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अथाह जलराशि फिर भी चौरई नगर समेत चांद और बिछुआ जूझ रहे गम्भीर जलसंकट से

locationछिंदवाड़ाPublished: Nov 13, 2018 10:56:33 am

Submitted by:

prabha shankar

चौरई विधानसभा क्षेत्र की कहीकत

Chhindwara assembly election-2018

Chhindwara assembly election-2018

चौरई. जिला मुख्यालय से सिवनी मार्ग पर झिलमिली में चौरई क्षेत्र की जीवन दायिनी कही जाने वाली पेंच नदी मौजूद है। कभी यह पानी का मुख्य स्रोत थी, वर्तमान में अवैध खनन की वजह से पूरी छलनी हो चुकी है। आगे बढऩे पर गणेश टेकड़ी में नगर पालिका चौरई का जलशोधन संयंत्र बना है। यहां से पेंच नदी का पानी फिल्टर कर चौरई नगर में भेजा जाता है। आगे आने पर वर्षों से बंद पड़ा सोयाबीन प्लांट है। डेढ़ दशक पहले हजारों लोगों को रोजगार देने वाले इस प्लांट के दोबारा शुरू होने का इंतजार क्षेत्र के लोगों को है।
वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमाभारती ने इसे शुरू कराने की कोशिश तो की लेकिन वह नाकाम साबित हुई। एक वर्ष बाद प्लांट फिर बंद हो गया। प्लांट में स्थापित सरकार और तिलहन संघ की करोड़ों रुपए की मशीनरी कबाड़ हो गई। वर्तमान में इस बेशकीमती जमीन पर महज बंद पड़े प्लांट का ढांचा खड़ा है। यहां बनी आवासीय कॉलोनी भी अब वीरान है। इसी कॉलोनी के कुछ जर्जर कमरों में क्षेत्र का इकलौता केंद्रीय विद्यालय संचालित है। स्कूल का अपना भवन अब भी आधे से ज्यादा अधूरा है, इसी वजह से हायर सेकंडरी की कक्षाएं भी अब तक शुरू नहीं हो सकी हैं। केंद्रीय विद्यालय से हाई स्कूल पास होने वाले विद्यार्थियों को आगे की पढ़ाई के लिए छिंदवाड़ा का रुख करना पड़ता है।
चौरई नगर में प्रवेश करते ही भव्य बस स्टैंड तो देखने को मिलता है, लेकिन सडक़ पर बस संचालकों की मनमानी और बेतरतीब यातायात दूसरों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। नपा के समीप में स्थित होने के बावजूद बस स्टैंड में फैली गंदगी व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। यहां न तो यात्रियों के बैठने की उचित व्यवस्था है न ही पीने का पानी। अतिक्रमण के साथ बेतरतीब पार्किंग इस शहर के सौंदर्य को ग्रहण लगा रही है। चांद रोड पर स्थित नगर का एकमात्र स्टेडियम देखभाल के अभाव में बदहाली का शिकार है।
माचागोरा डैम के करीब होने के बाद भी इस शहर की सबसे बड़ी समस्या पानी को लेकर है। सामान्य तौर पर तीन-चार दिनों के अंतराल में तो गर्मियों में १५ दिन के अंतराल में पानी मिल पाता है। वहीं नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टरों की कमी शुरू से रही है। यहां आने वाले ज्यादातर मामले रैफर ही किए जाते हैं। इधर क्षेत्र में स्कूल शिक्षा को लेकर बेहतर सुविधाएं हैं। उच्च शिक्षा के लिए इसी वर्ष महाविद्यालय की शुरुआत हुई है।
चौरई से चांद होते हुए बिछुआ खमारपानी से रेमंड चौक तक सीसी सडक़ का काम तेजी से जारी है। चांद को नगर परिषद का दर्जा भले ही मिल गया हो, लेकिन यहां भी जलसंकट मुख्य समस्या है। यहां स्वास्थ्य सुविधा न के बराबर ही हंै। क्षेत्र कृषि बहुल है इसी वजह से स्थानीय लोग कृषि आधारित उद्योग की मांग करते हैं। चांद से उभेगांव तक चौड़ी सडक़ का निर्माण हो होने से यह क्षेत्र नागपुर हाइवे से जुड़ जाएगा जो क्षेत्र के किसानों के लिए ज्यादा फायदेमंद होगा।
बिछुआ में भी लगातार पानी न मिलने से लोग परेशान हैं। हालांकि जलाशय के माध्यम से पेयजल आपूर्ति की योजना को मंजूरी मिल जाने से यह समस्या जल्द ही दूर हो जाएगी। नगर के स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की पदस्थापना होने से लोगों को राहत है। हालांकि यहां के कुछ गांवों में विकास कार्य न होने से ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार
करने की चेतावनी भी दी है। बिछुआ के टेकापार समेत अन्य ग्रामों में आजादी के बाद पहली बार पहुंची बिजली ने लोगों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी है।

माचागोरा डैम से हुआ विकास
चौरई समेत छिंदवाड़ा और सिवनी जिले की भाग्य रेखा माना जाने वाला माचागोरा डैम बनने से नहरों के माध्यम से सिंचाई के लिए किसानों को पर्याप्त पानी मिल रहा है। हालांकि अभी भी कई स्थानों पर नहरों का निर्माण नहीं हो पाने से लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया है। इससे किसानों में आक्रोश है। वहीं डैम निर्माण से डूब क्षेत्र में आए विस्थापित मुआवजा वितरण और उचित व्यवस्थापन न होने के कारण परेशान हैं। इन्हें रोजगार और मूलभूत सुविधाओं की दरकार है।

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