पेयजल सप्लाई के लिए वर्ष 2011 में करोड़ों रुपए का बजट पास हुआ था। 57.32 करोड़ रुपए की जल आवर्धन योजना को मंजूरी मिली थी। तत्कालीन नगर पालिका ने 45.29 करोड़ का डीपीआर बनाया। स्वीकृत राशि में 12 करोड़ रुपए अपने आप कम हो गए। 45.29 करोड़ रुपए का टेण्डर मुम्बई की कंपनी को दिए गए। निर्माण एजेंसी ने पेयजल सप्लाई के लिए शहर के वार्डों में पाइपलाइन को बिछाया। पाइपलाइन बिछाने के बाद सडक़ का निर्माण कराया गया। सडक़ बनने के कारण कनेक्शन भी नहीं हो पाए और नई पाइपलाइन जमीन में ही दफन हो गई। नतीजा यह हुआ कि आज भी पुरानी पाइपलाइन पेयजल सप्लाई हो रही है।
जल आवर्धन योजना में हुआ काम
जल आवर्धन योजना से कुलबेहरा में फिल्टर प्लांट, इंटक वेल, शहर में चार पानी की टंकी, पानी की टंकी भरने के लिए मेन राइजिंग लाइन, कुलबेहरा से फिल्टर प्लांट तक रा वाटर मेन राइजिंग लाइन और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन डाली गई है।
एक नजर में जल आवर्धन योजना
2011 में योजना को मिली थी मंजूरी
57.32 करोड़ रुपए हुए थे स्वीकृत
45.29 करोड़ रुपए में हुआ टेण्डर
10 साल बाद भी योजना अधूरी
50 साल पुरानी पाइपलाइन से सप्लाई
निगम की लापरवाही
आधी अधूरी योजना के कारण करोड़ों की राशि का फायदा जनता को नहीं मिल सका। योजना के क्रियान्वयन में निगम की लापरवाही, एमआईसी एवं परिषद की अनदेखी के चलते जनता के पैसे की बर्बादी हुई। आधी अधूरी पाइपलाइन डाली गई, लेकिन उस लाइन से पानी तक नहीं मिल पाया।
असगर अली वासू, पूर्व नेता प्रतिपक्ष निगम
तत्कालीन समय में योजना के अंतर्गत पाइपलाइन डाली गई थी। सडक़ बनाने के पहले कनेक्शन किया जाना था, फिर भी जहांं संभव है वहां नई लाइन से कनेक्शन किया गया है।
हिमांशु सिंह, आयुक्त नगर निगम