शहर का जेल बगीचा इन दिनों आंदोलन स्थल बन गया है। मैदान में विभिन्न विभागों के कर्मचारी दिनभर भाषणों में सरकार पर तीखा प्रहार कर रहे हैं। फिलहाल आधा दर्जन संगठन सडक़ों पर उतरे हैं। बाकी संगठन इंतजार कर रहे हैं कि किसी एक को सरकार कुछ देने की घोषणा को तो हम भी मैदान में उतरें। सरकार की परेशानी भी यही है कि एक संगठन की मांगे मानी तो दूसरा कहेगा हमारी क्यों नहीं। सरकार के पास भी जानकारी पहुंच गई है कि कितने और संगठन हड़ताल करने को तैयार बैठे हैं। एक नेता का कहना है कि सरकार मौका देखते ही अपना पांसा फेंकती है, अब हमारा समय है।
आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधेड़ नेताओं की आस फिर से जाग गई है। संगठन ने चुनाव में ६० साल के ज्यादा उम्र के नेताओं को विधानसभा में टिकट न देने का एेलान किया है। एेन चुनाव के समय इस घोषणा का क्या होता है यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन जिले के अधेड़ उम्र के नेताओं की चाल-ढाल बदल गई है। कुछ पहले से ज्यादा संगठन के काम में सक्रिय हो गए हैं। किसको पता है राजयोग बने और मौका मिल जाए। वैसे जिले के बारे में कहा जाता है कि साहब जो कहेंगे वही होगा। यह बात सही भी है। उनकी अपनी लिस्ट भी बन रही है। इनमें नए सपनों को संजोए नए उम्मीदवारों को कितनी जगह मिलती है, यह समय बताएगा।