चिकन पॉक्स – प्रभाव छोटे बच्चों पर अधिक
छिदंवाड़ा. चिकन पॉक्स खासकर मार्च और मई महीने के बीच होता है। इसका प्रभाव छोटे बच्चों पर अधिक होता है। प्रारम्भ में सर्दी, जुकाम, तेज बुखार और शरीर में दर्द होता है। कुछ दिनों के बाद शरीर में छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं, जिनमें जलन और खुजली होती है। एक सप्ताह में ये दाने पक जाते हैं फिर मवाद सूखकर पपड़ी बन जाती है। कभी-कभी यह बीमारी काफी दर्दनाक भी होती है।
चिकित्सकों ने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए एलोपैथी इलाज है जिसके तहत बच्चों को तीन माह के अंतराल से दो बार टीके लगवा देना चाहिए। होमियोपैथी में भी इस रोग से बचाव और इलाज के लिए औषधियां उपलब्ध हैं। मार्च के पहले सप्ताह में ही ‘वैरियोलिनम-२००’ की तीन दिन तक एक-एक खुराक देने से इस रोग से बचा जा सकता है। फिर भी इम्यून सिस्टम कमजोर होने की वजह से बीमारी हो जाए तो होमियोपैथी औषधि एकोनाइट ३3, रसटॉक्स३ या ६, एंटिम टार्ट आदि के सेवन से राहत मिलती है। यदि दाने पूरी तरह से न निकले तो ब्रायोनिया ३० दिन में तीन बार लेना चाहिए। शरीर पर आलिव आयल लगाएं। रोगी का कमरा हवादार होना चाहिए। किसी प्रकार की दवाओं का सेवन करने से पहले चिकित्सक की सलाह लेना न भूलें तथा स्वयं किसी भी तरह का उपचार ना करें।
बरतें सावधानी
शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक पानी पीएं। अपने खानपान में सादे भोजन का इस्तेमाल करें। ज्यादा कसे हुए या शरीर से चिपकने वाले कपड़े ना पहने। अगर त्वचा में बहुत जलन या दर्द हो तो दिन में ३ से ४ बार ठंडे पानी से नहाएं। खुजली करने पर आपके घाव खुल जाते हैं, जिन्हें ठीक होने में बहुत समय लगता है और इससे संक्रमण भी हो सकता है, इसलिए अपने नाखून काट कर रखें, छोटे बच्चों को हाथ में दस्ताने पहनाकर रखें। प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए अच्छी नींद लें और पौष्टिक आहार करें। हरी सब्जियां और ताजे फलों का इस्तेमाल करें।खट्टे पदार्थों से दूर रहें जैसे नींबू का रस या नारंगी का रस ना पीएं। जितना हो सके शरीर को ठंडा करने वाले पदार्थों का सेवन करें। चिकन, अंडा, मटन जैसे पदार्थ बिल्कुल ना खाएं। तेज बुखार को कम करने के लिए ठंडा पानी से भिगोए हुए कपड़ा सिर पर रखें।