होना चाहिए था क्षेत्र का नहीं हो रहा। इन पर यदि गम्भीर हो जाए जनप्रतिनिधि तो क्षेत्र संवर सकता है। पिछले कुछ समय में कन्हान नदी और रेत घाटों से अवैध रेत उत्खनन एक बड़ा मुद्दा बना है। अवैध उत्खनन के लिए पूरे जिले में यह क्षेत्र बदनाम है। इस पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकी।

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