ऐसा इस कारण से हुआ
यह पहली बार हुआ कि किसानों को मंडियों में गेहूं बेचने के बाद भी समर्थन मूल्य के साथ 160 रुपए प्रति क्विंटल देने का फैसला सरकार ने लिया। समर्थन मूल्य पर 1840 रुपए देने के साथ विशेष बोनस 160 रुपए के हिसाब से कुल 2000 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को मिलना था। मंडियों में इस बार खुली नीलामी में शुरू से ही गेहूं के दाम चढ़े रहे। देखते-देखते दाम 1900 और फिर 1950 तक पहुंच गए। इसलिए किसानों ने मंडी में गेहूं बेचकर फायदा कमाया। सरकार तो दो हजार दे रही थी मंडी में बेचकर उन्हें 2100 रुपए से ज्यादा मिले। मई में खरीदी के आखिरी समय तो व्यापारियों ने किसानों को 2100 रुपए प्रति क्विंटल तक दाम दिए। इस बार गेहूं की फसल भी कम हुई है। कमी के कारण जितना भी गेहूं आया व्यापारियों ने भविष्य में दाम और बढऩे की आशा में खरीदी की। इसी होड़ में दाम बढ़े।