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इधर विदाई के चंदे पर रार तो उधर बजट पर मान-मनौव्वल

locationछिंदवाड़ाPublished: Mar 12, 2018 12:38:42 am

Submitted by:

prabha shankar

इस दौरान दूसरे ने भी उससे लिए गए चंदे के सौ रुपए फेंक दिए

Chhindwara politics

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छिंदवाड़ा. जंगल विभाग के एक अफसर हाल ही में जिले से विदा हुए तो उनकी पार्टी भी धूमधाम से हुई। अब इस पार्टी की भव्यता के बीच आयोजन के चंदे को लेकर हुए झगड़े की खबर खजरी चौक के पान-चाय ठेलों में बैठने वाले बाबू और भृत्य के मुंह से सुनी जा रही है। माजरा यही है कि जिसने ये चंदा उगाहा था, उसने अपने ऑफिस के एक साथी को समय पर पार्टी की सूचना नहीं दी और वह नहीं पहुंच पाया। फिर क्या था असंतुष्ट ने दूसरे दिन गुस्से में टेबल पर हाथ पटककर खूब बहस की। इस दौरान दूसरे ने भी उससे लिए गए चंदे के सौ रुपए फेंक दिए। तब से एक ही ऑफिस में दोनों के बीच मनभेद हो गए और पूरा ऑफिस दोनों के मजे ले रहा है।

नगर निगम के वार्षिक बजट पर विपक्ष तो दूर सत्तापक्ष के पार्षदों में ही एक राय नहीं हो पा रही है। एमआईसी में बदलाव की मांग पर अड़े असंतुष्ट किसी तरह भी सहयोग पर राजी नहीं हैं। निगम के एक पदाधिकारी ने बीती रात इसको लेकर एक बैठक भी की और उनकी मान-मनौव्वल भी की। उन्हें खुश करने के लिए वार्ड के प्रस्ताव तक मांग लिए, लेकिन वे टस से मस नहीं हो रहे हैं। बस सभापति की कु र्सी मांग रहे हैं। जिसे जिले से लेकर राजधानी तक की गई कवायद में कोई भी कुर्सी देने को राजी नहीं हुआ। एेसे में बजट कैसे पास होगा, यह कर्ताधर्ताओं के लिए चिंता का विषय बन गया है।
मौके का इंतजार
शहर का जेल बगीचा इन दिनों आंदोलन स्थल बन गया है। मैदान में विभिन्न विभागों के कर्मचारी दिनभर भाषणों में सरकार पर तीखा प्रहार कर रहे हैं। फिलहाल आधा दर्जन संगठन सडक़ों पर उतरे हैं। बाकी संगठन इंतजार कर रहे हैं कि किसी एक को सरकार कुछ देने की घोषणा को तो हम भी मैदान में उतरें। सरकार की परेशानी भी यही है कि एक संगठन की मांगे मानी तो दूसरा कहेगा हमारी क्यों नहीं। सरकार के पास भी जानकारी पहुंच गई है कि कितने और संगठन हड़ताल करने को तैयार बैठे हैं। एक नेता का कहना है कि सरकार मौका देखते ही अपना पांसा फेंकती है, अब हमारा समय है।
अधेड़ों को आस
आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अधेड़ नेताओं की आस फिर से जाग गई है। संगठन ने चुनाव में ६० साल के ज्यादा उम्र के नेताओं को विधानसभा में टिकट न देने का एेलान किया है। एेन चुनाव के समय इस घोषणा का क्या होता है यह तो भविष्य बताएगा, लेकिन जिले के अधेड़ उम्र के नेताओं की चाल-ढाल बदल गई है। कुछ पहले से ज्यादा संगठन के काम में सक्रिय हो गए हैं। किसको पता है राजयोग बने और मौका मिल जाए। वैसे जिले के बारे में कहा जाता है कि साहब जो कहेंगे वही होगा। यह बात सही भी है। उनकी अपनी लिस्ट भी बन रही है। इनमें नए सपनों को संजोए नए उम्मीदवारों को कितनी जगह मिलती है, यह समय बताएगा।
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