विश्वनाथ ओक्टे इस समय पांढुर्ना के कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश उइके के प्रचार अभियान में जुटे हैं। बताया जाता है कि उन्होंने खुद छिंदवाड़ा विधानसभा में प्रचार न करने की बात प्रदेश अध्यक्ष व सांसद कमलनाथ से कही थी। नीलेश के पिता पूसाराम उइके खुद कांग्रेस के नेता रहे हैं और विश्वनाथ ओक्टे जब जिला पंचायत अध्यक्ष थे उस समय वे क्षेत्र से सदस्य चुनकर आए थे। इस बार छिंदवाड़ा विधानसभा सीट से ओक्टे प्रमुख दावेदार थे, लेकिन ऐन वक्त पर टिकट दीपक सक्सेना को मिल गया। इसके बाद उन्होंने खुली नाराजगी वरिष्ठों के सामने व्यक्त की थी।
दूसरी ओर आनंद बक्षी के शुरुआती प्रचार से ही दीपक सक्सेना खफा थे। उनका कहना था कि वे प्रचार कर उनके खिलाफ माहौल बना रहे हैं। टिकट मिलते-मिलते तक मामला और बिगड़ गया। हालांकि आनंद पहले से ही कहते रहे कि टिकट मांगना उनका अधिकार है नहीं मिलेगा तो जो उम्मीदवार होगा उसके लिए वे पार्टी की तरफ से काम करेंगे। इधर सौंसर में पार्टी उम्मीदवार विजय चौरे ने जिले से वरिष्ठ नेताओं से बक्षी को सौंसर में प्रचार के लिए मांगा और आनंद को सौंसर भेज दिया गया। चौरई और जुन्नारदेव में भी कांग्रेस उम्मीदवारों को टिकट देने को लेकर खासा बवाल मचा, लेकिन पिछले दिनों छिंदवाड़ा आए कमलनाथ ने स्पष्ट रूप से कोई विवाद न कर पार्टी के लिए प्रचार करने की बात स्पष्ट कह दी।
भाजपाई असंतुष्ट क्षेत्र में ही जमे
टिकट को लेकर असंतोषी कांग्रेस में ही नहीं भाजपा भी दिख रहा है। टिकट के पहले जो खुले आम सम्भावित प्रत्याशियों का विरोध कर रहे थे वे अब भी वहीं जमे हुए हैं। जुन्नारेदव में जिला पंचायत अध्यक्ष कांता ठाकुर टिकट मांगने भोपाल तक पहुंच गईं थीं। छिंदवाड़ा में भी विधायक टिकट के लिए कई और नाम थे हालांकि छिंदवाड़ा में नामांकन के समय सभी एक साथ दिखे। पार्टी का कहना है कि टिकट मांगने का अधिकार सबका है, लेकिन जब उम्मीदवार तय हो गया तो फिर वह व्यक्तिगत नहीं पार्टी का उम्मीदवार रहता है और सब एक साथ काम कर रहे हैं।